- कुशीनगर में हुए दर्दनाक हादसे में 13 स्कूली बच्चों की मौत के बाद भी नहीं चेते अफसर

- मीटिंग तक ही सिमटा स्कूली बच्चों की सुरक्षा का प्लान, अनफिट वाहनों से ढोए जा रहे बच्चे

BAREILLY:

स्कूल खुले एक महीना होने को है। लेकिन बच्चों की सुरक्षा का दावा करने वाले जिम्मेदारों की कार्रवाई का प्लान अभी तक डग्गामारी में ही चल रहा है। अनफिट वाहन बिना सुरक्षा संसाधन के घर से स्कूल और स्कूल से घर बच्चों को ढोने का काम कर रहे हैं। स्कूल संचालक और आरटीओ के अफसर सभी चुप हैं। अभिभावकों की हालात की जानकारी है, वे फिक्रमंद भी हैं मगर ज्यादा कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं। वजह है कि उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। स्कूल वाहन बदल दें, मगर इसकी कोई गारंटी नहीं कि जो दूसरा वाहन तय करेंगे वह फिट ही होगा।

अनफिट वाहन में स्कूली बच्चों का सफर

स्कूली बच्चों को ढो रहे ज्यादातर वाहन अनफिट हैं। बैकसाइड मिरर गायब हैं। ऑटो में सेफ्टी के लिहाज से लोहे की जाली तक नहीं लगी है। मानक से अधिक बच्चे वाहन में बैठाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं जो वाहन 15 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं। हाईकोर्ट ने उनका रजिस्ट्रेशन आगे बढ़वाए बिना चलने पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद पीले रंग से पुते स्कूल वाहनों पर रोक लगाने वाला कोई नहीं है। बिना किसी रोक-टोक के अनफिट वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं। ऑटो चालकों ने सुरक्षा की दृष्टि से जाली भी नहीं लगा रखी है। इतना ही नहीं अपनी सीट के बगल में मासूम बच्चों को बैठा कर चल रहे है। न तो ट्रैफिक पुलिस को इससे कोई सरोकार है और न ही आरटीओ को।

मजबूरी का उठा रहे फायदा

बच्चों को स्कूल भेजने और लाने के लिए सबसे बड़ी परेशानी नौकरी पेशा अभिभावकों के साथ होती है। अभिभावक समय की कमी के चलते स्कूली वाहन में बच्चे भेजने को मजबूर हैं, जिसका फायदा स्कूल वैन संचालक उठा रहे हैं। मनमाने किराए के बावजूद बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। हालात ये हैं कि मासूमों की परेशानी से न तो स्कूल संचालकों को कोई इत्तेफाक है और न ही वाहन चालकों को। स्कूल संचालक वाहन निजी होने की बात कहते हैं, तो वाहन चालक पेट्रोल महंगा होने की बात।

कितने बच्चे बैठा सकते हैं

- 7 बच्चे वैन।

- 3 बच्चे ऑटो।

- बस में सीट के अनुसार।

स्कूली वाहनों की संख्या

- 1200 ऑटो।

- 600 टेम्पो।

- 583 बस।

- 300 वैन.

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- 43 सीबीएसई व आईसीएसई स्कूल।

- 75 हजार से अधिक स्कूली बच्चों की संख्या।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश

- वाहन के सामने और पीछे स्कूल बस या वाहन लिखा हो।

- किराए के वाहन पर ऑन स्कूल ड्यूटी प्रमुख रूप से अंकित हो।

- निर्धारित क्षमता से अधिक संख्या में बच्चे न बैठें।

- फ‌र्स्ट एड बॉक्स होना जरूरी है, स्कूल वाहन में हॉरीजंटल ग्रिल हो।

- अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था होनी चाहिए।

- बस पर स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा हो।

- चालक को कम से कम पांच साल भारी वाहन चलाने का अनुभव।

- वाहन में स्कूल बैग सुरक्षित रखने की व्यवस्था।

- वाहन में स्कूल का कोई प्रतिनिधि या शिक्षक होना चाहिए

- वाहन का रंग गोल्डन यलो विद ब्राउन ब्लू लाइनिंग होना चाहिए, सीटें आरामदायक हों।

- दो इमरजेंसी गेट होना चाहिए।

- स्पीड कंट्रोल डिवाइस जरूरी, ताकि 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा न हो सके।

- ड्राइवर के हेल्थ की जांच हर हाल में कराई जाए, आई टेस्ट हर वर्ष होना जरूरी।

- यह सुनिश्चित किया जाए कि चालक वाहन चलाने के लिए फिट है या नहीं

- वर्ष में दो बार से अधिक चालान होने पर चालक वाहन चलाने योग्य नहीं होगा।

अनफिट पाए जा रहे स्कूली वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। स्कूल मैनेजमेंट को भी यह निर्देश दिए गए हैं कि, स्कूली वाहनों में किसी प्रतिनिधि या शिक्षक को साथ भेजे।

आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन

स्कूलों के जो वाहन हैं वह पूरी तरह से फिट हैं। पेरेंट्स ने जो वाहन लगा रखे हैं उसके बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। वर्कशॉप कर चालकों को टै्रफिक रूल्स के बारे में बताया जा रहा है।

पारूष अरोड़ा, प्रेसीडेंट, इंडिपेंडेंड स्कूल

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100 होर्डिग्स लगाए गए

रोड एक्सीडेंट रोकने और पब्लिक को अवेयर करने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने शहर के अलग-अलग प्वाइंट पर होर्डिग्स लगाए गए हैं। पुलिस ने 100 होर्डिग लगाए हैं। ये होर्डिग 4 तरह के बनाए गए हैं। इनमें ट्रैफिक रूल्स लिखे हुए हैं। ट्रैफिक पुलिस शहर में नो एंट्री के अलावा अन्य दिशा सूचक भी लगवा रही है।