भूकंप के बाद से काठमाण्डू जाने वालों की तादाद में आयी गिरावट

-सप्ताह में एक या दो ही चल रही है रोडवेज की मैत्री बस

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नेपाल में आए भूकंप को शायद अभी तक कोई भूला नहीं है। भूलने वाली बात भी नहीं है। हादसा ही कुछ ऐसा हुआ था जो शायद ताउम्र याद रहे। शायद इसीलिये काठमाण्डू जाने की कोई नहीं सोच रहा है। काठमाण्डू के लिए शुरू हुई भारत-नेपाल मैत्री बस सेवा की फ्रिक्वेंसी थम सी गई है। भूकंप से पहले जहां हर रोज चलने वाली इस बस में एक से डेढ़ माह तक की बुकिंग फुल हुआ करती थी, वहीं अब की स्थिति ऐसी है कि सप्ताह में सिर्फ एक या दो दिन ही बस नेपाल के लिए चल रही है। वह भी कभी-कभी कैंसिल होकर रह जा रही है। इसे लेकर रोडवेज के ऑफिसर्स भी काफी पेशोपेश में है।

डीजल का नहीं निकल पा रहा खर्च

भारत-नेपाल मैत्री बस सेवा शुरू करने का मकसद यही था कि दोनों देशों के बीच रिश्ते प्रगाढृ हो सकें, साथ ही रोडवेज यात्रियों को सहूलियत मिले। क्योंकि नेपाल के बहुत से लोग बनारस में गुजर बसर कर रहे हैं। बस के शुरू होने से रोडवेज को इनकम भी ठीक ठाक हो रहा था। लेकिन भूकंप के बाद जो स्थिति है उसमें तो डीजल का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।

तीन दिन से नहीं गई बस

यात्रियों की कमी ऐसी है कि कोई काठमाण्डू जाने के लिए रेडी ही नहीं है। पिछले तीन दिनों से एक भी यात्री काठमाण्डू नहीं गया, जिस कारण बस भी कैंसिल कर दी गई। काठमाण्डू की बुकिंग साइट भी ठप सी पड़ गई है। बस के सिलसिले में पहले रोडवेज पर डेली पैसेंजर्स की इंक्वायरी के लिए कॉल भी आती थी, लेकिन अब भूल कर एक भी कॉल नहीं आई।

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पैसेंजर्स मिलें तो बस भेजने में कोई दिक्कत नहीं है। अब काठमाण्डू जाने के लिए पैसेंजर्स ही नहीं मिल रहे हैं।

पीके तिवारी

आरएम

रोडवेज कैंट