- एलबीएस प्रकरण में सहायक हो सकता है रूबी का फेसबुक अकाउंट

- फेसबुक अकाउंट के माध्यम से हो सकता है फर्जीवाड़े का खुलासा

mukesh.bhatt@inext.co.in

DEHRADUN : मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के फर्जीवाड़े के खुलासे में रूबी का फेसबुक अकाउंट मददगार हो सकता है। इसमें तमाम ऐसे सबूत मौजूद हैं, जिसके सहारे उन सभी बातों से पर्दा उठ सकता है, जिसके लिए जांच दल इधर-उधर भटक रहा है। क्या है यह सबूत जानिए आई नेक्स्ट की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में।

एलबीएस से रूबी का गहरा संबंध

दरअसल, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी प्रकरण की आरोपी रूबी चौधरी ने अपने फेसबुक अकाउंट में खुद को आईएएस रूबी बताया हुआ है। उसके फेसबुक अकाउंट में मात्र तेरह फ्रेंड हैं। तमाम फोटो रूबी ने अपने फेसबुक में अपलोड किए हैं, जिनमें कुछ फोटो नैनीताल की हैं तो कुछ फोटो मसूरी की कहानी बयां करते हैं, लेकिन सबसे चर्चित फोटो वह है जिसमें रूबी चौधरी प्रशिक्षु आईएएस के बीच उन्हीं की ड्रेस में बैठी हुई है। यह फोटो उसके एलबीएस में गहरी पैठ की कहानी बयां करने के लिए काफी है।

जवाब दे रहा अकाउंट

प्रशिक्षु आईएएस के बीच उन्हीं की ड्रेस में खिंचवाई गई रूबी की फोटो को लेकर पुलिस असमंजस की स्थिति में है। वह तय नहीं कर पा रही है कि आखिर ऐसा कैसे संभव है? क्या इसमें अकादमी के किसी अधिकारी का हाथ है? फिलहाल वह किसी नतीजे पर पहुंचती नजर आ रही है। उलझन के बीच तमाम सवाल और भी हैं, जिनमें रूबी का फर्जी आईकार्ड व रूबी का राष्ट्रपति के साथ फोटो खिंचवाना प्रमुख है? इन्हीं सवालों के जबाव में वह इधर-उधर हाथ पांव मार रही है, जबकि सवालों के जबाव रूबी ने खुद अपने फेसबुक अकाउंट पर छोड़े हैं, जो एलबीएस प्रशासन को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है।

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फेसबुक दे रहा अनसुलझे सवालों के जवाब

तो क्या रूबी एक साल से थी एलबीएस में?

जांच टीम को अभी तक यह पता चला है कि रूबी छह माह से एलबीएस में फर्जी कार्ड के आधार पर रह रही थी? यह कार्ड किसने और कैसे बनाया? इस पर स्पेशल जांच टीम जांच कर रही है, लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है कि रूबी इस कार्ड का यूज कब से कर रही थी? इस बात से रूबी का फेसबुक अकाउंट ही पर्दा उठा देता है, जिसमें उसकी फर्जी आईकार्ड के साथ डाली गई वह फोटो पर्दा उठाती है जिसे उसने ख्ब् फरवरी ख्0क्ब् को अपलोड किया। साफ है कि रूबी एक साल से अधिक समय से इस कार्ड का यूज कर रही थी। ऐसे में आशंका यह भी है कि कहीं रूबी छह माह से अधिक समय से एलबीएस में रह तो नहीं रही थी।

कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा एलबीएस?

एलबीएस प्रशासन का दावा है कि रूबी गत वर्ष क्7 दिसंबर से एलबीएस में रह रही थी, तो सवाल यह है कि रूबी ने राष्ट्रपति के साथ फोटो कैसे खिंचावई? जबकि राष्ट्रपति का दौरा क्ख् और क्फ् दिसंबर को एलबीएस में था। साफ है कि कहानी में कुछ गड़बड़ है। या तो रूबी का वह फोटो गलत है जो उसने राष्ट्रपति के साथ खिंचवाया है या फिर एलबीएस का दावा झूठा है, बहरहाल, आशंका यहां तक जताई जा रही है कि एलबीएस प्रशासन इस केस को राष्ट्रपति दौरे से बाहर करने की कोशिश कर रहा है, फिलहाल इस बात की एसआईटी जांच कर रहा है।

एलबीएस तक सीमित फर्जीवाड़े के तार

एसआईटी फर्जीवाड़े के तार तमाम जगह जोड़कर जांच कर रही है, जिसमें नैनीताल स्थित प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान(एटीआई) भी शामिल है, लेकिन रूबी के फेसबुक अकाउंट को देखकर ऐसा नहीं लगता कि नैनीताल तक फर्जीवाड़े के तार जुड़े हों, क्योंकि फेसबुक अकाउंट में एटीआई में खींची गई। एक भी फोटो उसके फेसबुक अकाउंट में मौजूद नहीं है, हालांकि उसने नैनीताल के कई फोटो अपने फेसबुक में अलग-अलग समय के अपलोड किए हैं, लेकिन कोई भी फोटो उसके एटीआई कनेक्शन को साबित नहीं। ऐसे में फर्जीवाड़े के तार महज एलबीएस तक ही सिमट रहे हैं।

तो क्या रुबी उलझा रही पुलिस को?

आईएएस बनने के लिए रूबी की दीवानगी या फिर पागलपन? यह समझने में पुलिस भी नाकाम हो गई है। क्योंकि अभी तक की जांच में यह साफ हो चुका है कि रूबी फेसबुक अकाउंट पर खुद को आईएस बताती थी। उसने खुद को आईएएस के टॉपर दिखाने के लिए गृह जनपद में फर्जी तरीके से खबरें भी प्रकाशित करवाई। इसके पीछे रूबी का आईएएस के प्रति दीवानगी या फिर पागलपन या अभी तक गुत्थी बना हुआ है, लेकिन उसके फेसबुक अकाउंट को देखकर ऐसा लगता नहीं कि वह इसके सहारे कुछ फायदा उठाना चाहती हो, क्योंकि उसके फेसबुक में मात्र क्फ् फ्रेंड हैं, हालांकि पुलिस इस दिशा में जांच कर रही है।