-कैंट रोडवेज बस स्टेशन के आसपास डग्गामार वाहनों का धड़ल्ले से हो रहा है संचालन

-रोडवेज इन पर लगाम कसने के लिए हर माह प्रशासन को भेज रहा है लेटर

-पर नहीं हो रही कोई कार्रवाई, बस माफियाओं का बढ़ा हुआ है मनोबल

दिनों दिन रोडवेज विभाग की कम हो रही इनकम में 'डग्गामार' आग में घी का काम रहे हैं। कैंट फ्लाईओवर हादसे और सावन माह तक रूट डायवर्जन झेल रहे रोडवेज विभाग को इधर बीच डग्गामार वाहनों के चलते भी काफी चपत लग रही है। इन वाहनों की धरपकड़ के लिए परिवहन निगम बनारस मुख्यालय की ओर से टीमें भी बनाई गई हैं लेकिन इन टीमों को बस माफियाओं के आगे नतमस्तक ही होना पड़ रहा है। डग्गामार वाहनों पर लगाम कसने के लिए परिवहन निगम हर महीने कमिश्नर, डीएम-एसएसपी सहित आरटीओ को लेटर भेज एक्शन की गुहार लगाता है। मगर किसी भी लेटर पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। यह नहीं परिवहन निगम के कर्मचारियों की ओर से धड़ल्ले से संचालित किए जा रहे डग्गामार वाहनों की वीडियो भी बनाकर शीर्ष अधिकारियों को भेजी जा रही है। फिर भी कार्रवाई के नाम पर सब शून्य है।

कमिश्नर की 'नो' पर इनकी 'ऐश'

बस इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बनारस में बस माफियाओं की दबंगई के आगे जिला प्रशासन ने भी घुटने टेक दिए हैं। कैंट फ्लाईओवर हादसे के बाद कमिश्नर दीपक अग्रवाल का सख्त आदेश था कि कैंट से लहरतारा के बीच 'नो पार्किंग जोन' हो, मगर ये रूट छोटे-बड़े डग्गामार वाहनों से पूरा पटा पड़ा रहता है। जौनपुर, आजमगढ़ रूट के लिए डग्गामार वाहन स्टेशन के ठीक सामने से पैसेंजर्स बैठा रहे हैं। पुलिस व ट्रैफिक पुलिस होने के बावजूद यह हाल है।

तीन डिपो के बराबर 'डग्गामार'

रोडवेज के एक डिपो में जितनी बस नहीं होगी उतनी डग्गामार बसें विभिन्न रूटों पर दौड़ रही हैं। रोडवेज विभाग अधिकारियों की मानें तो लगभग तीन डिपो के बराबर डग्गामार वाहन सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। इलाहाबाद, जौनपुर, आजमगढ़ से लेकर शक्तिनगर रूट पर डग्गामार वाहनों की भरमार देखी जा सकती है।

पुलिस-आरटीओ की आंखें बंद

रोडवेज अधिकारियों की मानें तो डग्गामार वाहनों की धरपकड़ में पुलिस की ओर से कोई सहयोग नहीं मिलता। आरटीओ को भी डग्गामार वाहनों की संख्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर नहीं दिखती। सबकी आंखें डग्गामार वाहनों की धरपकड़ के नाम पर बंद हो चुकी हैं।

ये है हाल

-डग्गामार वाहनों के संचालक रोडवेज बस स्टेशन कैंपस से उठा ले जाते हैं पैसेंजर्स

-भोर चार बजे से सुबह दस बजे तक और रात नौ बजे के बाद डग्गामार वाहनों का किया जाता है संचालन

-कैंट रोडवेज बस स्टेशन के पीछे पेट्रोल पंप है डग्गामार वाहनों का स्टैंड

-रोडवेज बस स्टेशन के सामने ट्रैफिक बूथ के आगे सवारी भरते हैं डग्गामार वाहन

-कलेक्ट्री फार्म चौराहे पर कम से कम 50 डग्गामार बसें रहती हैं खड़ी

एक नजर

484

के आसपास हैं रोडवेज-सिटी की बस

250

से अधिक छोटे-बड़े डग्गामार वाहन दौड़ रहे हैं

5-6

बार प्रत्येक माह जिला प्रशासन को कार्रवाई के लिए भेजा जाता है लेटर

डग्गामार बसों के संचालकों की दबंगई इतनी है कि परिसर में घुसकर सवारी उठा ले जा रहे हैं। डग्गामार वाहनों की वजह से परिवहन निगम के इनकम पर असर पड़ रहा है। हर महीने जिला प्रशासन को लेटर भेजा जाता है।

केके शर्मा, आरएम

अभी हाल ही में अभियान चलाकर छोटे-बडे़ कुल साठ वाहनों का चालान किया गया। सीज की भी कार्रवाई हुई। अभियान लगातार चल रहा था। इधर कुछ दिनों से ठप है लेकिन फिर से अभियान चलाया जाएगा।

श्रीराम यादव, आरटीओ (अतिक्रमण)