पटना में जहां दो प्रेमियों ने थाने में ही ब्याह रचा लिया (https://www.inextlive.com/marriage-at-police-station-201207100023) वहीं बनारस में प्यार की दास्तान का खौफनाक अंत हुआ। पढे पूरी रिपोर्ट

बनारस से 15 किलोमीटर दूर बैरवन

बनारस शहर से कोई 15 किलोमीटर दूर है रोहनिया थाने का गांव बैरवन। शनिवार को यहां एक लड़की की मौत होती है। पूरा इलाका इसे सुसाइड मानता है। वजह बतायी गयी आशिक से उसका ब्रेकअप होना। इसमें पंचायत से लेकर पुलिस तक की अपनी भूमिका थी। आई नेक्स्ट को इस पर यकीन नहीं हुआ। पड़ताल की तो पता लगा अरे, आत्महत्या नहीं ये तो हत्या का मामला है। और इस साजिश का गुनाहगार पूरा गांव है। चौंकाने वाली ये खबर हम लाए हैं सिर्फ आपके लिए, वो भी पक्के सबूत के साथ

ये तो खाप से भी निर्दयी निकले

घर छोड़ कर आ गयी थी अजय के घर, गंूगे बन खड़े थे तमाशबीन। सुबह जब इस खबर की पड़ताल में हम निकले थे तब भी इसके इस अवतार में नमूदार होने का अंदेशा नहीं था। हम भी औरों की तरह इसे सुसाइडल केस, पर जरा हट के समझ रहे थे। रोहनिया थाने से चंद किलोमीटर दूर जीटी रोड पर लबे सड़क बसा तडिय़ा गांव और उससे दो किलोमीटर दूर बाई पास के उस पार रेलवे लाइन क्रॉस करने के बाद बसा बैरवन गांव। ये दोनों गांव आज पूरे इलाके में जैसे लैला-मजनूं के पुरहन की तरह चर्चित हो गये हैं। शनिवार की अलसुबह बैरवन की रहने वाली सीमा पटेल ने चलती ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या कर ली थी। नगर निगम के चुनाव परिणामों की खबर के बीच ये न्यूज दब कर रह गयी थी। हां, हल्का से ये जिक्र जरूर हुआ था कि उसने आशिकी में जान दे दी है। उसमें थोड़ा ट्विस्ट ये था कि गांव में बिरादरी के लोगों ने पुलिस के साथ मिल कर उसके इश्क में ब्रेकअप करा दिया था।

ये तो चौंकाने वाली बात थी
चुनावी खबरों के बीच भी हमें ये हजम नहीं हो रहा था। सो सोमवार को हम जा धमके तडिय़ा स्थित अजय चौहान के घर। घर पर खाट पर लेटे पड़े थे अजय के पिता जय सिंह चौहान। आसपास वालों को भी खबर हो गयी कि कोई मीडिया वाले आए हैं। शहर पढऩे के लिए आने वाले नौजवान भी जुट गये। वो आई नेक्स्ट के बारे में जानते थे। हमने उन्हें कुरेदा तो खुल कर बोलने लगे। तब तक अजय की मां भी बाहर आ गयीं। हां, अजय का कहीं पता नहीं था। पूछा तो पता चला कि उसे कहीं हटा बढ़ा दिया गया है। मुसहर बिरादरी का ये परिवार देखने से ही दीन, हीन लग रहा था। पता चला कि जय और अजय मजदूरी कर के दो जून की रोटी का इंतजाम करते हैं। किसी को इसके लिए शहर तक की दौड़ लगानी पड़ती है तो किसी का जुगाड़ गांव में ही हो जाता है। अजय की मां जगरानी से उस रात के बारे में पूछा तो पहले वह हिचकिचाई, फिर उसने ये कह कर चौंका दिया कि भइया, लड़किया के त ओकरे घर वाले मार डलनन।
 
मुंह अंधेरे घर छोड़ आयी थी
जगरानी को इसके बाद कुछ कहना नहीं पड़ा। वो खुद ब खुद बोलती चली गयी। शुक्रवार को सीमा भोर में ही घर छोड़ कर आ गयी थी। उसने पास ही के हनुमान जी के मंदिर पर अजय के साथ जीने, मरने की कसमें खायीं। अजय ने भी उसकी मांग में सिन्दूर भर कर अपना बना लिया था। दोनों जब घर पहुंचे तो उस वक्त अंधेरा ही था। जगरानी ने उसे पूछा भी कि ये तुमने क्या किया? मैं तो तुम्हें अपना लूंगी लेकिन क्या तुम्हारे मां-बाप को ये गवारा होगा? इस पर लड़की ने बिंदास अंदाज में जवाब दिया था कि मैं अब अजय के बिना जी नहीं सकूंगी। अजय दर्जा आठ पास है जबकि सीमा इलाके के लाल बहादुर शास्त्री इंटर कॉलेज में 12 की छात्रा थी। उसे इस बात का भी खौफ नहीं था कि उसके घर के लोग अजय और उसे जिंदा नहीं छोड़ेंगे। अजय के परिवार वालों के लाख समझाने के बावजूद उसने घर से बाहर निकलने से इनकार कर दिया। अजय भी उसका हाथ थामे खड़ा रहा।

आ धमका पूरा बैरहन
दिन चढऩे के साथ पूरे इलाके में लड़की के घर छोड़ कर भाग जाने की खबर फैल गयी। बैरहन में चंूकि कई दिनों से लोग इस बात को लेकर बात कर रहे थे। सीमा के पिता ने भी सुबह बेटी के अचानक घर से गायब हो जाने पर उसकी तलाश शुरू की। बेटी की तलाश में मदद की ग्राम प्रधान से मिन्नत की। बड़ी चिरौरी के बाद प्रधान लालबिहारी फौजी साथ चलने को राजी हुए। कई लोगों को साथ लेकर वे सब तडिय़ा गांव जा धमके। अचानक कई दर्जन लोगों को देख तडिय़ा के लोग भी जुट गये। इलाके के तमाम मानिंद लोगों को बुलाया गया। पंचायत बैठी। सबने सीमा को समझाया। बिरादरी का वास्ता दिया। कहा, पटेलों की नाक कट जाएगी। पटेलों के आगे मुसहरों की क्या बिसात, जैसे जुमले कहे गये। लेकिन सीमा ने एक न सुनी। वो अजय का हाथ थामे सिर्फ यही कहती रही कि रहूंगी तो बस अजय के साथ।

चोटी पकड़ के घसीटा गया
ग्राम प्रधान सहित इलाके के तमाम तथाकथित मनिंद लोगों ने अपना हर दांव अपनाया लेकिन जब देखा कि सीमा नहीं मानेगी तो उसे उसके हाल पर छोड़ देने का सीमा के पिता को मशविरा दे कर लोग चलने लगे। तभी सीमा के पिता ने साथ आये युवकों को ललकारा कि उसे उठा ले चलो। बस फिर क्या था, बैरवन के नौजवान पटेल मेरठ मुरादाबाद की खाप बिरादरी से क्रूर हो उठे। उन्होंने सीमा को पहले तो हाथ पकड़ कर खींचा। फिर बात नहीं बनी तो गोद में उठाने लगे। फिर जब वो हाथ, पैर मारने लगी तो भरे समाज के बीच उसे चोटी पकड़ कर घसीटा गया। इससे नाराज अजय ने विरोध भी किया। उसने कहा कि वह उसे ऐसे जाने नहीं देगा। अगर सीमा जाएगी तो अपनी इच्छा से। इस पर कुछ लोगों ने उसे धक्का दे दिया। और घसीट कर ले जाने लगे।

चली आयी पुलिस भी
मामले और भीड़ को बढ़ता देख ग्राम प्रधान बैरवन ने पहले तो रोहनिया थाने पर फोन किया। लेकिन किसी के वहां न पहुंचने पर उन्होंने 100 नंबर पर डायल कर इलाके में बवाल की सूचना दी। थोड़ी ही देर में दो जवानों के साथ एसओ रोहनिया भी आ पहुंचे। उन्होंने भी पंचायत के साथ सीमा को समझाया। इसी बीच पुलिस की मौजूदगी में सीमा को उसके घर वाले जबरन उठा ले गये। उधर पुलिस ने बगैर किसी की तहरीर के अजय को शांतिभंग की धारा में गिरफ्तार कर लिया और थाने पर ले आयी। बाद में उसका चालान कर दिया। हां, इसके पहले ग्राम प्रधान की पहल पर दोनों पक्षों के बीच एक सुलहनामा लिखवाया गया।

ये तो सुसाइडल नोट है
इस सुलहनामे को कोई पढ़े तो उसे एकबारगी सुसाइडल नोट कहा जाएगा। इसकी भाषा, उसमें लिखी गयी शर्तें और फरमान बिल्कुल तालिबानी है। इस सुलहनामे का दिलचस्प पहलू ये रहा कि इसमें दोनों पक्षों के अलावा किसी और ने दस्तखत करना जरूरी नहीं समझा। शायद उन्हें इसके बाद इस मामले के चरम परिणति का जैसे अंदाज रहा होगा। उसमें लिखा है कि अब इसके बाद अगर कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी दोनों पक्षों के घर वालों की होगी।

घर वालों ने मारा है बेटी को
उस दिन सीमा को अपने साथ ले जाने के बाद उसके घर वालों ने अजय को धमकी भी दी थी कि उस तरफ आना नहीं। अजय तो वहां नहीं गया लेकिन उसके पास सीमा के मौत की खबर जरूर आ गयी। अजय के परिवार वालों के अलावा गांव के लोगों का कहना है कि सीमा ने सुसाइड नहीं किया, उसकी हत्या उसके घर वालों ने की है। सीमा के शव को देखने वालों का कहना था कि उसके शरीर पर जख्म थे। उसकी नाक और मुंह से खून निकला हुआ था। देखने से साफ जाहिर हो रहा था कि उसे कहीं और मारने के बाद रेल लाइन पर लाकर उसकी लाश ठिकाने लगा दी गयी। अब अजय और उसके घर वालों पर इलाके के पटलों का खौफ है और वे उसमें जीने को मजबूर हैं. 

अच्छा हुआ मर गई
सीमा को समझाने का बार-बार प्रयास किया गया। पंचायत हुई लेकिन बात नहीं बनी तो पुलिस को मैंने ही 100 नंबर पर सूचना दी। सूचना के बाद पुलिस आई और दोनों को साथ लेकर चली गई। सुबह लोगों ने बताया कि भग्गू का बिटिया ने ट्रेन के आगे कूद कर जान दे दी। ये सुनकर मेरे न से यही निकला, अच्छा भयल मर गयल। बवाल कटल।
लाल बिहारी फौजी, ग्राम प्रधान

जो हुआ ठीक नहीं हुआ

मैं पंचायत में था तो जरूर लेकिन अजय व सीमा को अलग करने के पक्ष में नहीं था। इसके बाद भी उनको अलग किया गया। इसी वजह से सीमा ने सुसाइड कर ली। गांव में ऐसा कल्चर नहीं होता लेकिन शहर से छोड़ी हुई चीजों को गांव में लोग एडॉप्ट करते हैं, इसके चलते ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
फूलचंद पटेल, प्रिंसिपल           
 
साफ नहीं है पुलिस का दामन
सीमा और अजय के प्यार के बीच में अगर पंचायत और घर वालों ने रोड़ा डाला था तो सीमा की मौत के बाद उससे कहीं ज्यादा पेंच पुलिस ने फंसाया था। इस बात की तस्दीक सीमा की मौत के दो दिनों बाद भी उसकी पीएम रिपोर्ट के स्पष्ट न होने से क्लीयर हो रही है। पुलिस की बातों पर गौर करें तो रोहनिया के बैरवन गांव की सीमा ने अपने प्रेमी अजय से जुदा होने पर ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी थी। लेकिन ये मामला सुसाइड कम आनर किलिंग का ज्यादा लग रहा है। वो इसलिए क्योंकि जब हमने रोहनिया एसओ से सीमा की पीएम रिपोर्ट के बारे में पूछा तो उनका जवाब था कि पीएम रिपोर्ट की असल कापी उनको मिली ही नहीं है लेकिन ये सुसाइड है।

क्या भाई साहब आप भी
Varanasi: रोहनिया एसओ धर्मवीर से जब इस पूरे मसले में पुलिस की भूमिका के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि गांव में जिस समय पंचायत चल रही थी, उसकी सूचना मिलने पर हम ही वहां पहुंचे थे। चूंकि गांव में शांति भंग होने की आशंका थी इसलिए अजय का धारा 151 में चालान किया गया था जबकि लड़की को थाने से रात ही में उसके घर वालों के साथ भेज दिया गया था। जब एसओ से पूछा गया कि सीमा की पीएम रिपोर्ट में क्या आया है तो उनका कहना था कि पीएम रिपोर्ट तो आ गई है लेकिन मुझे उसकी असल कापी नहीं मिली है। इसलिए ये साफ नहीं कह सकता कि पीएम रिपोर्ट में क्या है। लेकिन सीमा के जान देने के दौरान वहां दूर-दराज में जो लोग मौजूद थे, उन्होंने पुलिस को बताया कि सीमा ट्रेन के आगे कूदी थी इसलिए ये एक्सिडेंट है। एसओ से इस मौत को जब आनर किलिंग से जोड़ा गया तो उनका कहना था कि भाई साहब आप भी मजाक करते हैं। ये सुसाइड है। कोई अपनी बेटी को थोड़ी न मारेगा।

सुप्रीम कोर्ट भी कहता है, बालिग हैं तो रहे साथ
Varanasi: पुलिस और पंचायत ने जिस तरह से दो प्यार करने वाले बालिग कपल को अलग किया वो कहीं न कहीं से माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गौर करें तो बालिग होने की दशा में एक लड़का और लड़की अपने मन से शादी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, कोर्ट के मुताबिक अगर लड़का या लड़की शादी न कर साथ में रहना चाहें तो भी वो लीव इन रिलेशनशिप के तहत ताउम्र एक साथ रह सकते हैं। लेकिन पुलिस और पंचायत ने अजय और सीमा के बालिग होने के बावजूद दोनों को अलग कर दिया।

ये ऑनर किलिंग है तो एलार्मिंग है
Varanasi: कानून के जानकार इस पूरी घटना को सुसाइड नहीं ऑनर किलिंग ही मान रहे हैं। अगर एडवोकेट्स की बातों पर गौर करें तो ये घटना पूर्वांचल में ऑनर किलिंग की दस्तक के रूप में सामने आई है। अगर ऐसा हुआ है तो प्रशासन को चेत जाना चाहिए, नहीं तो आज एक घटना हुई है कल कई होंगी और आने वाले वक्त में पूर्वांचल में भी तालिबानी हुकूमत की तर्ज पर पंचायतें फैसले लेने लगेंगी।

घर वाले आ सकते हैं कानून के घेरे में

जिस तरह से सीमा की मौत हुई है उससे सीमा का परिवार कटघरे में आ खड़ा हुआ है। अजय की मां जगरानी के मुताबिक वो बेटे की शादी सीमा से करने को तैयार थी लेकिन सीमा के मां-बाप ही उसे जबरन अपने साथ ले गए। इस बारे में कानून के जानकारों की मानें तो ये हत्या का केस हो या न हो, मगर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस जरूर बनता है। जिस तरह से सीमा के परिवार ने उसको बालिग होने के बावजूद प्रेमी से जुदा किया उससे सीमा सुसाइड करने पर मजबूर हो गई और रेल ट्रैक के आगे कूदकर जान दे दी। अगर ऐसा हुआ है तो सीमा के परिजनों समेत पंचायत के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत आईपीसी की धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

Experts says

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अगर ये आनर किलिंग का प्रकरण है तो इस मामले में हत्या यानी 302 व साक्ष्य को मिटाने के आरोप में आईपीसी की धारा 201 का केस दर्ज होगा जबकि आत्महत्या होने पर घर वालों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
विजय शंकर श्रीवास्तव, सीनियर एडवोकेट
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सुसाइड नहीं ये तो हत्या है। क्योंकि आज हर कोई अपनी सोच बदल रहा है लेकिन समाज के कुछ लोग जात-पात को आज भी तव्वजो दे रहे हैं। यही वजह है कि सोसाइटी में यंग जेनरेशन की पसंद पर हामी भरने के बाद भी पेरेंट्स समाज के डर से उनके मन की नहीं कर पाते हैं और बदले में यूथ को सुसाइड जैसा स्टेप उठाना पड़ता है।
डॉ। रेखा, समाजशास्त्री
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आज का यूथ बदलते जमाने की दौड़ में अपने मन की करना चाहता है। यही वजह है कि जब उसको उसके मत मुताबिक चीजें नहीं मिलतीं तो वो सुसाइड जैसे कदम उठाता है। यूथ अपनी वैल्यू को इम्पॉर्टेंट देता है दूसरों की नहीं। यही वजह है कि आज की पीढ़ी में पेशेंस की बेहद कमी है।
डॉ। मधुलिका शर्मा, काउंसलिंग साइकॉलजिस्ट

Report by: Vishwnath Gokarn & Gopal Mishra