भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ काम कर रहे संगठन 'ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल' की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में 28 देशों के व्यापार से जुड़े तीन हज़ार प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। नतीजों की वरीयता सूची में रूस और चीन की स्थिति सबसे ख़राब रही।

नीदरलैंड और स्विटज़रलैंड़ ने इस सूची में शीर्ष पर रहे यानी इन दोनों देशों के बारे में लोगों ने कहा कि ये दोनों देश सबसे कम रिश्वतखोरी का सहारा लेते हैं। ब्रिटेन आठवें स्थान पर रहा। इसके बाद अमरीका और फ्रांस रहे। रिश्वत सार्वजनिक क्षेत्रों और निर्माण से जुड़े व्यवसाय में सबसे ज़्यादा पाई गई।

भारत 19वें स्थान पर

ट्रांसपरेंसी इंटरनेश्नल की रिपोर्ट की सूची के वरीयता क्रम में रूस आख़िरी पायदान पर और इसके ऊपर चीन रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशों में व्यापार को बढ़ाने के लिए ये कंपनियां जिन देशों के समाज में काम करती हैं वहाँ भ्रष्टाचार और रिश्वत का सहारा लेती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाले देशों में रिश्वत का सहारा लेने वाले देशों की सूची में भारत 19 वें और ब्राज़ील 14 वें स्थान पर है। रिपोर्ट में विदेशों में रिश्वत का सहारा लेने वाली कंपनियों के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की मांग की गई है।

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के प्रमुख का कहना है कि जी-20 देशों की सरकारों को तत्काल विदेशी रिश्वत के मुद्दे से निपटना चाहिए। उनका कहना है कि इनकी जाँच व कार्रवाई के लिए और अधिक संसाधनों की ज़रूरत है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियाँ विदेशों में बड़े ढाँचागत निर्माण और भवन निर्माण जैसी परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए घूस का सहारा लेती हैं। संस्था का कहना है कि ये टैक्स भरने वाले लोगों के साथ छल है और इससे सुरक्षा के मानकों के साथ भी समझौता की आशंका भी बनी रहती है।

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