- नगर निगम को इन कॉलोनियों से नही हो रही एक भी पैसे की कमाई तो फिर इनका विकास कैसे कराए ।
BAREILLY:
शांति बिहार वार्ड नंबर 13 के लोग नरक से भी बदतर हालात में जीने को मजबूर हैं। यहां न तो कोई सड़कें बनी हैं और न ही पानी के निकासी की कोई व्यवस्था है। हालत इतने बुरे हैं कि सड़क न होने की वजह से लोगों की जान तक खतरे में है। तालाब का रूप ले चुकी सड़कों से गुजरना लोगों की मजबूरी हो चुकी है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के कैम्पेन 'स्मार्ट सिटी का नरक लोक' में पढि़ए पूरी रिपाेर्ट
सड़क न होने से जान को खतरा
शांति बिहार के आश्रम रोड का हाल यह है कि वहां सड़कें तक नही है। लोगों को तालाब में भरे पानी से होकर निकलना पड़ता है। यदि बारिश हो जाए तो लोगों को घरों में कैद होना पड़ता है। लोगों ने बताया कि यहां की सड़क बनवाने के लिए कई बार आश्वासन मिल चुका है, लेकिन आज तक सड़कें नहीं बनवाई गई।
नालियां भी चोक
शांति बिहार के सिठौरा रोड की सभी गलियों की हालत इतनी गंभीर हो चुकी है कि वहां से पानी तो दूर की बात लोगों तक का निकलना मुश्किल है। सभी नालियां बुरी तरह से चोक हुई पड़ी है। घरों का पानी घरों में ही जमा होने लगता है। कोई भी सफाईकर्मी सफाई करने नही अाता है।
इनकम नहीं तो काम नहीं
नगर आयुक्त का कहना है कि बदायूं रोड पर बसी ज्यादातर कॉलोनियां अवैध हैं। इन कॉलोनियों का न तो नक्शा बीडीए से पास है और न ही ये कॉलोनियां नगर निगम को हैंडओवर हैं। इसके चलते इन कॉलोनियों से नगर निगम को कोई आमदनी भी नहीं हो रही है। ऐसे में वहां काम भी कैसे कराया जा सकता है।
वर्जन
क्या करें हमारी तो कोई सुनने वाला ही नहीं है। यहां से निकलते है तो रूह कांप जाती है। सड़क तक नहीं है। कई बार अधिकारी बोल चुके है कि जल्द ही सड़क डलवा देंगे लेकिन अभी तक नहीं पड़ी।
सुनीता, आश्रम रोड
सभी नालियां चोक पड़ी हैं। पानी निकलने का नाम ही नहीं लेता है। खुद ही जितनी सफाई कर लो हो जाती है सफाई कर्मचारी तो कोई आता ही नही है।
नीलावती, टेंट हाउस वाली गली
कहां-कहां शिकायत करें, कोई तो सुनने वाला है नहीं। शिकायतें करते करते भी थक गए है, लेकिन आज तक यहां सफाई नहीं हुई।
छोटे लाल, टेंट हाउस वाली गली
स्कूल जाओ तो पूरी यूनिफार्म गंदी हो जाती है और जब बारिश हो जाती है तो कई दिनों तक स्कूल नहीं जा पाते हैं।
दीक्षा, स्टूडेंट
हमने तो इन गलियों से निकलना ही छोड़ दिया है। यहां से निकलो तो बदबू के मारे दम घुट जाता है। सफाई तो यहां कभी नाम को भी नही हुई।
बुद्धसेन, टेंट हाउस वाली गली
सभी कॉलोनियां अवैध बनी हुई है इन कालोनियों से नगर निगम को एक पैसे की भी आमदनी नही होती है। तो फिर इनका विकास कैसे कराया जाए। सभी लोग बिना प्राधिकरण से नक्शा पास कराकर रहने लगे है। लेकिन विकास प्राधिकरण को इनके बारे में जानकारी तक नही हुई।
राजेश श्रीवास्तव