RANCHI: मां एक ऐसा शब्द है, जिसमें पूरी दुनिया ही समाहित है। एक मां जो दिन रात बिना रुके, बिना थके काम करती है वह भी अपने परिवार और बच्चों के लिए। लेकिन दुनिया में कई ऐसी मां भी हैं, जो अपने बच्चों के अलावा दूसरे बच्चों को भी पाल रही हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है जयप्रकाश नगर में रहने वाली रूबी चौधरी की, जो समाज में डबल मदर का रोल प्ले कर रही हैं। एक तरफ अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में जुटी हैं, तो दूसरी ओर ओल्ड एज होम में निवास कर रहे बुजुर्गो को भी एक मां का प्यार दे रही हैं। ओल्ड एज होम में वह बुजुर्गो की हर छोटी से छोटी सुविधा का ध्यान रख रही हैं।

दिन भर ओल्ड एज होम में सेवा

बूटी पानी टंकी के पास स्थित डीएवी नंदराज स्कूल कैंपस में ओल्ड एज होम में ब्0 बुजुर्ग निवास कर रहे हैं। इनमें ख्फ् महिलाएं और क्7 पुरुष हैं। किसी के बेटे फॉरेन में परिवार के साथ सेटल हो गए हैं, तो कोई परिवार के साथ अपने मां-बाप को रख पाने में असमर्थ है। ऐसे में रूबी चौधरी सभी की जरूरतों को एक मां की तरह ही पूरा कर रही हैं। सुबह की चाय से लेकर रात के डिनर तक वह ओल्ड एज होम में ही अपनी सेवा दे रही हैं। इसके बाद जब वह पूरी तरह से संतुष्ट हो जाती हैं कि किसी को कोई परेशानी नहीं है, तभी घर जाती हैं।

बच्चों को रहता है मां का इंतजार

सुबह में स्कूल निकलने से पहले उनकी मुलाकात बच्चों से होती है। इसकी तैयारी वह अहले सुबह से ही करने लगती हैं। इसके बाद दिनभर उनकी मुलाकात बच्चों से नहीं हो पाती है। हस्बैंड की डेथ के बाद उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। ऐसे में उन्होंने खुद को संभाला और बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी भी उठा ली। शाम को जब वह ओल्ड एज होम से घर पहुंचती हैं, तो बच्चों को उनके आने का इंतजार रहता है।

केयर टेकर सुशिला को सभी बुलाते हैं अम्मा

ओल्ड एज होम के केयर टेकर शत्रुध्न लाल गुप्ता और उनकी पत्नी सुशीला गुप्ता हैं। होम में रहने वाले सभी बुजुर्ग सुशीला गुप्ता को प्यार से अम्मा बुलाते हैं। चाहे वह उनसे उम्र में छोटे हों या फिर बड़े। वीरेंद्र बसंत ने कहा कि मदर्स डे पर वह भगवान से इतना ही प्रे करना चाहते हैं कि उन्हें लंबी उम्र दे।