76 फीसदी से ज्यादा मत पुतिन के पक्ष में

65 साल के पुतिन को चुनाव में 76 फीसदी से ज्यादा मत मिले। वे एक बार फिर से 6 वर्ष के लिए रूस के राट्रपति चुन लिए गए हैं। इधर विपक्ष का कहना है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। पुतिन के सबसे बड़े आलोचक अलेक्सी नवाल्नी को कानूनी कारणों से चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई थी। चुनाव में पुतिन के खिलाफ 7 डमी उम्मीदवार मैदान में उतारे गए थे।

11 करोड़ लोगों ने किया चुनाव में मतदान

रूस के सेंट्रल इलेक्शन कमीशन के अनुसार, इस बार चुनाव में करीब 11 करोड़ लोगों ने मतदान किया। चुनाव में 60 प्रतिशत मतदान हुआ है। पुतिन इससे पहले 2000, 2004 और 2012 में राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं। वे सत्ता में बने रहे इसलिए रूस के संविधान में संशोधन किया गया और यह बंदिश हटा दी गई कि कोई शख्स अधिकतम दो कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति बन सकता है। नये संविधान संशोधन के अनुसार राष्ट्रपति के कार्यकाल को 4 वर्ष से 6 वर्ष कर दिया गया।

राष्ट्रपति चुनाव में किसको कितने मिले मत

रूस के राष्ट्रपति चुनाव 2018 में व्लादिमीर पुतिन को 76.66 प्रतिशत मत हासिल हुए और वे चौथी बार रूस के राष्ट्रपति चुने गए। 11.8 प्रतिशत मत के साथ दूसरे नंबर पर पावेल ग्रुडिनिन रहे। व्लादिमीर जिरिनोवस्की को 5.67 प्रतिशत मत मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे। कसीनिया सोबचक को 1.67 प्रतिशत, ग्रिगेरी येवलिंस्की को 1.04 प्रतिशत, बोरिस टीटोव को 0.76 प्रतिशत और मैक्सिम सुरायकिन को 0.68 प्रतिशत वोट मिले।

चार बार राष्ट्रपति और एक बार पीएम बने

व्लादिमीर पुतिन रूस की राजनीति की दुनिया में 2000 में आए थे। तब से 18 सालों के दौरान वे सत्ता में बने हुए हैं। इन सालों के दौरान वे 4 बार राष्ट्रपति और एक बार प्रधानमंत्री चुने जा चुके हैं। पहली बार वे चार साल के लिए 2000 में राष्ट्रपति चुने गए। इसके बाद 2008 में दोबारा राष्ट्रपति चुने गए। चूंकि रूसी संविधान में एक व्यक्ति दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता तो वे 2008 में प्रधानमंत्री के चुनाव में खड़े हुए और जीत भी गए।

रूस के एक जासूस से राष्ट्रपति का सफर

पुतिन तब के सोवियत संघ रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी में जासूस हुआ करते थे। वे केजीबी के प्रमुख भी रह चुके हैं। राजनीतिक पंडितों के अनुसार, रूस में उनकी पकड़ मजबूत बन चुकी है। उन्होंने रूस में विपक्ष को करीब-करीब खत्म कर दिया है। टेलीविजन अब सरकारी नियंत्रण में है। इस चुनाव में क्रीमिया को वापस लाने और राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाया गया था। स्थिरता और राष्ट्रीय गौरव लौटाने को लेकर लोगों ने मतदान किया था।

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