मिड-डे मील के संबंध में शासन से आए नए निर्देश

आने वाले खाद्यान्न के बोरों को बेचकर जुटाना होगा धन

एक-एक बोरे का होगा हिसाब, बकायदा रखना होगा रिकार्ड

Meerut। प्राइमरी स्कूलों में अब मास्टर जी को पढ़ाने के साथ-साथ अनाज के खाली बोरे भी बेचने पड़ेंगे। यही नहीं मास्टर जी को यह बोरे सबसे अधिक दाम पर बेचने होंगे और इससे होने वाली आय से मिड-डे मील प्राधिकरण बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर मिड-डे मील देगा। यही नहीं मास्टर जी को बेचे गए एक-एक बोरे का हिसाब भी देना होगा। जिसकी पूरी जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारी की होगी।

खरीदें जाएंगे कंटेनर

दरअसल, गेंहू, चावल, दाल आदि के बोरे हर महीने स्कूलों में पहुंचते हैं। एक स्कूल से एक महीने में कम से कम चार बोरे निकलते हैं। इन बोरे को बेचकर होने वाली आय से बच्चों को भोजन में अतिरिक्त पोषक तत्व उपलब्ध करवाएं जाएंगे। साथ ही इसी आय से स्कूलों को तेल, मसाले आदि रखने के लिए कंटेनर भी खरीदने होंगे, जिससे खाद्य सामग्री खराब न हो और मसाले आदि खुले में ही न पड़े रहें। वहीं इससे होने वाली आय से स्कूलों की दीवारों पर मैन्यू की पेंटिंग, किचन गार्डन तैयार करवाने, स्वच्छता संबंधी सामग्री खरीदने में प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा प्राधिकरण ने यह भी निर्देश दिए हैं कि इस राशि का प्रयोग सिर्फ मिड-डे मील योजना के लिए ही किा जाएगा।

कमेटी करेगी निर्णय

स्कूलों में कमेटी की देख-रेख में बोरे बेचे जाएंगे। इसके लिए पीटीए, वीईसी, एसएमडीसी व स्कूल मैनेजमेंट कमेटी इसकी जिम्मेदारी लेगी। स्कूलों में कितने खाली बोरे आएं, कितने बेचे गए, कितने खराब निकले आदि का विवरण अलग से आय-व्यय पंजिका में दर्ज किया जाएगा। वहीं इससे होने वाली आय को खर्च करने का निर्णय स्कूल मैनेजमेंट कमेटी करेगी।

मिड-डे मील के राशन के साथ आने वाले बोरे को अब स्कूल ही बेचेंगे। प्राधिकरण की ओर से इसके निर्देश आ गए हैं।

वीरेंद्र कुमार, मंडलीय समन्वयक, मिड-डे मील, मेरठ मंडल