बीबीसी से बात करते हुए रोएमर ने कहा कि ज़रूरत इस बात की है कि दोनों ही पक्ष जल्द से जल्द इस मामले को खत्म करें और आगे बढ़ें.

उनका कहना था कि भारत में राजदूत के रूप में काम करने के बाद वो विश्वास के साथ कह सकते हैं कि राष्ट्रपति ओबामा भारत की बेहद इज़्ज़त करते हैं, विदेश मंत्री जॉन केरी ने भारत से संपर्क किया है, उप-राष्ट्रपति बाइडन कुछ ही समय पहले भारत से लौटे हैं और यहां की दोनों पार्टियां, रिपब्लिकन और डेमोक्रैट्स, भारत को बेहद महत्व देते हैं.

रोएमर का कहना था, “ये एक घटना भारत और अमरीका के रिश्तों को परिभाषित नहीं कर सकती.”

उनका कहना था कि न्यूयॉर्क में जो हुआ उसकी जल्द से जल्द पूरी जांच हो और उसकी तह तक पहुंचा जाए.

भारत-अमरीका रिश्ते

रोएमर ने कहा कि अमरीका चाहता है कि जो लोग यहां रहें वो अमरीकी कानून का सम्मान करें, लेकिन अमरीका की ये भी नीति है कि हम लोगों के साथ इज़्ज़त और सम्मान के साथ पेश आएं.

रोएमर का कहना था कि भारत और अमरीका अभी बहुत सारे महत्वपूर्ण चीज़ों पर मिलकर काम कर रहे हैं और इस घटना को उस पर हावी नहीं होने देना चाहिए.

न्यूयॉर्क वाणिज्य दूतावास में उप वाणिज्य दूत के पद पर कार्यरत देवयानी खोबरागड़े को वीज़ा नियमों में धोखाधड़ी और ग़लतबयानी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.

लेकिन उसके बाद उनके बार-बार कहने पर भी उनसे राजनयिकों की तरह नहीं बल्कि एक आम क़ैदी की तरह बर्ताव किया गया.

उन्हें निर्वस्त्र करके शरीर के हर हिस्से की तलाशी ली गई.

भारतीय राजनयिक मामले में ग़लती हुई: रोएमर

विदेश विभाग की प्रवक्ता ने भी कहा है कि इस पर ग़ौर नहीं किया गया है लेकिन इस तबादले के लिए भी भारत को अमरीकी मंज़ूरी की ज़रूरत होगी.

जॉन केरी ने भारतीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन से टेलीफ़ोन पर बात की है और इस घटना पर अफ़सोस ज़ाहिर किया है.

लेकिन विदेश विभाग की प्रवक्ता का ये भी कहना है कि इस क़ानूनी कार्रवाई के बारे में केरी को पहले से जानकारी थी.

अपने सहयोगियों को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा है, “कई बार मेरे आंसू निकल पड़े जब मेरे साथ इस तरह की बदतमीज़ी हुई, हथकड़ी पहनाई गई, निर्वस्त्र करके शरीर के कोने-कोने की तलाशी ली गई, आम अपराधियों और नशेड़ियों के साथ रखा गया और ये बार-बार मेरे कहने के बावजूद कि मुझे राजनयिक के तौर पर इम्यूनिटी मिली हुई है.”

राजनयिक का तबादला

भारत सरकार ने देवियानी का तबादला संयुक्त राष्ट्र स्थित उच्चायोग में कर दिया है, जहां राजनयिकों को वाणिज्य दूतों से कहीं ज़्यादा अधिकार मिलते हैं.

लेकिन क्या इससे उनके ख़िलाफ़ चल रहा केस खत्म हो सकता है? टिम रोएमर का कहना था कि ये फ़िलहाल आसान नहीं होगा.

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