- रोडवेज बना पैसेंजर्स की 'जान का दुश्मन'

- अग्नि सुरक्षा सप्ताह में भी रोडवेज अधिकारियों की नहीं टूटी नींद, बसों में सालों पुराने लगे अग्निशमन उपकरण

- बस के कंडक्टर व ड्राइवर को नहीं पता कि इमरजेंसी में पैसेंजर्स की कैसे करनी है सुरक्षा

- गर्मी में एसी बसों में भी पसीना छोड़ रहे पैसेंजर, जनरथ एसी बसों के एसी के साथ अधिकतर पंखे भी खराब

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अगर आप रोडवेज की बस से सफर करने जा रहे हैं तो इस खबर को ध्यान से पढि़एगा. क्योंकि हो सकता है कि रोडवेज बस का सफर आपके जीवन का अंतिम सफर बन जाए. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का मकसद आपको डराना या फिर रोडवेज बस सेवा की छवि को धूमिल करना बिल्कुल नहीं है. बल्कि हमारा मकसद सिर्फ पब्लिक को अवेयर करना और रोडवेज के जिम्मेदार ऑफिसर्स तक बसों की बदहाल व्यवस्था की हकीकत पहुंचाना है. क्योंकि रोडवेज की बसों में न तो आग लगने पर काबू पाने के उचित उपकरण हैं और न ही बसों की प्रॉपर फिटनेस पर ध्यान दिया जा रहा है. आपात स्थिति में जान बचाने के लिए बनाए गए इमरजेंसी गेट का ये हाल है कि मौत आपको अपने आगोश में ले लेगी, लेकिन ये गेट नहीं खुल पाएगा. आज आपका डीजे आई नेक्स्ट आपको रोडवेज बसों की हकीकत से रूबरू कराने जा रहा है.

महिला डॉक्टर और बच्चे का काल बनी थी एसी बस

रोडवेज डिपार्टमेंट को अपने पैसेंजर्स की जान की बिल्कुल फिक्र नहीं है. इसका खुलासा कुछ दिन पूर्व ही आगरा एक्सप्रेस में एसी बस में आग लगने से एक महिला डॉक्टर व उसका मासूम बच्चे के जिंदा जलने की घटना से हुआ था. हद तो इस बात की है कि इसके बावजूद रोडवेज अधिकारियों ने एसी बसों में आग पर नियंत्रण करने के लिए रखे जाने वाले अग्निशमन उपकरण की टेस्टिंग तक नहीं कराई है. अग्नि सुरक्षा सप्ताह शुरू होने पर डीजे आई नेक्स्ट ने झकरकटी अंतर्राज्यीय बस अड्डे में खड़ी कुछ जनरथ एसी बसों में अग्निशमन सिलेंडर की जांच की तो हकीकत चौकाने वाली थी. किसी फायर सेफ्टी सिलेंडर का लॉक टूटा हुआ था तो किसी सिलेंडर से एक्सपायरी डेट का लेवल फाड़कर हटा दिया गया था. कुछ सिलेंडर तो बिना गैस भरे ही शोपीस बनाकर कर लटका दिए गए थे.

नहीं पता इमरजेंसी में पैसेंजर की कैसे बचाएं जान

जनरथ बस ड्राइवर व कंडक्टर से जब रिपोर्टर ने बस में रखे अग्निशमन यंत्र के यूज करने का तरीका पूछा तो उनकी जुबान सिल गए. ड्राइवर व कंडक्टर यह तक नहीं बता पाए कि बस में आग लगने व दुर्घटना होने की स्थिति में पैसेंजर्स की जान कैसे बचानी है. जबकि रोडवेज को अपने कंडक्टर व ड्राइवर को हर वर्ष इसकी ट्रेनिंग दिए जाने का प्रावधान है.

एसी में पैसेंजर्स के छूट रहे थे पसीने

जनरथ एसी बसों के रियल्टी चेक के दौरान दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पाया कि विकास नगर के एक जनरथ बस में सफर कर रहे पैसेंजर्स एसी ऑन होने पर भी पसीना छोड़ रहे थे. कारण बस की एसी कूलिंग सहीं से नहीं कर रही थी. साथ ही बसों के अंदर हर सीट में लगे पंखे खराब पड़े थे.

फ‌र्स्ट एड बॉक्स में एक भी दवा नहीं

डॉक्टर के मुताबिक दुर्घटना के दौरान घायलों को गोल्डन ऑवर में अगर प्राथमिक उपचार मिल जाता है तो क्रिटिकल पेशेंट की भी जान बचाई जा सकती है. वहीं रोडवेज ने इमरजेंसी के दौरान पैसेंजर्स को प्राथमिक उपचार मुहैया कराने के लिए बसों में दिखावे के लिए फ‌र्स्ट एड बॉक्स लगा रखे हैं. जिसमें दवा तो दूर गाज पट्टी तक नहीं थी.

आरटीओ क्यों नहीं करता जांच..

प्रदेश में यूपी सरकार के तत्वावधान में 14 से 20 अप्रैल तक अग्नि सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है. सवाल यह उठता है कि आरटीओ रोडवेज बसों की जांच क्यों नहीं करता है. जबकि प्राइवेट कामर्शियल वाहनों की फिटनेस में अग्निशमन सिलेंडर समेत पैसेंजर्स की अन्य सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए फिटनेस जारी की जाती है. आरटीओ सोर्सेज के मुताबिक रोडवेज सरकारी होने की वजह से एआरटीओ प्रवर्तन उन बसों की चेकिंग ही नहीं करते हैं. साथ ही आरआई भी फिटनेस के दौरान अधिक ध्यान नहीं देता है.

आंकड़े

1000 से अधिक बसों का सिटी से रोजाना आवागमन

10 जनरथ एसी बसेंकानपुर से रोज आती-जाती हैं

70 नॉर्मल एसी बसों का प्रतिदिन होता है आवागमन

10 हजार से अधिक पैसेंजर्स का डेली आना-जाना

कोट

बस डिपो में बसों के मेंटीनेंस में निरंतर ध्यान दिया जाता है. अगर ऐसा है तो मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

अतुल सक्सेना, आरएम, रोडवेज कानपुर रीजन