नहीं हुए हैैं इलेक्शन
यूनिवर्सिटी एक्ट के मुताबिक, सीनेट में स्टूडेंट यूनियन, टीचर्स व इंप्लाइज एसोसिएशन के इलेक्टेड मेंबर्स को बतौर रिप्रेजेंटेटिव शामिल करने का प्रॉविजन है। लेकिन आरयू सीनेट की पिछली मीटिंग और अब होने जा रही मीटिंग में सिर्फ टीचर्स, स्टाफ्स और स्टूडेंट यूनियन को नॉमिनेट मेंबर्स ही रिप्रेजेंट करेंगे। इसकी वजह भी साफ है। 2008 के बाद रांची यूनिवर्सिटी में आजतक स्टूडेंट यूनियन का इलेक्शन नहीं हो पाया है, जबकि टीचर्स एसोसिएशन का इलेक्शन भी पेंडिंग है। ऐसे में सीनेट की मीटिंग में यूनिवर्सिटी की ओर से नॉमिनेट मेंबर्स ही टीचर्स, स्टाफ्स और स्टूडेंट्स का पक्ष रखेंगे।

स्टूडेंट्स की कौन रखेगा बात?
लास्ट ईयर दिसंबर महीने में जब सीनेट की मीटिंग हुई थी तो, तो स्टूडेंट्स के इंटरेस्ट में बोलने वाला कोई नहीं था। यही वजह थी कि इस मीटिंग में न तो किसी ऐसे इश्यू पर चर्चा हुई और न ही कोई ऐसे प्रपोजल को अप्रूवल मिला, जो स्टूडेंट के हित में था। इस मीटिंग में मैक्सिमम ज्यादातर वैसे इश्यूज पर डिबेट हुई, जिससे यूनिवर्सिटी को ज्यादा से ज्याद फायदा होनेवाला था। हालांकि, नाम के लिए यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे दो स्टूडेंट्स को स्टूडेंट्स यूनियन के रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर सीनेट के लिए सेलेक्ट किया गया था। कुछ ऐसा ही हाल टीचर्स एसोसिएशन के मेंबर्स का भी सीनेट में रहा।

हंगामा के आसार
18 अप्रैल को होनेवाली आरयू सीनेट की मीटिंग को लेकर हंगामा होने के आसार बन रहे हैैं। स्टूडेंट्स के रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर इलेक्टेड की बजाय नॉमिनेट मेंबर्स को शामिल करने का डिफरेंट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशंस ने विरोध करने का मूड बनाया है। आजसू, एनएसयूआई, एबीवीपी, जेसीएम, जेवीसीएम और आदिवासी मूलवासी छात्र मोर्चा जैसे स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशंस का कहना है कि सीनेट में स्टूडेंट्स के कम से कम पांच इलेक्टेड रिप्रेजेंटेटिव होने चाहिए.,पर यहां ऐसा नहीं है.  लेकिन, स्टूडेंट्स यूनियन का इलेक्शन कराने के मुद्दे को आरयू पिछले पांच सालों से टालती आ रही है।