-सर्किट हाउस के पास हुआ हादसा, नहीं चला फायर ए1सटिंग्यूसर

-हॉस्पिटल स्टाफ ने बाल्टी से पानी डालकर बुझायी आग

<-सर्किट हाउस के पास हुआ हादसा, नहीं चला फायर एक्सटिंग्यूसर

-हॉस्पिटल स्टाफ ने बाल्टी से पानी डालकर बुझायी आग

BAREILLY: BAREILLY: 4 जून की रात इनवर्टिस तिराहा के पास बस अग्निकांड में 25 लोगों के जिंदा जलने के हादसे को लगता है। परिवहन निगम भूल गया है। इस हादसे के बाद परिवहन निगम समेत शासन ने बड़े-बड़े आदेश दिए थे, लेकिन अब फिर सब पुराने ढर्रे पर चल रहा है। परिवहन निगम सड़कों पर खटारा बसों को दौड़ाकर सवारियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। मंडे को सर्किट हाउस चौराहे पर 21 सवारियों की जान उस समय आफत में पड़ गई, जब बदायूं डिपो की बस में आग लग गई। आग लगने से सवारियों में खलबली मच गई और सभी ने बस से उतरकर अपनी जान बचाई। जब कंडक्टर ने बस में रखा फायर एक्सटिंग्यूसर से आग बुझाने की कोशिश की तो फायर एक्सटिंग्यूसर भी दगा दे गया। गनीमत रही कि पास में हॉस्पिटल था, जिससे हॉस्पिटल स्टॉफ ने बाल्टियों से पानी डालकर आग बुझायी, अगर थोड़ी भी देर हो जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था। सूचना पर पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने पूरी तरह से आग बुझाई।

धुएं से भर गइर् पूरी बस

कंडक्टर की मानें तो बस के गेयर बॉक्स में खराबी आने के कारण आग लग गई। सेल्फ स्टार्ट करने के दौरान आग लग गई। कंडक्टर ने आग बुझाने के लिए जैसे ही बस में लगा फायर एक्सटिंग्यूसर चलाना चाहा तो पता चला कि उसमें गैस ही नहीं थी। जिसके चलते आग बढ़ना शुरू हो गई और बस के अंदर तक पहुंचने लगी। बस में काफी धुआं भर गया। सूचना पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने आग बुझाई।

फिर भी भर ली सवारी

बदायूं से 10.30 पर निकली बदायूं डिपो की बस संख्या यूपी 25 बीटी 2843 बरेली रीजनल वर्कशॉप में बनने के लिए आ रही थी। बस की स्थिति खराब है यह जानते हुए भी अधिकारियों ने बस स्टाफ को सवारियां भरने की इजाजत दे दी। फिट बसें एक घंटे में बदायूं से बरेली पहुंच जाती है, लेकिन सर्किट हाउस चौराहे के पास जिस बस में आग लगी वह ढाई घंटे में बरेली पहुंची थी। जर्जर हालत होने का ही नतीजा था कि वर्कशॉप में पहुंचने से पहले ही बस में आग लग गई।

नहीं हटे बसों के ग्रिल

इनवर्टिस के पास बस अग्निकांड के बाद सभी बसों से विंडो से सटे लगे लोहे के सभी एंगल निकालने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा पीछे के शीशे से एंगल हटाने और बस के अंदर हथौड़ी रखने के आदेश दिए गए थे। शुरुआत में तो कुछ बसों के एंगल हटाए गए, लेकिन उसके बाद फिर सब ठंडे बस्ते में चला गया।

फ‌र्स्ट एड की नहीं है सुविधा

किसी भी हादसे पर तुरंत मेडिकल सुविधा देने के लिए बसों में मेडिकल बॉक्स बनाया जाता है लेकिन बसों में बॉक्स तो बना होता है, लेकिन उसमें कोई भी फ‌र्स्ट एड किट नहीं होती है। इसी तरह से फायर एक्सटिंग्यूसर तो जरूर रखे होते हैं, लेकिन किसी बस में एक्सपायर तो किसी में गैस ही नहीं होती है। यही नहीं कई ड्राइवर और कंडक्टर को तो इसे चलाना हीं नहीं आता है। जिसकी वजह से बड़े हादसे हो जाते हैं।

बॉक्स

आग लगने के प्रमुख कारण

- बसों का सेल्फ खराब होना।

- वायरिंग सही नहीं होने पर शॉर्ट सर्किट।

- इलेक्ट्रिकल हॉर्न लगा होना।

- फ्यूल टैंक के पास लगी इलेक्ट्रिकल डिवाइस।

बस की मियाद अभी 3 वर्ष और बची है। बस को वर्कशॉप में बनने के लिए भेजा गया है। वर्कशॉप से रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि आग किस कारण से लगी थी।

राजेश कुमार, एआरएम, बदायूं डिपो