LUCKNOW: आरटीओ ऑफिस के बाहर काम करने वाले दलालों को लाइसेंस देने की तैयारी है। इसके लिए परिवहन विभाग के अधिकारी शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज चुके हैं। शासन परमीशन देता है तो इससे आवेदकों को बड़ी राहत मिल सकती है।

 

भीड़ का फायदा उठाते हैं दलाल

आरटीओ ऑफिस में डेली लगभग एक हजार लोग काम के लिए आते हैं। इनमें से बहुत से अपना काम कराने के लिए दलालों की सहायता लेते हैं। इस काम के लिए दलाल अच्छी खासी रकम वसूलते हैं। चार पहिया गाडि़यों के लिए लर्निग लाइसेंस फीस 450 रुपए तक है। लेकिन दलाल इसकी कीमत दो हजार रुपए तक वसूलते हैं। ऐसे में आवेदकों की ही जेब ढीली होती है और आरटीओ ऑफिस में एक व्यक्ति की जगह दो लोग काम के लिए पहुंचते हैं।

 

निर्धारित फीस से मिलेगी राहत

इसी के चलते परिवहन विभाग ने कुछ शहरों में दलालों को लाइसेंस देने की योजना तैयार की है। जिससे ना तो ऑफिस में भीड़ लगे और ना आवेदकों की जेब कटे। आरटीओ ऑफिस में दलाली करने वालों के साथ बैठक कर उन्हें लाइसेंस दिए जाएंगे। हर काम के लिए फीस डिसाइड की जाएगी जिससे कोई आवेदकों से ज्यादा शुल्क न ले सके। साथ ही यह भी तय किया गया है कि जो भी फीस निर्धारित होगी, उसमें कुछ प्रतिशत हिस्सा आरटीओ ऑफिस में दलालों को जमा करना होगा।

 

निरस्त होगा लाइसेंस

जो भी दलाल निर्धारित नियमों का उल्लंघन करेगा, उसका लाइसेंस निरस्त करने के साथ दूसरे को दे दिया जाएगा। जिन दलालों को लाइसेंस दिया जाएगा वह सिर्फ वही काम कर सकेंगे जिसके लिए उन्हें लाइसेंस दिया गया है।

 

इसमें नहीं मिलेगी छूट

आवेदकों के टेस्ट, प्रपत्रों की जांच, वेरीफिकेशन और गाडि़यों संबंधी सभी प्रशासनिक कार्य आरटीओ ऑफिस में तैनात अधिकारी और बाबू ही करेंगे। इसमें छूट दलालों को नहीं मिल पाएगी।

 

 

सर्वाधिक परेशानी लाइसेंस को लेकर होती है। इसके लिए जनसुविधा केंद्रों पर भी आवेदन भरने की अनुमति शासन से मांगी गई थी। साथ ही यह प्रस्ताव भी शासन भेजा गया है। इससे आरटीओ कार्यालय और आवेदकों दोनों को राहत मिलती।

गंगाफल, अपर परिवहन आयुक्त

सड़क सुरक्षा, परिवहन विभाग