-मेरठ पब्लिक स्कूल फॉर ग‌र्ल्स में कुछ स्टूडेंट्स ने महसूस किए झटके

-क्लास रूम छोड़कर मैदान में आए, 45 मिनट तक रहे धूप में

Meerut : लोगों के दिमाग पर भूकंप से ज्यादा उसका खौफ हावी हो रहा है. यही कारण है कि भूकंप का नामोनिशान भी नहीं होता है और लोग झटका महसूस करते हैं. गुरुवार को वेस्ट एंड रोड स्थित मेरठ पब्लिक स्कूल फॉर ग‌र्ल्स में कुछ इसी तरह मामला सामने आया. अचानक भूकंप का शोर मचा तो स्कूल भवन को खाली करा लिया गया. तेज धूप के बीच काफी देर तक स्टूडेंट्स मैदान में इकट्ठा रहे और जब खौफ खत्म हो गया तो क्लास रूम में वापस चले गए.

अचानक मचा शोर

मेरठ पब्लिक स्कूल फॉर ग‌र्ल्स में गुरुवार को लगभग क्क्.फ्0 बजे लंच ब्रेक खत्म हुआ था. बच्चे क्लास में स्टडी कर रहे थे. अचानक कुछ स्टूडेंट्स भूकंप-भूकंप कहते हुए नीचे की ओर भागने लगे. इस बीच किसी ने अलार्म भी बजा दिया. नतीजा, बाकी बच्चे और टीचर्स भी क्लास छोड़कर नीचे खुले मैदान में आ गए. सभी लोग ब्भ् मिनट तक मैदान में रहे. फिर प्रिंसिपल के आर्डर पर क्लास में वापस चले गए. प्रिंसिपल ने बताया कि कुछ स्टूडेंट्स ने झटके महसूस किए थे. उन्होंने भी गिलास में रखे पानी को हिलते देखा था. हम आपको बता दें कि स्कूल में ख्भ्00 से अधिक स्टूडेंट्स हैं. भवन की इमारत भी दो-तीन मंजिला है. किसी भी आपात स्थिति में हजारों स्टूडेंट्स का एक साथ स्टेयर्स से उतरना भी खतरे से खाली नहीं है. ऐसे में भूकंप का शोर भी खतरनाक साबित हो सकता है.

नहीं आया भूकंप

एमपीएस में आए कथित भूकंप को लेकर जब सीसीएसयू के मौसम विभाग से संपर्क किया गया तो पता लगा कि दोपहर क्क्.फ्0 बजे कहीं कोई भूकंप नहीं आया था. नेपाल में शाम फ् बजे कुछ हल्के झटके महसूस किए गए, लेकिन ये भी नेपाल से क्0 किलोमीटर तक ही सीमित रहे. फिर सवाल ये है कि मेरठ पब्लिक स्कूल फॉर ग‌र्ल्स में जो झटके महसूस किए गए, वो किसी की शरारत थी या भूकंप का खौफ. माना जा रहा है कि ये कुछ स्टूडेंट्स की शरारत थी, जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ा.

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कुछ स्टूडेंट्स ने दोपहर में लगभग क्क्.फ्0 बजे भूकंप के झटके महसूस किए थे. मैंने भी टेबल पर रखे गिलास में पानी को हिलते हुए देखा था. खतरा महसूस होने पर अलार्म बेल बजा दी गई और स्टूडेंट्स क्लास रूम छोड़कर मैदान में आ गए. स्थिति सामान्य होने पर ब्भ् मिनट बाद सभी स्टूडेंट्स अपने क्लास रूम में वापस चले गए थे.

-मधु सिरोही

प्रिंसिपल, मेरठ पब्लिक स्कूल फॉर ग‌र्ल्स, वेस्ट एंड रोड

गुरुवार को शाम फ् बजे दो बार भूकंप आया, लेकिन उसका केंद्र नेपाल रहा है. बहुत कम तीव्रता वाला भूकंप था. करीब फ्.ख् तीव्रता का भूकंप था और डेप्थ भी दस किमी थी. सुबह क्क्.फ्0 बजे कहीं कोई झटका महसूस नहीं किया गया. लोगों के दिमाग में भूकंप का खौफ बैठ गया है. इसलिए जरूरी है कि सतर्क रहें, लेकिन डरें नहीं और न ही डराएं.

- डॉ. अशोक कुमार गुप्ता, हेड मौसम विभाग, सीसीएसयू

प्रीकॉशन लेना सही है, सतर्क रहें और अवेयर रहे, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल न करें. अगर भूकंप का डर आपके काम में दखल देने लगे तो यह एक फोबिया का रूप ले लेता है. यानि आपको अर्थ क्वेक फोबिया हो गया है. स्कूलों में बच्चों को एजुकेशन देकर अवेयर कराएं, लेकिन डर और भय को दूर रखे. किसी भी हालत में यह फोबिया नहीं बनना चाहिए.

- डॉ. सोना कौशल गुप्ता

मनोचिकित्सक और काउंसलर

भूकंप को लेकर हम काफी ज्यादा परेशान, चिंतित और सजग हैं. आसपास का माहौल, लोगों की बातचीत पर आधारित है. मीडिया और सोशल मीडिया पर भी लगातार भूकंप की खबरें आ रही हैं. ऐसी स्थिति में भूकंप का आभास होना स्वाभाविक है. इसके लिए आसपास का माहौल बदलना बेहद जरूरी है. मुश्किल ये है कि हम पहला भूकंप भूलने को थे कि दूसरा भूकंप आ गया.

-डॉ. अनीता मोरल

साइक्रेटिस्ट