- BHU में बोले सेंट्रल इंफॉरमेशन कमिश्नर प्रो। श्रीधर आचार्यलू

- 'सूचना का अधिकार व व्यवस्था की स्वच्छता' पर ऑर्गनाइज हुआ सेमिनार

VARANASI:

यदि लोग आवाज उठायें तो ं 'सब चलता है' की संस्कृति बीते दिनों की बात हो जायेगी। आरटीआई इसके लिए सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है। आज हर जगह स्वच्छता की बात चल रही है। गंगा की सफाई पर जोर दिया जा रहा है। 'व्यवस्था' की स्वच्छता के लिए गंगा की स्वच्छता जरूरी है। क्योंकि व्यवस्था स्वच्छ होगी तभी गंगा साफ होगी और देश साफ होगा। साफ से मतलब सुशासन से है। यह बातें शनिवार को सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिश्नर प्रो। श्रीधर आचर्यलू ने बीएचयू में कही। वह केएन उडप्पा ऑडिटोरियम में आयोजित 'सूचना का अधिकार व व्यवस्था की स्वच्छता' विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे।

जिम्मेदारी से कतरा रहे अधिकारी

उन्होंने आरटीआई पर कहा कि अधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को ठीक तरीके से नहीं निभा रहे हैं। जिसका खामियाजा आम नागरिक को भुगतना पड़ता है। उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले को रोकने व उनकी रक्षा के लिए ठोस कानून की जरूरत बताई। सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमीशन के सेक्रेटरी पंकज श्रेयस्कर ने आरटीआई की सीमाओं व क्षमताओं पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सवाल पूछने के पीछे सिर्फ दिमाग ही नहीं बल्कि आत्मा भी लगानी होगी। उत्तर प्रदेश के स्टेट इंफॉर्मेशन कमिश्नर सैय्यद हैदर अब्बास रिजवी ने आरटीआई के तकनीकी पक्ष पर जानकारी दी। कहा कि एक वर्ष में दो हजार से अधिक लंबित मामलों का निस्तारण किया गया है।

स्मारिका का हुआ विमोचन

इस अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। आरके मिश्र ने की। इस अवसर पर किरण संस्था की सिस्टर संगीता, मैग्सेसे विनर डॉ। संदीप पांडेय, प्रो। राकेश पांडेय, धर्मेद्र सिंह, अजय पटेल, वल्लभाचार्य पांडेय, राकेश सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए। संयोजन प्रो। पीके मिश्र, संचालन नंद लाल मास्टर, स्वागत धनंजय त्रिपाठी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ। अवधेश दीक्षित ने किया।