बैनर, पोस्टर नहीं पढ़ाई में जुटे स्टूडेंट्स
एसयू इलेक्शन लड़ने की चाह मन में लिए स्टूडेंट्स ने स्टूडेंट्स लीडर बनने की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। उन्हें यह बात पता है कि अगर उन्हें एसयू लीडर बनना है तो इसके लिए न सिर्फ उन्हें पढ़ाई में तेज होना पड़ेगा, बल्कि इलेक्शन से ठीक पहले होने वाले कक्षा प्रतिनिधि के टेस्ट को भी क्वालिफाई करना होगा। इसके लिए स्टूडेंट्स बैनर, पोस्टर से दूर होने वाले एग्जाम की तैयारियों में जुट गए हैं। एग्जाम को पास करने के बाद ही वह अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और मंत्री के लिए नॉमिनेशन कर सकता है और वह दूसरे दौर में पहुंचता है। इसमें कैंडिडेट्स को क्वालिफाइंग स्पीच एग्जाम से गुजरना पड़ता है। स्पीच देने के लिए उसे 10 मिनट का वक्त दिया जाता है, स्पीच क्वालिफाई करने के बाद ही वह इलेक्शन में कैंडिडेट्स हो सकता है।

हर क्लास से एक प्रतिनिधि
कॉलेज में सब्जेक्ट्स और सेक्शन के अकार्डिंग प्रतिनिधियों का सेलेक्शन किया जाता है। इसमें ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल पर जितने क्लासेज और सेक्शन होंगे उतने ही प्रतिनिधि चुने जाएंगे। मौजूदा वक्त की बात करें तो कॉलेज में क्लासेज और सेक्शन की तादाद कुल मिलाकर 64 हैं, इसलिए इससे इतने ही प्रतिनिधि चुने जाएंगे। इन सभी सफल कैंडिडेट्स में जिन कैंडिडेट्स को इंटरेस्ट होगा, वह आगे की प्रक्रिया के लिए नॉमिनेशन कर सकता है।

तीसरी बार स्टूडेंट्स को मिलेगा वोटिंग का मौका
महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ। प्रदीप राव ने बताया कि यह तीसरा मौका होगा जब कॉलेज के स्टूडेंट्स अपने रिप्रेजेंटेटिव का चुनाव करेंगे। इससे पहले कॉलेज में अलग रूल्स थे। 2006 से ही कॉलेज में स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन कॉलेज के अकॉर्डिंग हो रहे हैं। इसमें सबसे पहले कॉम्पटीशन के माध्यम से इलेक्शन होते थे। कॉलेज में जिसका सबसे ज्यादा मार्क्स आता था वह ही छात्रसंघ का अध्यक्ष चुना जाता था। लेकिन बाद में हुई आम सभा की बैठक में इसे थोड़ा मॉडिफाई किया गया और हर क्लासेज से रिप्रेजेंटेटिव चुने जाने लगे चुनाव में वोट डालने के एलिजिबिल थे। 2010 में हुई आम सभा की बैठक में इसे थोड़ा और मॉडिफाई करते हुए स्टूडेंट्स को भी वोट डालने का मौका दे दिया गया।

फॉलो की जाती है आचार संहिता
सांसद और विधायक के नॉमिनेशन के लिए होने वाले बड़े इलेक्शन की तरह कॉलेज में भी आचार संहिता फॉलो की जाती है। आचार संहिता इलेक्शन के डिक्लेरेशन के साथ ही स्टार्ट हो जाती है। अगर कोई कैंडिडेट इसको तोड़ता हुआ पाया जाता है तो उसे इलेक्शन से डिसक्वालिफाई कर दिया जाता है। इसमें कैंडिडेट्स को पोस्टर, बैनर, वॉल राइटिंग के साथ ही ऐसे सभी तरीको पर बैन होता है जिसमें पैसे खर्च होते हैं। इसके साथ ही ग्रुप में चलने, बाहरी लोगों को कैंपस में बुलाने पर इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया जाता है। प्राचार का एक मात्र तरीका क्वालिफाइंग स्पीच है।

देर से होंगे इलेक्शन
डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के रिजल्ट का असर इस बार एमपीपीजी के एसयू इलेक्शन पर भी पड़ेगा। हर साल अगस्त के लास्ट वीक में होने वाले इलेक्शन इस बार डीले होना तय हो गया है। एमपीपीजी कॉलेज के पीआरओ डॉ। प्रकाश प्रियदर्शी ने बताया कि अभी तक यूनिवर्सिटी के पूरे रिजल्ट डिक्लेयर नहीं हो सके हैं, इसकी वजह से कई क्लासेज में एडमिशन नहीं हो सके हैं। ऐसे में कक्षा प्रतिनिधि का चुनाव करवा पाना पॉसिबल नहीं है। इसलिए जब कॉलेज में एडमिशन हो जाएंगे, उसके बाद ही इलेक्शन होंगे।

 

report by : syedsaim.rauf@inext.co.in