i reality check

-इलाहाबाद जंक्शन के लाइसेंसी स्टॉलों से कुछ इसी तरह बेचा जा रहा फूड

-एफएसएसएआई ने प्रिंटेड पेपर पर फूड पैक करने पर लगा रखी है रोक

85 सीसीटीवी लगे हैं इलाहाबाद जंक्शन के सभी प्लेटफार्म और सर्किल एरिया में।

04 स्टॉल हैं प्लेटफार्म नंबर 2-3 पर

04 स्टॉल हैं 4-6 पर

04 स्टॉल 7-8 पर हैं

04 स्टॉल 9 और 10 पर भी हैं

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने प्रिंटेड पेपर के साथ ही न्यूज पेपर में खाने वाली चीजों को रखने, पैक करने और उस पर खाना रखकर खाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। वहीं प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन के बाद अब थर्मोकोल से बने कप प्लेट के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन इलाहाबाद जंक्शन के लिए इन नियम कायदों के कोई मायने नहीं। यहां सरेआम अखबार के टुकड़े पर पूड़ी और प्रतिबंधित थर्मोकोल के प्लेट में सब्जी रखकर पैसेंजर्स को परोसा जा रहा है। बदले में पैसेंजर्स से 30 से 40 रुपए लिया जा रहा है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने सोमवार को रियलिटी चेक किया तो सच्चाई कुछ यूं सामने आई

सरेआम नियमों से खिलवाड़

प्लेटफार्म नंबर दो पर दिल्ली जाने वाली हटिया एक्सप्रेस खड़ी थी। रेलवे स्टॉल्स पर पैसेंजर्स की भीड़ लगी हुई थी। 30 रुपए में चार पूड़ी-30 रुपए में चार पूड़ी की आवाज लगाते हुए वेंडर लोगों को बुला रहे थे। अखबार के टुकड़े पूड़ी और प्रतिबंधित थर्मोकोल के प्लेट में सब्जी दी जा रही थी। रिपोर्टर ने पैसेंजर बनकर स्टॉल वेंडर से कहा कि फूड डिपार्टमेंट ने प्रिंटेड पेपर के टुकड़े पर खाद्य सामग्री देने पर रोक लगा रखी है। थर्मोकोल भी बैन है। फिर इनका यूज क्यों? इसपर वेंडर ने कहा कि क्या करें? इतना पैसा ही नहीं बचता कि बेहतर प्लेट यूज की जाएं। कमीशन भी तो देना पड़ता है। हालांकि जब पूछा गया कि किसको कमीशन देते तो उसने बताने से इंकार कर दिया।

अखबार के कागज व प्रिंटेड पेपर में खाद्य पदार्थ रखने से हो सकते हैं ये नुकसान

-न्यूजपेपर की प्रिंटिंग में यूज होने वाली स्याही में डिससोबूटिल फथलेट पाया जाता है। इस केमिकल से पाचन संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

-अखबार में यूज होने वाली इंक में ऐसे हार्मफुल केमिकल होते हैं जो आपके हार्मोन को प्रभावित करते हैं।

-अगर शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है तो कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।

-अखबार की इंक जल्दी सूखने के लिए उसमें कुछ दूसरे केमिकल मिलाये जाते हैं। ये केमिकल ऑयली खाने में चिपक कर आपके पेट में जाते हैं। इससे मूत्राशय और फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।

-महिलाओं पर अखबार में लिपटे खाने का एक और बुरा प्रभाव ये भी पड़ता है। इससे उन्हें मां बनने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

बॉक्स

आखिर नजर क्यों नहीं पड़ती

रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों की नजर रेलवे के वैध वेंडरों की इस मनमानी पर बिल्कुल नहीं है। रेलवे ने इलाहाबाद जंक्शन के सभी प्लेटफार्मो के चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी का जाल बिछा रखा है। इसके जरिये पैसेंजर्स पर नजर रखने का दावा तो किया जाता है। लेकिन सरेआम चल रहे इस खेल पर रेलवे के कॉमर्शियल और फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अधिकारियों की नजर क्यों नहीं जाती है।

वर्जन

वेंडरों पर नजर रखने के साथ ही फूड क्वॉलिटी चेक करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। सीसीटीवी से भी नजर रखी जाती है। जंक्शन पर अगर मानकों की अनदेखी करते हुए पैसेंजर्स के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है तो अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

-सुनील कुमार गुप्ता

पीआरओ

इलाहाबाद मंडल