-यूजी में आरयू की दो लाख सीटें हैं

-बीते वर्षो की भांति इस बार भी रहेंगी खाली

- रास नहीं आ रहे आरयू के कॉलजेज

-कॅरियर बनाने के लिए बढि़या यूनिवर्सिटी चुन रहे हैं स्टूडेंट्स

BAREILLY :

नौ जिलों में आरयू से संबंद्ध 512 कॉलेज हैं, जिनमें ग्रेजुएशन की दो लाख सीटें है। हैरानी की बात है कि एक बार फिर आरयू की इन सीटों के खाली रह जाने के आसार नजर आ रहे हैं। एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन की डेट आरयू दो बार बढ़ा चुका है फिर भी एक लाख 36 हजार ही रजिस्ट्रेशन हो सके। लिहाजा, हार मानकर आरयू को तीसरी बार डेट बढ़ाकर 10 जून करनी पड़ी। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आरयू से स्टूडेंट्स की बढ़ती दूरी की वजह क्या है। इस संबंध में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने कई शिक्षाविदों से बात की। इस दौरान ज्यादातर लोगों यूनिवर्सिटी के सिलेबस को कॅरियर ओरिएंटेड न होना बताया। साथ ही, कहा कि कॉलेजेज में अच्छे टीचर न होने की वजह से पढ़ाई का स्तर कामयाबी के लायक नहीं रह गया है, जिसके चलते स्टूडेंट्स यहां पढ़ने से कन्नी काटते हैं।

60 हजार कम हुए आवेदन

आरयू में यूजी के लिए 2 लाख सीटें हैं। सभी सीटों के लिए 5 जून तक मात्र 1लाख 36 हजार 194 आवेदन हुए। जिसमें से 1 लाख 29 हजार 469 स्टूडेंट्स ने 100 रुपए की फीस जमा कर दी। जबकि बाकी स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन तो करा दिया लेकिन फीस जमा नहीं की। यही हाल पीजी में रजिस्ट्रेशन कराने वालों का है। पीजी में रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट भी 10 जून है। जिसमें अभी तक 15 हजार 605 रजिस्ट्रेशन हुए हैं। जिसमें से 13 हजार 538 स्टूडेंट्स ने 100 रुपए की फीस जमा की है। बाकी स्टूडेंट्स ने अभी तक फीस ही जमा नहीं की है। जिससे आरयू यूजी और पीजी में रजिस्ट्रेशन के बाद फीस जमा करने वाले स्टूडेंट्स के आवेदन ही ओके मान रहा है।

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डिग्री लेने से नहीं मिलता तमगा

इंटर का रिजल्ट जारी हुए एक माह से अधिक हो गया है। सीबीएसई और आईसीएसई का रिजल्ट भी जारी हो चुका है। अब जिस स्टूडेंट्स के अच्छे मा‌र्क्स आए हैं। वह डिग्री लेने के लिए नहीं बल्कि कॉम्पि्टीशन की तरफ चला जाता है। क्योंकि स्टूडेंट्स आज के समय डिग्री लेकर तमगा हासिल करना नहीं चाहता है, वह सिर्फ कॅरियर बनाना चाहता है। इसीलिए जो स्टूडेंट्स अच्छे मा‌र्क्स से पास होते हैं वह पहले तो डीयू जैसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना चाहते हैं। वह आरयू से डिग्री हासिल करने में टाइम खराब करना नहीं चाहते हैं।

आरके शर्मा, शिक्षाविद्

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योग्य शिक्षकाें की कमी

यूनिवर्सिटी से संबध कॉलेजेज की संख्या अधिक है, और उनमें योग्य शिक्षकों की कमी भी है। जब योग्य शिक्षक नहीं होंगे तो वह स्टूडेंट्स को कैसे योग्य बना सकते है। क्वालिटी बेस शिक्षा नहीं मिलने से स्टूडेंट्स अपना कॅरियर संभालने की बजाय भटक जाते है, जिसका एक उदाहरण एमएससी का रिजल्ट सामने दिख रहा है। इसीलिए इस तरह कॅरियर नहीं संभाल पाने से स्टूडेंट्स भी हताश होते हैं और आने वाले स्टूडेंट्स पर भी इसका फर्क पड़ता है।

डॉ। रूचि सिंघल, साहू रामस्वरूप महाविद्यालय

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शॉर्ट टर्म कोर्स स्टूडेंट्स की पसंद

इंटर पास करने के बाद स्टूडेंट्स कॅरियर ओरिएंटेड डिग्री लेना चाहते हैं। आरयू के कॉलेजेज में बीए की डिग्री लेकर वह कुछ कर नहीं सकता है। स्टूडेंट्स शॉर्ट टर्म कोर्स के साथ प्रोफेशनल कोर्सेज और टेक्निकल लाइन को अधिक चुन रहे हैं। जो स्टूडेंट्स अच्छे मा‌र्क्स से इंटर मीडिएट में पास होते हैं, उनकी एक पसंद होती है कि वह कॅरियर बनाने के लिए दिल्ली, बीएचयू और इलाहाबाद की यूनिवर्सिटी में पढ़े और जाते भी हैं। यही वजह है कि आरयू में एडमिशन के लिए वही स्टूडेंट रुख करते हैं, जिनकी कोई मजबूरी है।

अमित चौधरी,

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रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की जानकारी नहीं

आरयू ने इस बार काफी जल्दी एडमिशन प्रक्रिया शुरू कर दी है इसकी स्टूडेंट्स को जानकारी ठीक से ही नहीं है। इसके साथ ही ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में वेबसाइट से भी स्टूडेंट्स को परेशानी बढ़ी है क्योंकि जो स्टूडेंट्स एक बार शहर ऑनलाइन फार्म अप्लाई करने आता है नहीं हो पता है तो वह सोचता है कि प्राइवेट फार्म डाल दूंगा। कम रजिस्ट्रेशन के लिए सिस्टम भी जिम्मेदार है।

डॉ। मोहित अग्रवाल, प्राचार्य अग्रसेन महाविद्यालय

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