बिना परमिट के नहीं चलने दी जाएगी बसें

आरटीओ निर्मल प्रसाद बताते हैं रोडवेज की अनुबंधित बसों पर एक करोड़ से ज्यादा बकाया है। यह रकम 1993 से 2013 के बीच की है। आज तक अनुबंधित बसों के परमिट शुल्क जमा ही नहीं किए गए। इन बस आपरेटर्स को 15 दिन का टाइम दिया जाता है कि यह सभी अपनी परमिट शुल्क जमा कर दे। वही एआरएम फाइनेंस बिरला सिंह को आरटीओ ने कहा कि बस आपरेटर्स के बस न चलाए जाने के कंडीशन में दूसरे रीजन फैजाबाद और वाराणसी रीजन से निगम की बसे मंगा लें। मामले को डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और आला अफसरों को अवगत करा दिया गया है।

आखिर कौन होगा घाटे का जिम्मेदार

इस झगड़े में सबसे ज्यादा लोकल पैसेंजर्स पिसते नजर आए। उधर इसका रोडवेज को उठाना पड़ा। अनुबंधित बसों से रोडवेज के एक दिन की कमाई की 20 लाख रुपए है। गोरखपुर रीजन की 231 अनुबंधित बस न चलने के कंडीशन में 20 लाख रुपए का घाटा है। यह सबकुछ हुआ आरटीओ और आरएम के लापरवाही के चलते। अगर यह दोनों बैठकर आपस में मीटिंग कर लेते तो शायद यह समस्या नहीं आती।

अनुबंधित बस मालिकों ने परमिट शुल्क नहीं जमा किया है तो यह गलत है। राजस्व को बढ़ाने के लिए अगर आरटीओ ने चेकिंग की है तो बिलकुल सही कदम उठाया है। लेकिन पहले रोडवेज को नोटिस देना चाहिए था।

-दुर्गा प्रसाद यादव, ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर, यूपी