- इमरजेंसी ही नहीं सामान्य समय में रोडवेज की बसों के गेट खोल पाना मुश्किल

- उत्तराखंड और राजस्थान परिवहन की बसों में इमरजेंसी गेट तक नहीं साइड से लगी हुई है लोहे की पाइप

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फैक्ट्स एंड फिगर

-553 बसें तीनों डिपो की हैं

-200 बसें दूसरे डिपो की जो डेली आती हैं

70 हजार यात्री प्रतिदिन करते हैं सफर

65- लाख रुपए प्रतिदिन डेली इनकम

BAREILLY :

इनवर्टिस तिराहे पर पिछले साल हुए बस अग्निकांड से रोडवेज के अफसर सबक नहीं ले सके। यही वजह है कि रोडवेज की बसों में सफर सुरक्षित नहीं है। हादसे के बाद बसों की विंडो पर लगी रॉड और ग्रिल को हटाने के आदेश शासन ने दिए थे। साथ ही, सभी बसों में इमरजेंसी गेट के सामने लगी सीट को हटाने की बात की गई थी, लेकिन ज्यादातर बसों में यह व्यवस्था होना तो दूर एक अदद हथौड़ी तक बसों में नहीं रखी जा सकी। ताकि, इमरजेंसी में यात्री शीशे तोड़कर निकल सकें। हादसे की बरसी पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने रोडवेज की बसों का रियलिटी चेक किया, तो हैरान करने वाला यह सच नजर आया। एक बस में तो इमरजेंसी गेट को नट-बोल्ट लगाकर लॉक कर दिया गया था, जो यात्रियों की सुरक्षा ताक पर रखे जाने की कहावत को चरितार्थ कर रहा था। आइए बताते हैं आपको बसों की हकीकत

इमरजेंसी गेट: नट बोल्ट लगाकर बंद

बस जांची -5

ेट खुले-2

-नॉवेल्टी बस स्टेशन पर रूहेलखंड डिपो की बस नम्बर यूपी 25 बीटी 0480 (दिल्ली बरेली ) का इमरजेंसी गेट देखा, लेकिन उसके गेट पर नट बोल्ट से बंद कर रखा था। कोई चाहकर भी इसे नहीं खोल सकता था।

- रूहेलखंड डिपो की बस नम्बर यूपी 77 एएन 2915 प्लेटफार्म पर दिल्ली जाने के लिए लगी हुई थी। बैठे यात्रियों से जब इमरजेंसी गेट खोलने को कहा तो उन्होंने प्रयास तो किया लेकिन खुला नहीं।

-बुद्धविहार डिपो की बस यूपी 86 टी 4922 में इमरजेंसी गेट के पास सवारी बैठी हुई थी। बस बरेली से अलीगढ़ के लिए जा रही थी। बस के इमरजेंसी गेट यात्री से खुलवाया तो उसने खोला, लेकिन कई बार प्रयास करने के बाद।

साइड से बस में लोहे की ग्रिल

लोहे की ग्रिल: इमरजेंसी गेट छोड़ दोनों तरफ लगी

बस जांची -5

ग्रिल लगी बसें-5

-नॉवेल्टी बस स्टेशन पर रूहेलखंड डिपो की बस नम्बर यूपी 25 बीटी 0480 (दिल्ली बरेली ) के साइड से ग्रिल जांची। इमरजेंसी गेट से तो ग्रिल हटी थी, लेकिन इसके अलावा दोनों तरफ से ग्रिल लगी हुई थी।

- रूहेलखंड डिपो की बस नम्बर यूपी 77 एएन 2915 प्लेटफार्म पर दिल्ली की बस लगी हुई थी। बस में बैठे यात्री से जब दोनों तरफ शीशे से लगी ग्रिल से निकलने की बात पूछी तो उसने प्रयास किया, लेकिन वह अपना सिर तक नहीं निकाल सका।

-बुद्धविहार डिपो की बस यूपी 86 टी 4922 में भी आम बसों की जैसी हालत थी। बस के दोनों तरफ ग्रिल लगी हुई थी। इससे निकलना तो दूर की बात कोई अपना सिर तक नहीं निकाल सकता था।

हथौड़ी : बसों में रखनी थी हथौड़ी

बस जांची -5

हथौड़ी मिली बसें-3

-नॉवेल्टी बस स्टेशन पर रूहेलखंड डिपो की बस नम्बर यूपी 25 बीटी 0480 (दिल्ली बरेली ) में जब जाकर हथौड़ी चेक की तो थी ही नहीं। जबकि इसको प्रत्येक बस में रखना अनिवार्य किया गया था।

- रूहेलखंड डिपो की बस नम्बर यूपी 77 एएन 2915 प्लेटफार्म पर दिल्ली की बस में बैठे यात्री से जब हथौड़ी के बारे में पूछा तो कुछ बता ही नहीं पाया। जब बस ड्राइवर से पूछा तो सीट के पीछे से निकालकर दिखा दी। बस में कहीं लिखा नहीं गया कि हथौड़ी कहा है।

-बुद्धविहार डिपो की बस यूपी 86 टी 4922 में हथौड़ी ही नहीं थी। बस ड्राइवर से पूछा तो बताया कि वह हथौड़ी थी तो लेकिन गायब हो गई। फिर से लगवानी पड़ेगी।

फायर एक्सटिंग्यूशर

फायर एक्सटिग्यूसर: बसों में खाली मिले सिलिंडर

बस जांची -5

खाली मिले बसें में सिलिंडर-2

नहीं था बस में सिलिंडर-1

-नॉवेल्टी बस स्टेशन पर रूहेलखंड डिपो की बस नम्बर यूपी 25 बीटी 0480 (दिल्ली बरेली ) में फायर एक्सटिंग्यूसर लगा तो था, लेकिन उसका प्रेशर डाउन था। ड्राइवर को इस बात की जानकारी ही नहीं थी।

- रूहेलखंड डिपो की बस नम्बर यूपी 77 एएन 2915 प्लेटफार्म पर दिल्ली की बस में भी फायर एक्सटिंग्यूसर लगा था ड्राइवर से बात की तो बताया कि उसने एक बार वायरिंग से धुआं निकलने पर यूज कर लिया दोबारा रिफिल नहीं करा पाया।

-बुद्धविहार डिपो की बस यूपी 86 टी 4922 में भी फायर एक्सटिंग्यूशर ही नहीं था। ड्राइवर का कहना था कि फायर एक्सटिंग्यूशर रिफिल के लिए गया था। अभी एक दो दिन में आ जाएगा।

अंदर से इमरजेंसी गेट बाहर से वेल्डिंग

बरेली, रूहेलखंड और बदायूं डिपो के एआरएम ने लोहे का एंगल तो हटवा दिए, लेकिन बरेली को आने वाली दूसरे प्रदेश की बसों की हालत तो और भी बदतर है। बसों में पीछे और साइड से दोनों तरफ लोहे की ग्रिल लगी हुई है। राजस्थान अजमेर डिपो की बस आरजे पीसी 1824 को चेक किया तो बस में तो इमरजेंसी गेट अंदर से लिखा था, लेकिन बाहर से उस पर वेल्डिंग कर रखी थी, जिससे कभी हादसा होने पर यात्रियों का उससे निकल पाना ही संभव नहीं था। वहीं उत्तराखंड की यूके 07 ओपी 2051 को चेक किया तो दोनों बसों में हथौड़ी और फायर एक्सटिंग्यूशर कुछ भी नहीं था।

हादसे के बाद शासन ने दिए थे ये निर्देश

-हर तीन माह में आंखों की जांच कराना

-बसों से लोहे के एंगल हटाना

-बसों के पीछे का जाल हटाना

-इमरजेंसी गेट की प्रॉपर जांच

-बसों की गति को एवरेज में रखना

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तीनों डिपो के एआरएम को सुरक्षा के दृष्टि से आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गये हैं। नियमों का पालन नहीं करने वाले कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

राजीव चौहान, आरएम, परिवहन निगम

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बस में इमरजेंसी गेट कहां पर है। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है। मैं तो सेंथल के गांव रसूला से रूपईडीहा के लिए जा रहा हूं। बस कन्डक्टर को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए, लेकिन कोई जानकारी दी ही नहीं है।

-आधार हुसैन, पैसेंजर

बस से हिमाचल प्रदेश के लिए जा रहा हूं लेकिन मुझे तो बस में इमरजेंसी गेट और हथौड़ी का पता भी नहीं है। इमरजेंसी गेट के पास जब सीट लगी हुई तो कोई कैसे ि1नकल पाएगा।

महेश कुमार

परिवहन निगम की बसों की हालत खराब है। बसों में फिटनेस की जरूरत है। बसों में सीटे हो या फिर सुरक्षा के उपकरण सभी को ठीक रखना होना चाहिए। बस में लगा फायर एक्सटिंग्यूशर भी खाली है।

अशोक कुमार, बस ड्राइवर

बस में हथौड़ी भी है और फायर एक्सटिंग्यूशर भी लगा है। लेकिन इमरजेंसी गेट के पास सीट लगी है यह तो परिवहन निगम ने लगवा रखी है इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूं। इससे यात्री इमरजेंसी गेट के बारे में समझ नहीं पाते।

देवेन्द्र गंगवार बस ड्राइवर

बस में हथौड़ी और फायर एक्सटिंग्यूशर तो नई बसों में होता है। अब बस पुरानी हो गई है तो इसमें कहां रखा। कभी जरूरत पड़ती है तो रिंच-पाना से काम चला लेते हैं। फिलहाल मैं अपनी बस को ठीक करके रखता हूं

दीदार सिंह, बस ड्राइवर