-आरटीओ का दफ्तर बना लापरवाही का अड्डा

- यहां कभी भी गायब हो सकती है आपके व्हीकल्स की फाइलें

- फाइलों की सिक्योरिटी के लिए नहीं है कोई इंतजाम

GORAKHPUR: किराए के भवन में चल रहा आरटीओ ऑफिस पूरी तरह से लापरवाही का ऑफिस बन गया है। आलम यह है कि यहां रखे व्हीकल्स के डॉक्युमेंट्स देखरेख के अभाव में सड़ रहे हैं। इतना ही नहीं इन्हें कोई भी आसानी से गायब कर सकता है। हैरानी की बात यह है कि इन डॉक्युमेंट्स की सिक्योरिटी के लिए आरटीओ के पास कोई बैरियर नहीं है। थर्सडे को जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर आरटीओ दफ्तर पहुंचा तो वहां की स्थिति चौंकाने वाली थी।

गायब हुए डॉक्युमेंट्स तो कहां मिलेगा ब्योरा

रिपोर्टर जब आरटीओ दफ्तर में रखे व्हीकल्स के डॉक्युमेंट्स का जायजा लेने पहुंचा तो काम करने वाले कर्मचारियों के अलावा अन्य लोग आसानी से अंदर आते-जाते दिखे। वहीं आरटीओ प्रवर्तन के चैंबर से सटे गैलरी में धूल फांकती फाइलों में कई लोगों के व्हीकल के डॉक्युमेंट्स पड़े थे, जिसे कोई आसानी से लेकर जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि अगर किसी के व्हीकल का डॉक्युमेंट्स गायब हो जाता है तो उसका ब्योरा कहां से मिलेगा।

'चिंता की कोई बात नहीं'

जब रिपोर्टर ने आरटीओ प्रवर्तन डॉ। अनिल कुमार गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि किसी के व्हीकल की फाइल गायब होती है तो चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि उसकी दूसरी फाइल गोपनीय विभाग में रखी जाती है। वैसे भी अब तो ज्यादातर व्हीकल के डेटाज ऑन लाइन फीडिंग किए जा चुके हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर कंप्यूटर सिस्टम में फीड डेटाज की फाइल क्रप्ट हो जाती है तो फिर व्हीकल ऑनर के सामने प्रॉब्लम क्रिएट हो सकती है।

जगह ही नहीं है तो कहां रखें डॉक्युमेंट्स

आरटीओ प्रवर्तन ने बताया कि आरटीओ ऑफिस किराए का है। डॉक्युमेंट्स रखने के लिए कोई जगह नहीं है। प्रत्येक दिन करीब फ्00 से ज्यादा नये डॉक्युमेंट्स तैयार होते हैं। जब जगह ही नहीं है तो डाक्युमेंट्स कहां रखें। चूंकि आरटीओ दफ्तर का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। फैसला आने के बाद ही कुछ हो पाएगा। उन्होंने बताया कि ख् जुलाई को जिला मजिस्ट्रेट को इस समस्या के बारे में अवगत कराया था। डीएम रवि कुमार एनजी ने सर्किट हाउस रोड पर सरकारी जमीन एलॉट करने का आश्वासन दिया है। अब जब तक आरटीओ दफ्तर को दूसरी जगह नहीं शिफ्ट किया जाएगा तब तक यह समस्या बनी रहेगी। वैसे कोशिश रहती है कि डॉक्युमेंट्स गायब न हो।

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने भी कुछ नहीं किया

ऐसा नहीं है कि आरटीओ दफ्तर की स्थिति के बारे में आला अधिकारियों को जानकारी नहीं है। बीते महीने आरटीओ के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने भी मौके का मुआयना किया था, लेकिन स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है।

फाइल रखने के लिए जगह ही नहीं है। किराए के दफ्तर में किसी तरह काम किया जा रहा है। नये आरटीओ दफ्तर के लिए कई बार जिला प्रशासन से जमीन आवंटन के लिए रिक्वेस्ट किया जा चुका है, लेकिन अभी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

एम। अंसारी, आरटीओ, गोरखपुर