बाढ़ के चलते घर छोड़कर भागे लोगों को सता रहा चोरी का डर

मजबूरी में घर पर रहने को मजबूर, पुलिस नहीं कर रही गश्त

शेल्टर में बच्चों को नहीं मिल रहा पेटभर दूध, मच्छरों से परेशान है रहवासी

ALLAHABAD:

बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के रहवासियों के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है, कि वह जान बचाएं या सामान? घर छोड़कर भागे इन लोगों के घरों पर चोरों की नजर लगी गई है और पुलिस के गश्त नहीं करने से उनके हौसले भी बुलंद हो चले हैं। ऐसे में कई लोग घर के बाढ़ से घिर जाने के बावजूद जान पर लगाकर वहां रहने को मजबूर हैं। जो लोग शेल्टर पर रह रहे हैं, उनको भी प्रशासन द्वारा सीमित सुविधाएं ही उपलब्ध कराई जा रही है। उनके लिए एक-एक पल काटना मुश्किल साबित हो रहा है।

लुट सकते हैं कीमती सामान

राजापुर, मऊसरैया, अशोक नगर, छोटा बघाड़ा, ढरहरिया, सलोरी, ओम गायत्री नगर, नेवादा आदि इलाकों में बाढ़ का कहर जारी होने से सैकड़ों की संख्या में लोगों ने आसपास के शेल्टर्स में शरण ले रखी है। इन लोगों के घर आधे ज्यादा पानी में डूब चुके हैं और कीमती सामान बाहर निकालना मुश्किल साबित हो रहा है। ऐसे में इन इलाकों में चोरी की घटनाओं का क्रम शुरू हो चुका है। इससे डरे सहमे कई लोग मजबूरी में बाढ़ के बीच घरों में निवास कर रहे हैं। महबूब अली इंटर कॉलेज में बनाए गए बाढ़ राहत शिविर में रह रहे कई लोगों ने बताया कि उनके घर में कभी भी चोरी की घटना हो सकती है, बावजूद इसके पुलिस की गश्त नहीं हो रही है। जिससे चोरों के हौसले बुलंद हो चुके हैं।

बच्चों को नहीं मिल रहा दूध

शेल्टर में रहने को मजबूर कई परिवारों में छोटे बच्चे भी मौजूद हैं जो पेटभर दूध को तरस रहे हैं। बाढ़ में अपना सबकुछ गवां चुके इन लोगों के पास दूध खरीदने को पैसे नहीं है और प्रशासन केवल दो साल से कम उम्र के बच्चों को ही एक पैकेट दूध उपलब्ध करा रहा है। ऐसे में कई बच्चे भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। बाढ़ पीडि़तों ने प्रशासन से भरपेट दूध उपलब्ध कराने की मांग की है। इसके अलावा कई लोगों के घर भी बाढ़ में डूबकर ढह गए हैं, इस नुकसान की भरपाई की मांग प्रशासन से की जा रही है।

करेली में आक्रोशित है क्षेत्रीय जनता

गंगा के साथ यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ने से करेली के कई इलाके जलमग्न हो चुके हैं। आजाद नगर, जेके कालोनी, हड्डी गोदाम आदि एरिया में सैकड़ों घर बाढ़ की चपेट में आने के बाद लोग कैद होकर रह गए हैं। स्थानीय विधायक और जन प्रतिनिधि भ्रमण कर जा चुके हैं और अभी तक राहत सामग्री और नाव की व्यवस्था नहीं जा सकी है। जिसको लेकर लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि बिना भोजन और पानी घर में रहना मुश्किल साबित हो रहा है। प्रशासन जल्द से जल्द राहत के इंतजाम कराए।

बाढ़ पीडि़तों का वर्जन

कई दिनों से बाढ़ राहत शिविर में रहने को मजबूर हैं। पूरी गृहस्थी तबाह चुकी है। जो सामान बचा है उसके चोरी हो जाने का डर सता रहा है।

राजकुमारी, बेली कालोनी

परिवार में बच्चे भी हैं, जिनको शिविरों में भरपेट दूध उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। केवल एक पैकेट मिलता है, दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को वह भी नहीं दिया जा रहा है। बच्चों के लिए दूध खरीदने का पैसा भी हमारे पास नहीं बचा है।

परमीदा बेगम, म्योराबाद

हम रोज कमाने खाने वाले हैं। पति का रोजगार बाढ़ में तबाह हो गया है। अब एक-एक पैसे की किल्लत हो रही है।

आशा, बेली कालोनी

मच्छर बहुत काटते हैं, शेल्टर में रात बिताना मुश्किल है। अगर यही हाल रहा तो मलेरिया और डेंगू फैलने लगेगा। प्रशासन अधिक बेहतर इंतजाम करना चाहिए।

शोभा देवी, बेली कालोनी

बाढ़ वाले इलाकों में चोरी का डर सताने लगा है। घर खाली पड़ा है। कोई पूछने वाला नहीं है। रात में पुलिस इलाके में दूर-दूर तक नजर नहीं आती है।

सुमन, बेली कालोनी

रातों-रात घर छोड़कर भागना पड़ा। गृहस्थी का सामान पीछे छूट गया है। कितना नुकसान हुआ है, यह बताने के लिए कुछ नहीं बचा है। अब प्रशासन से मदद की उम्मीद है।

नीरा, बेली कालोनी