-बदमाश की जगह निर्दोष हलवाई मनोज कश्यप 7 माह रहा सलाखों के पीछे

-एडीजी के हस्तक्षेप के बाद बमुश्किल जेल से छूट सका था पीडि़त

>BAREILLY :

लूट और डकैती के आरोप में बेकसूर मनोज कश्यप को जेल भेजने की साजिश सुभाष नगर इंस्पेक्टर नरेश त्यागी और चौकी प्रभारी चमन गिरी ने रची थी। इस मामले पीडि़त ने सात महीने जेल की सजा भी काटी। भला हो, एडीजी का जिसके हस्तक्षेप के बाद वह सलाखों से बाहर आ सका। मामले की जांच कर रहे एसपी क्राइम ने अपनी रिपोर्ट में दोनों अधिकारियों को दोषी ठहराया है। ऐसे में, इन दोनों पर विभागीय कार्रवाई होना तय है, लेकिन बड़ा सवाल है कि बिना अपराध के जेल में मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना के अलावा चरित्र पतन का दंश झेलने वाले पीडि़त को कैसे न्याय मिलेगा।

सत्यापन किए बगैर लगा दी थी चार्जशीट

ज्ञात हो कि 14 अक्टूबर को 2017 इज्जतनगर पुलिस ने सुभाषनगर के जज साहब के अहाता निवासी हलवाई का काम करने करने वाले मनोज कश्यप को लूट व डकैती में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बाद मुकदमे में चार्जशीट भी लगा दी थी। सात माह तक बेकसूर मनोज जेल की हवा खाता रहा। इस दौरान पता चला कि पुलिस ने जिस मनोज को जेल भेजा है वह तो बेकसूर है। असली बदमाश तो उसी के मोहल्ले का मनोज नाम का दूसरा है। दोनों के नाम व पिता के नाम एक होने के बावजूद गिरफ्तार करने वाले एसआई चमन गिरी व इंस्पेक्टर नरेश त्यागी ने भौतिक सत्यापन के बिना ही उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था। हालांकि, मामला उछलने पर पुलिस बैकफुट पर आ गई। अधिकारियों ने जांच के साथ ही बेकसूर हलवाई को बाहर निकालने के आदेश जारी कर दिए। इसके बाद इंस्पेक्टर संजय सिंह ने हलवाई मनोज के खिलाफ सप्लीमेंट्री दाखिल की तो पांच जून को बेकसूर हलवाई जेल से छूटा। वहीं एक जुलाई को पुलिस ने बदमाश मनोज कश्यप को गिरफ्तार कर जेल भेजा। एसपी क्राइम रमेश कुमार भारतीय ने जांच पूरी कर एसआई व इंस्पेक्टर की कार्रवाई को गलत बताते हुए एसएसपी को रिपोर्ट सौंपी है। जिसके बाद दोनों पर गाज गिरनी तय है।