गुलाबी नगरी जयपुर में आगामी 20 जनवरी से शुरू होने वाले जयपुर साहित्य उत्सव के प्रथम दिन विवादास्पद उपन्यासकार सलमान रूश्दी जयपुर नहीं आएंगे।

 जयपुर साहित्य उत्सव के प्रवक्ता इम्तियाज ने भाषा को आज यह जानकारी देते हुए कहा कि तय कार्यक्रम के अनुसार सलमान रूश्दी 20 जनवरी को साहित्य उत्सव में शिरकत नहीं करेंगे। उन्होंने रूश्दी के नहीं आने के बारे में यह कहते हुए टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि मुझे केवल इतनी जानकारी है कि सलमान रूश्दी 20 जनवरी को जयपुर नहीं आ रहे है। जब उनसे पूछा गया कि सलमान रूश्दी कब आएंगे तो उन्होंने कहा मुझे इसकी भी जानकारी नहीं है कि आएंगे या नहीं आएंगे ,या आएंगे तो कब आएंगे।

 प्रवक्ता ने सलमान रूश्दी की जयपुर यात्रा टलने के बारे में किए गए अधिकतर प्रश्नों के जवाब में अनभिज्ञता जताते हुए कहा मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। दूसरी ओर जयपुर साहित्य उत्सव से जुडे एक सूत्र ने सलमान रूश्दी के जयपुर नहीं आने का कारण पूछे जाने पर कहा,‘‘ आपको तो मालूम ही है कि सलमान रूश्दी को लेकर हल्ला हो रहा है.’’ राजस्थान के मुस्लिम संगठनों ने जयपुर साहित्य उत्सव में विवादास्पद लेखक सलमान रूश्दी के आने की सूचना मिलने के बाद सरकार पर इस मांग को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया था कि रूश्दी के जयपुर आने पर रोक लगाई जाए।

 राजस्थान के नौ मुस्लिम संगठनों ने गत सप्ताह साझा संवाददाता सम्मेलन कर सरकार से सलमान रूश्दी की जयपुर यात्रा पर रोक लगाने की मांग की अन्यथा आगामी शुक्रवार को जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद में नमाज के बाद धरना शुरू करने की घोषणा की थी।

 संवाददाता सम्मेलन में जमीअत उलेमा हिन्द राजस्थान के हबीबुलाह, जमाअते हिन्द ,राजस्थान , आल इंण्डिया इमाम काउंसिल राजस्थान सुन्नी सेंटी जयपुर, मुस्लिम फोरम राजस्थान, वहदते इस्लामी राजस्थान, मुस्लिम मुसाफिरखाना कमेटी और जामा मस्जिद कमेटी के प्रतिनिधि मौजूद थे।

 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि रूश्दी के दौरे से सुरक्षा व्यवस्था की समस्या आ सकती है। आयोजकों का कहना है कि उन्होंने ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ के लेखक रूश्दी को आमंत्रण भेजा है। लेकिन गहलोत ने गृह मंत्री पी चिदंबरम से साफ कहा है कि उनके दौरे को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है।

 साहित्य महोत्सव में रूश्दी के आने की घोषणा के बाद भारत की सर्वोच्च इस्लामिक संस्था दारूल उलूम देवबंद ने गहरी नाराजगी जाहिर की थी। दारूल उलूम देवबंद ने सरकार से अपील की थी कि वह रूश्दी को वीजा न दे क्योंकि उन्होंने अतीत में मुस्लिमों की भावनाएं आहत की थीं।

 इसके बाद रूश्दी ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कहा कि उन्हें भारत जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं है.  गहलोत ने यह भी कहा कि रूश्दी भारतीय मूल के व्यक्ति :पीआईओ: हैं तथा सरकार उन्हें भारत आने से नहीं रोक सकती और न ही आयोजकों को कोई सलाह दे सकती है। गहलोत ने कहा ‘‘लेकिन जन भावनाओं को ध्यान में रखना होगा.’’

 पूर्व कार्यक्रम के अनुसार, रूश्दी को 20, 21 और 22 जनवरी को अलग अलग सत्रों में बोलना था। वर्ष 1988 में रूश्दी का उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेस’ प्रकाशित हुआ था जिसमें कथित ईशनिंदा वाली सामग्री को लेकर दुनिया भर के मुसलमानों ने नाराजगी जाहिर की थी।

 भारत में इस उपन्यास पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन इस रचना पर मुस्लिम जगत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहल्ला खुमेनी ने 14 फरवरी 1989 को रूश्दी के खिलाफ फतवा तक जारी कर दिया था।

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