- बनारस से नेपाल के लिए एक और वॉल्वो चलाने की थी प्लैनिंग, अब खुद मैत्री बस की थम गई रफ्तार

- काठमाण्डू जाने के लिए नहीं मिल रहे पैसेंजर्स, जबकि लखनऊ, कानपुर से काठमाण्डू के लिए वॉल्वो शुरू करने की हो चुकी है घोषणा

VARANASI:

नेपाल में तबाही का मंजर देख अब लोग वहां जाने से कतरा रहे हैं। भूकंप ने हर किसी का कुछ न कुछ तहस-नहस किया है। भूकंप के झटकों का असर रोडवेज भी महसूस कर रहा है। मार्च में स्टार्ट हुई इंडो-नेपाल मैत्री बस की करें तो इस बस की लोकप्रियता इतनी तगड़ी हो गई थी कि एक माह पहले तक की टिकट बुकिंग चल रही थी। हर कोई बनारस-काठमाण्डू वॉल्वो बस से ही नेपाल जाना चाहता था। यही मेन वजह थी कि रोडवेज हेडक्वॉर्टर ने लखनऊ, कानपुर से भी काठमाण्डू के लिए वॉल्वो शुरू करने की प्लैनिंग कर दी थी। लेकिन नेपाल में आए जलजले ने रोडवेज का पूरा प्लान ही दफन कर दिया। कैंट रोडवेज से काठमाण्डू के लिए क्क् मई तक की टिकट बुकिंग कैंसिल कर दी गई है। तीन दर्जन से अधिक पैसेंजर्स ने अपने टिकट कैंसिल करा दिए हैं। एक भी पैसेंजर नहीं होने के कारण मैत्री बस का पहिया रोडवेज कैंपस से नहीं हिल रहा है।

एक और बस चलाने की थी प्लैनिंग

बनारस-काठमाण्डू के अलावा एक और बस काठमाण्डू के लिए चलाने की प्लैनिंग हेडक्वॉर्टर में तय हो रही थी। रोडवेज के एक सीनियर ऑफिसर की मानें तो जिस हिसाब से पैसेंजर्स के बीच बनारस-काठमाण्डू वॉल्वो की पॉप्युलैरिटी बढ़ी थी, उसी को ध्यान में रखते हुए समर वैकेशन को देखते हुए एक और बस चलाने की प्लैनिंग चल रही थी। इसके लिए नेपाल सरकार से भी बातचीत चल रही थी। लेकिन अब रोडवेज के सभी अरमानों पर फिलवक्त पानी फिर गया है।

एक दिन चली सिर्फ सोनौली तक

भूकंप के समय बनारस की वॉल्वो काठमाण्डू में ही थी। लेकिन उसे बनारस वापस पहुंचने में लगभग 7ख् घंटे लग गये थे। इसके बाद से एक बार भी बस काठमाण्डू के लिए नहीं गई। सिर्फ बृहस्पतिवार को दो पैसेंजर्स को लेकर सोनौली तक बस गई थी। काठमाण्डू जाने के लिए जिन लोगों ने टिकट कराये थे वे सभी लोगों ने अपने-अपने टिकट कैंसिल करा रहे हैं।

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पैसेंजर्स मिलें तो बस चलाई जाए। भूकंप के बाद से कोई भी नेपाल नहीं जाना चाहता। अब जैसा हेडक्वॉर्टर से आदेश मिलेगा, वैसा ही किया जाएगा।

पीके तिवारी

आरएम, रोडवेज कैंट