-बाहर के पंप से डीजल खरीदने को मजबूर है निगम

-निगम को थोक में मंहगा पड़ रहा है डीजल ऑयल

-निगम के 17 वर्कशॉप में सूखे पड़े हैं यह फ्यूल पंप

DEHRADUN : उत्तराखंड परिवहन निगम के अपने डीजल पंप करीब दो साल से सूखे पडे़ हैं। स्टेट में निगम के पास करीब क्7 वर्कशॉप हैं। जहां इन पंप्स में एक भी बूंद डीजल मौजूद नहीं है। रोडवेज के संचालन के लिए निगम को बाहर के पंप्स से डीजल खरीदना पड़ रहा है।

वर्कशॉप में भरा जाता था डीजल

दरअसल, उत्तरप्रदेश से अलग होकर जब एक दशक पहले उत्तराखंड परिवहन निगम का निर्माण हुआ तो यहां पर ट्रांसपोर्टेशन के लिए निगम ने करीब ढ़ाई दर्जन डिपो कार्यालय स्थापित किए। डिपो कार्यालय से रोडवेज का संचालन होने लगा। रोडवेज बसेज की मरम्मत के लिए उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर निगम ने अपने वर्कशॉप भी खोले। रोडवेज के छोटे-बड़े काम से लेकर डीजल भरने का काम भी इन वर्कशॉप में होता रहा। इसके लिए निगम ने बकायदा अपने डीजल पंप वर्कशॉप में मौजूद था। सुबह कोई रोडवेज जब अपने गंतव्य के लिए निकलती थी तो वर्कशॉप से जरूरत के हिसाब से डीजल भर कर रवाना किया जाता था। लेकिन, पिछले दो वर्षो से सभी क्7 वर्कशॉप में यह डीजल पंप खाली पड़े हैं। निगम में वर्तमान में करीब क्ख्भ्0 रोडवेज बस का बेड़ा है जिनके लिए डीजल आपूर्ति बाहर के पंप्स से खरीद कर पूरा करना पड़ रहा है।

थोक में क्क् रूपए प्रति लीटर अधिक

निगम के अधिकारियों का तर्क है कि दरअसल विगत दो वर्ष पहले तक निगम थोक पर आईओसी से डीजल खरीदता था जो काफी मंहगा पड़ रहा है। थोक में डीजल खरीदने पर निगम को हर महीने करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा था। वर्तमान की बात करें तो बाहर के पंप से डीजल खरीदने पर निगम को प्रतिलीटर डीजल पर क्क् रुपए की बचत हो रही है। इस हिसाब से निगम को फ् करोड़ रुपए प्रति महीने का फायदा हो रहा है।

चोरी होने की आती हैं शिकायतें

वर्कशॉप में डीजल पंप होने से जहां पहले अंदर वर्कशॉप में ही गाडि़यों में डीजल भरा जाता था। तो डीजल चोरी होने की संभावनाएं नहीं रहती थी, जितने किलोमीटर गाड़ी की जरुरत होती थी। ऐवरेज के हिसाब से कुछ लीटर एक्स्ट्रा डीजल दिया जाता था। कभी इमरजेंसी में गाड़ी में डीजल खत्म हो भी गया तो नजदीकी वर्कशॉप से डीजल लिया जाता था, लेकिन जब से बाहर के पंप से डीजल खरीदा जा रहा है तो तब से डीजल चोरी होने की शिकायतें भी ज्यादा आने लगी है।

इमरजेंसी में बढ़ जाती हैं दिक्कत

सबसे बड़ी परेशानी तो इमरजेंसी के समय आ रही है। कई बार डीजल खत्म होने की दशा में परिवहन निगम की रोडवेज रास्ते पर ही खड़ी हो जाती हैं। जो अक्सर देखने को मिल भी रहा है। क्योंकि निगम ने अपनी बसेज के संचालन के लिए कुछ चुनिंदा पंप से डीजल खरीदने का अपने ऑपरेटर्स को अधिकार दिया है। ऐसे में इमरजेंसी पड़ने पर रोडवेज का ड्राइवर या कंडक्टर किसी नजदीकी पंप से भी डीजल नहीं खरीद सकता है।

'काफी समय से निगम अपनी रोडवेज के संचालन के लिए बाहर के पंप से डीजल खरीद रहा है। क्योंकि आईओसी से थोक में हमें डीजल मंहगा पड़ रहा है। थोक में डीजल खरीदने पर हमें करोड़ों रुपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। इस संबंध में हम सेंट्रल गवर्नमेंट से भी पत्र व्यवहार कर चुके हैं, लेकिन कोई सॉल्यूशन नहीं निकल पाया है।

-दीपक जैन, महाप्रबंधक संचालन और तकनीकी, उत्तराखंड परिवहन निगम