- रोडवेज की ओर से 33 ट्रैवलर बसों को चिन्हित कर एफआईआर के लिए भेजा गया

- ट्रैवलर बसों के संचालन से रोडवेज को प्रतिदिन लग रही पांच लाख की चपत

- कमिश्नर व डीएम की फटकार के बाद फिर चला डग्गामारों के खिलाफ डंडा

GORAKHPUR: रोडवेज की नाक के नीचे खुलेआम चलने वाली प्राइवेट ट्रैवलर बसों के दिन अब पूरे हो गए। मंगलवार को कमिश्नर व डीएम की फटकार के बाद आरटीओ से लेकर रोडवेज तक के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। एक ओर जहां आरटीओ अधिकारी सड़कों पर उतरकर अवैध रुप से चलने वाली गाडि़यों पर कार्रवाई करने में जुटे नजर आए, वहीं दूसरी ओर आनन-फानन में रोडवेज ने भी 33 प्राइवेट ट्रैवलर को चिन्हित कर उनपर एफआईआर के लिए अधिकारियों को भेज दिया है। इससे अब जल्द ही यहां से चलने वाली ट्रैवलर मिनी बसों पर काईवाई होगी।

महीने में डेढ़ करोड़ का चपत

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के निर्देश पर लगातार परिवहन विभाग का राजस्व बढ़ाने की बात कही जा रही है। मगर स्टेशन से ही अवैध तौर पर संचालित हो रहे वाहन रोडवेज की अर्निग पर लगातार डाका डाल रहे हैं। इससे निगम प्रशासन के अधिकारियों के माथे पर बल पड़ने लगा है। तमाम कोशिशों के बावजूद भी आरटीओ को खुली चुनौती देते हुए रेलवे स्टेशन से खुलेआम चलने वाली सिर्फ प्राइवेट ट्रैवलर बसों से रोडवेज को प्रति माह डेढ़ करोड़ के राजस्व की चपत लग रही है।

35 परसेंट सीट खाली

गोरखपुर डिपो के एआरएम महेश चंद के मुताबिक डिपो के निगम की कुल 22 एसी बसें संचालित हो रही हैं। इन 22 बसों में 65 प्रतिशत ही सवारी सफर कर रहे हैं, जबकि 35 प्रतिशत सीटें खाली होती हैं। एआरएम ने प्रशासन को भेजे गए पत्र में लिखा है कि चूंकि इन ट्रैवलर बसों के हॉकर रास्ते में ही सवारियां भर लेते हैं। इससे अधिकांश पैसेंजर्स डिपो तक नहीं पहुंच पाते हैं। निगम को प्रतिदिन करीब पांच लाख और महीने में डेढ़ करोड़ की चपत लग रही है।

तो नपेंगे आरटीओ

मंगलवार को शहर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए कमिश्नर ने अधिकारियों की बैठक बुलाई। बैठक में कमिश्नर पी। गुरु प्रसाद डीएम ओएन सिंह ने साफ तौर पर आरटीओ को कहा है कि अगर एक भी प्राइवेट बसों से एक्सिडेंट की घटनाएं हुई तो आरटीओ ही नपेंगे। इसके अलावा दोनों अधिकारियों ने आरटीओ से शहर में चल रहे काले ऑटो पर भी जमकर फटकार लगाई और शहर में अवैध रुप से चलने वाली डग्गामार बसों से लेकर ट्रैलवर तक पर तत्काल शिकंजा कसने का निर्देश दिया है। इस मीटिंग के बाद से ही आरटीओ और रोडवेज के अधिकारी डग्गामार बसों व ट्रैवलर बसों पर शिकंजा कसने में जुट गए हैं।