-आरटीओ के सिटी ऑफिस में दलालों पर नहीं लग रहा लगाम

-प्रॉपर प्लान न होने के कारण खत्म नहीं हो रहा दलालों का नेक्सस

-ऑफिस में खुलेआम लूट रहे लोग

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आरटीओ में दलालों पर नकेल कसने के लिए ऑनलाइन प्रॉसेस लाया गया। कहा गया कि दलाल अब पब्लिक को काम कराने के नाम पर हलाल नहीं कर पाएंगे। दलालों पर नकेल कस दिया गया है। डिपार्टमेंट ने ड्राइविंग लाइसेंस चाहने वालों को ऑनलाइन टेस्ट देने का इंतजाम कर दिया है। यानि कि कंप्यूटर पर ट्रैफिक रूल्स से रिलेटेड क्वेश्चंस का आंसर दिए बगैर डीएल मिलने का सपना पूरा होने वाला नहीं है। इसके बाद भी सिटी ऑफिस में दलालों पर रोक नहीं लग पा रही है। वे खुलेआम ऑफिस पहुंचने वालों को अपने जाल में फंसा ले रहे हैं। और स्टार्ट हो जा रहा है डीएल बनवाने के नाम पर उन्हें ठगने का काम।

दावे का निकला दम

एक साल पहले ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने दलाली पर रोक लगाने के लिए ऑफिसेज को ऑनलाइन कर दिया। पर कुछ दिनों बाद ही कर्मचारियों से मिलीभगत कर दलालों ने इसका भी रास्ता निकाल लिया। बता दें कि कंप्यूटराइज्ड ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, टैक्स डिपोजिट के साथ ही डीएल चाहने वालों को ऑनलाइन टेस्ट देना होता है। इसके लिए सिटी ऑफिस में चार कंप्यूटर लगाए गए हैं। वहीं अन्य कार्यो के लिए भी कंप्यूटर लगे हैं। इतने के बाद भी ऑफिस पहुंचने वालों को आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने का झांसा देकर मनमाना पैसा ऐंठा जा रहा है। इसी चक्कर में उन्हें फेल तक करा दिया जा रहा है।

350 का ले रहे 1500

सिटी ऑफिस में भोले भाले लोगों से किस तरह ठगी हो रही है यह जानकर आपके पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी। जिस ड्राइविंग लाइसेंस के लर्निग को बनाने के लिए आरटीओ में 350 रुपये फीस के रूप में जमा होता है उसके लिए दलाल 1500 रुपये ले रहे हैं। जबकि टू-व्हीलर को चलाने के लिए लर्निग लाइसेंस का मात्र दो सौ रुपये ही जमा होता है। 350 रुपये में तो कार व टू-व्हीलर दोनों के लिए लर्निग लाइसेंस मिल जाता है। वहीं कार व टू-व्हीलर दोनों के परमानेंट डीएल के लिए 1000 व केवल टू-व्हीलर का डीएल चाहने वाले को 700 रुपये फीस देना होता है। अगर डिपार्टमेंट दलालों पर रोक लगा दे तो लोगों की जेब न कटे।

फेल से पास तक

डिपार्टमेंट में कर्मचारियों व दलालों का जबरदस्त गठजोड़ है। पैसा ऐंठने के लिए ये किसी हद तक चले जा रहे हैं। लर्निग लाइसेंस चाहने वालों को पहले फेल कर दिया जा रहा है। जब उनसे सेटिंग हो जा रही है तो उन्हें पास कर देने का खेल जोरों पर चल रहा है। सिचुएशन यह है कि टेस्ट देने वाला कंप्यूटर न भी जानता हो तो कोई बात नहीं। दलाल उसे पास करा दे रहे हैं। सोर्सेज के मुताबिक कंप्यूटर के सामने एप्लिकेंट के टेस्ट देने के लिए बैठते ही उसके पीछे दलाल खड़े हो जा रहे हैं। जो पूरा प्रॉसेस मिनटों में ही कम्प्लीट करा रहे दे रहे हैं। वहीं जिनकी दलालों से सेटिंग नहीं हो पा रही है वह फेल हो जा रहा है। जबकि नियमानुसार डीएल बनवाने वाले को कंप्यूटर पर अकेले ही बैठना है। उसके आसपास कोई नहीं होगा।

बंद हो गया कैमरा

कंप्यूटराइजेशन के अलावा ऑफिस में दलालों पर अंकुश लगाने के लिए सीसी कैमरा लगाया गया। लेकिन वह शोपीस बनकर रह गया है। यहां तक कि ऑनलाइन टेस्ट कराने के लिए सीसी कैमरे से लैस अलग केबिन बनाया गया। दावा किया गया कि इसमें एप्लिकेंट के अलावा दूसरों की एंट्री बैन होगी। बाहरी के एंट्री करते ही वे कैमरे में कैद हो जाएंगे। पर ऐसा नहीं है। कुछ दिन नजर रखने के बाद कैमरों ने भी आंख बंद कर लिया। इसके पीछे भी दलालों की कर्मचारियों से साठगांठ है। कैमरे कब ऑन होते हैं और कब ऑफ ये किसी को पता नहीं चल पता है। ऑफिसर्स को भी इसे देखने की फुर्सत नहीं है।

प्वाइंट टू बी नोटेड

-350 रुपये में कार व टू व्हीलर दोनों का लर्निग ड्राइविंग लाइसेंस

-200 रुपये में सिर्फ टू व्हीलर का लर्निग ड्राइविंग लाइसेंस

-1000 रुपये में कार व टू व्हीलर का परमानेंट डीएल

-700 रुपये में टू व्हीलर का परमानेंट डीएल

-डेली 60 से 70 लर्निग डीएल बनता है सिटी ऑफिस में।

-30 से 40 एप्लिकेंट डेली हो जाते हैं फेल

-फीस के नाम पर वसूला जाता है दोगुना रेट

-फेल होने वालों पर रहती है नजर

-कंप्यूटर न ऑपरेट कर पाने वाले भी हो जाते हैं पास

-गेट से ऑफिस तक दलालों का कब्जा

-कर्मचारियों की है मिलीभगत