कॉलेजेस में स्टूडेंट्स के बीच वोटिंग और कैंडीडेट्स के सेलेक्शन को लेकर डिस्कशन हो रहे हैं। हालांकि कैंडीडेट्स के सेलेक्शन को लेकर वे भले ही एकजुट नहीं है, मगर अपना वोट कास्ट करने के लिए उनमें तनिक भी मतभेद नहीं है। यूथ्स बिना किसी प्रेशर में आए सोच-समझकर वोट देने की तैयारी में हैं।

Will be the kingmaker

कानपुर की 10 असेंबली सीट्स में 30 लाख से ज्यादा वोटर हैं। इनमें से 18 से 39 वर्ष के 16.6 लाख वोटर हैं, जो 50 परसेंट से अधिक है। यूथ किसी भी कैंडीडेट की तकदीर चमका सकते हैं और किसी की बिगाड़ भी सकते हैं। 35 हजार से अधिक कालेज गोइंग स्टूडेंट्स हैं।

हममें है दम

यूथ्स ने करप्शन के खिलाफ मुहिम में भी अपना दम दिखाया। हालांकि इस मुहिम के पूरी तरह अंजाम तक न पहुंच पाने की इनमें अभी भी कसक है। इसी वजह से वे असेंबली इलेक्शन के रूप में मिले सुनहरे मौके को गंवाना नहीं चाहते हैं। कालेज गोइंग स्टूडेंट्स का भी यही कहना है। मंडे को पीपीएन कालेज के स्टूडेंट्स, चाहे वह गर्ल हो या फिर ब्यॉय, वोटिंग के लिए सभी एकजुट नजर आए। अलग-अलग ग्र्रुप में मौजूद स्टूडेंट्स के बीच इलेक्शन, कैंडीडेंट्स की चर्चा होती है।

वे मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के सख्ती से पालन से खुश नजर आए। आरिफ, शिखा व दीप्ति ने कहा कि  इस राइट का इस्तेमाल वे हर हाल में करेगें। अपने कालेज के अलावा अन्य कालेजेस में पढऩे वाले फ्रेंड्स को भी वोटिंग के लिए अवेयर करेंगे। यूनिवर्सिटी एग्जाम की वजह से हर कालेज जाना संभव नहीं है तो क्या हुआ एसएमएस, ईमेल करेगें, सोशल नेटवर्किंग साइट्स भी हैं।

इस राइट के सही इस्तेमाल कर हम अपनी व सिटी की प्रॉब्लम्स को हल कर सकते हैं। ऐसा कहना है पीपीएन कॉलेज के स्टूडेंट्स का। ऐसी ही राय अन्य स्टूडेंट्स की भी है।