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AGRA : किसान किन हालातों से गुजर रहे हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 19 हजार किलो आलू के दाम किसान को महज 490 रुपये मिले हैं। इस रकम से न तो वह लेवर के पैसे चुका सकता है और न ही दवा, सिंचाई, बुवाई और खुदाई के। घर का खर्चा तो दूर की बात है। इस रकम का ड्राफ्ट किसान प्रदीप शर्मा ने प्रधानमंत्री को भेज दिया है। किसान कर्जा में इस कदर डूबा हुआ है कि वह अब अपनी जमीन को बेचने को मजबूर है। प्रशासन से इसकी गुहार भी लगा रहा है।

महाराष्ट्र की मंडी में बेचा आलू

नगला नाथू ब्लॉक बरौली अहीर निवासी प्रदीप शर्मा ने महाराष्ट्र की मंडी में एक हैक्टेयर का आलू करीब 19 हजार किलो बेचा। भाड़ा और कोल्डस्टोरेज का किराया देने के बाद उसके पास महज 490 रुपये बचे। जिन्हें लेकर वह अपने घर आ गया।

प्रधानमंत्री के नाम भेजा डीडी

किसान प्रदीप शर्मा ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम डीडी भेजा है। किसान का कहना है कि उत्पादन का उचित मूल्य दिलाए जाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार बात तो करती हैं, लेकिन किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

तीन बच्चों का है पिता

प्रदीप शर्मा तीन बच्चों का पिता है। बच्चों की पढ़ाई के लाले पड़ रहे हैं। 20 लाख का बैंक का कर्जा है। किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने बताया कि उसके ऊपर ये कर्जा खेती में हुई हानि का ही है, न कि बेटी या फिर बेटी की शादी का।

इतना आता है एक हैक्टेयर पर खर्चा

- सिंचाई का खर्चा सात हजार

- दवा का खर्चा आठ हजार

- खाद का खर्चा 14 हजार

- बीज का खर्चा 36 हजार

- खुदाई का खर्चा 14 हजार

- लेवर का खर्चा 12 हजार

- ट्रेक्टर भाड़ा 5500

- बुवाई का खर्चा 3600 रुपये

डीएम से लगाई गुहार

किसान ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि चार गुना न सही, दो गुना पर ही उसकी जमीन बिकवा दी जाए। तमाम योजनाओं के लिए सरकार को जमीन की आवश्यकता होती है, उसके लिए ही प्रशासन जमीन खरीद ले, जिससे कर्जा चुक सके।

'आलू किसान हो या फिर अन्य किसान, इस वक्त सभी परेशान हैं। फसल की लागत नहीं निकल रही है। जल्द ही सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो स्थिति और खराब हो सकती है.'