- गुलरिहा एरिया के भटहट में पुलिस चौकी से 200 मीटर की दूरी पर हुई वारदात

- चौकीदार के कहने पर भी नहीं गई चौकी की पुलिस तो यूपी-100 को सूचना देने का भी नहीं हुआ कोई फायदा

GORAKHPUR: यूपी-100 के जरिए क्राइम को रोकने का दावा पुलिस की कारगुजारी से कुछ ही दिनों में टाय-टाय फुस्स हो गया है। 15 से 20 मिनट में पहुंचने का दावा करने वाली यूपी-100 की गाड़ी घंटों बाद नहीं पहुंच रही तो इससे भी आगे जाकर थाने व चौकी पर तैनात पुलिस सूचना मिलने के बाद भी मौके पर जाना गंवारा नहीं समझती। सोमवार की रात पुलिस ने हद ही कर दी। गुलरिहा एरिया के भटहट कस्बे में पुलिस चौकी से महज दो सौ मीटर की दूरी पर आठ बदमाश घंटों लूटपाट करते रहे, फायरिंग कर आराम से चलते बने लेकिन सूचना के बाद भी चौकी से पुलिस नहीं हिली। यहां तक कि कस्बे में पहरा देने वाले नेपाली चौकीदार ने चौकी पर पहुंचकर भी सूचना दी लेकिन पुलिस सोती रही। मौके पर पुलिस पहुंच गई होती तो वारदात न होती।

डकैतों ने बोला धावा

भटहट बांसथान रोड पर जेपी काम्पलेक्स में कई दुकानें हैं। काम्पलेक्स में गुप्ता ज्वेलर्स नाम से परसौना, मोहम्मद बरवा निवासी अवधेश गुप्ता की ज्वेलरी शॉप है। सोमवार की रात करीब ढाई बजे शटर का ताला तोड़ने की आवाज सुनकर वहां रखवाली करने वाला चौकीदार जगत बहादुर पहुंचा। वहां कई बदमाशों को ताला तोड़ते देखकर वह डर गया। कुछ दूरी पर चाय की दुकान में सो रहे चाय दुकानदार सोनू को जगाकर जानकारी दी। चाय दुकानदार ने अवधेश को कॉल कर उनकी दुकान में चोरी करने की सूचना दी।

तब भी पुलिस नहीं पहुंची

सूचना मिलते ही अवधेश ने पुलिस को सूचना दी लेकिन उस पर यकीन नहीं किया। पिता फौजदार और भाई राकेश के साथ बाइक से कस्बे में पहुंचे। सूचना देने वाले सोनू को लेकर साथ लेकर दुकान पर पहुंच गए। तब तक पुलिस नहीं पहुंची थी। काम्पलेक्स में घुसते ही बदमाशों ने उनपर धावा बोल दिया। अवधेश के पिता फौजदार के गले पर चाकू रखकर उनको कब्जे में कर लिया। बाहर खड़े अवधेश, राकेश और सोनू दौड़े तो दुकान के भीतर मौजूद तीनों बदमाशों ने आपस में कोडवर्ड में कुछ बात की। इसके बाद इधर-उधर छिपे अन्य बदमाशों ने ईट से तीनों पर हमला बोल दिया। ईट लगने से अवधेश और सोनू का सिर फट गया लेकिन इसके बाद भी वे डटे रहे। पकड़े जाने के डर से बदमाशों ने गोलियां दागी। अंधेरे में छिपे अवधेश बाल-बाल बच गए। शोर शराबा होने पर लोग जुटे तो बदमाश फायरिंग करते हुए फरार हो गए।

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पुलिस पहुंचती तो पकड़े जाते बदमाश

ज्वेलरी शॉप में धावा बोलने के पहले बदमाशों ने बैलो रोड पर तीन अन्य दुकानों के ताले तोड़ने की भी कोशिश की थी। तब कस्बे में पहरा दे रहे नेपाली युवक ने विरोध किया। बदमाशों ने उस पर हमला करने की कोशिश की तो वह भागकर चौराहे पर पहुंच गया। वहां मौजूद पुलिस कर्मचारियों को वारदात होने की सूचना दी। चौकी पर मौजूद सिपाही ने दरोगा के क्वार्टर पर होने की बात कहकर मौके पर जाने से इनकार कर दिया। उधर, दुकानदार की सूचना पर यूपी-100 भी नहीं पहुंची और डकैती होते रहने दिया।

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दीवान ने गोली की आवाज सुनी थी

रात में वारदात की सूचना मिलने पर भी नहीं पहुंचने वाली पुलिस मंगलवार को सुबह पहुंचते ही डकैतों को शीघ्र पकड़ लेने का दावा करने लग गई। चौकी प्रभारी ने तो यहां तक कह दिया कि उनके दीवान ने गोली चलने की आवाज सुनी थी। इस पर लोग गुस्सा गए कि जब गोली चलने कि आवाज सुनी थी तो मौके पर क्यों नहीं पहुंचे? एसओ रामाशीष यादव ने लोगों को शांत कराया। हमेशा की तरह बदमाशों की गिरफ्तारी का आश्वासन देकर पुलिस वहां से चली गई।

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एक ही गैंग की करतूत

23 नवंबर की रात चिलुआताल एरिया के सिहोंरवा में भी बदमाशों ने लूटपाट की थी। भटहट और चिलुआताल में बदमाशों की मॉडस अप्रेंडी एक होने से पुलिस एक ही गैंग की करतूत मान रही है। जांच पड़ताल में पुलिस ने एलईडी, एक खोखा, शटर तोड़ने का सामान बरामद किया। ज्वेलर ने पुलिस को बताया कि 12 जनवरी की रात भी उनकी दुकान का ताला तोड़कर चोरों ने 25 हजार नकदी, 20 ग्राम सोने की ज्वेलरी गायब कर दिया था।

यह मिली समानता

- चिलुआताल एरिया की वारदात में बदमाशों ने ईट से हमला किया गुलरिहा में भी ईट चले।

- बदमाशों की फायरिंग में मौके पर 315 बोर के तमंचे का खोखा दोनों जगहों पर मिला।

- चिलुआताल में बदमाशों की तादाद चार से अधिक थी तो गुलरिहा एरिया में आठ बदमाशों ने धावा बोला।

- दोनों जगहों पर घटना में शामिल बदमाशों की उम्र 25-30 साल के बीच है।

- हमले के पहले बदमाश पू-पू करके कोड वर्ड में बात करते सुने गए हैं।

- दोनों जगहों पर बदमाश कैरीबैक टांगकर वारदात करने पहुंचे थे।

वर्जन

बदमाशों की तलाश में टीम लगाई गई है। उनके हमले में घायल लोगों के बयान के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।

रामाशीष सिंह यादव, एसओ, गुलरिहा

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तो किसलिए है पुलिस?

चौकी पर पहुंचकर और यूपी 100 पर सूचना दिए जाने के बाद भी पुलिस नहीं पहुंची। पब्लिक की सुरक्षा के लिए पुलिस को तनख्वाह, वर्दी और हथियार दिए जाते हैं लेकिन इन सबके साथ पुलिस अपनी 'बिल' में दुबकी रही और पब्लिक बदमाशों से मोर्चा लेती रही। यदि मौके पर पुलिस पहुंची होती तो पब्लिक का हौसला बढ़ गया होता और बदमाश भी घिर जाते। वारदात तो नहीं ही होता, बदमाश भी पकड़े जाते। लेकिन, पुलिस वारदात के अगले दिन बयान लेने पहुंची।