RANCHI : सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल का रविवार को सेंट्रल की ओर से आई कॉमन रिव्यू मिशन की टीम ने निरीक्षण किया। इस दौरान टीम को लीड कर रहे डॉ। जेएल मिश्रा के साथ अन्य मेंबर्स ने हॉस्पिटल के कई विभागों में घूम-घूमकर व्यवस्था देखी। वहीं संबंधित स्टाफ्स और नर्स से सवाल भी पूछे। लेकिन अधिकतर लोग उनके सवालों का ढंग से जवाब भी नहीं दे पाए। इस दौरान उन्होंने पूछा कि इतने बड़े हॉस्पिटल में मरीजों के लिए लिफ्ट कहां है। इस पर हॉस्पिटल मैनेजर अंतरा झा ने निरीक्षण के लिए आई टीम को झूठ बोलकर चलता कर दिया। इसके बाद टीम ने हॉस्पिटल में इलाज करा रहे मरीजों से भी फीडबैक लिया। टीम में डॉ। अजीत कुमार सुडके, आरके पांडेय और जुनैत मौजूद थे।

बंद पड़ी लिफ्ट को बता दिया चालू

टीम को लीड कर रहे डॉ। जेएल मिश्रा जब आई डिपार्टमेंट पहुंचे तो उन्होंने पूछा कि मरीजों को ऊपर कैसे लाते हैं। वहीं कैट्रैक्ट आपरेशन कराने वाले मरीजों को तो सबसे ज्यादा केयर की जरूरत होती है। इस पर अंतरा झा ने बताया कि हॉस्पिटल में दो लिफ्ट लगी हैं और एक लिफ्ट काम कर रहा है। लेकिन सच तो यह है कि हॉस्पिटल में लगे दोनों ही लिफ्ट महीनों से बंद पड़े हैं। जिसे उद्घाटन के बाद आजतक चालू नहीं किया गया है। कभी मंत्री या अधिकारियों का इंस्पेक्शन होता है तो स्विच आन करके छोड़ दिया जाता है।

इंस्पेक्शन से पहले चकाचक हॉस्पिटल

इंस्पेक्शन के लिए अधिकारियों के आने से पहले ही हॉस्पिटल की पूरी व्यवस्था बदल गई थी। सफाई ऐसी कि फ्लोर में चेहरा नजर आ जाए। वहीं एंट्रेंस से लेकर वार्ड तक बार-बार सफाई का काम जारी था। इतना ही नहीं, सफाई करने वाले स्टाफ्स भी ग्लब्स, मास्क और सेफ्टी कैप पहने नजर आए। जबकि आम दिनों में न तो स्टाफ्स यूनिफार्म में नजर आते हैं और न ही ग्लब्स-मास्क उनके पास होता है। वहीं सफाई के लिए अन्य दिनों में भी टाइम फिक्स होता है। हालांकि हॉस्पिटल की सफाई व्यवस्था देख टीम संतुष्ट नजर आई।

छुट्टी के दिन भी ओपीडी में नजर आए डॉक्टर

रविवार को ओपीडी में छुट्टी रहती है। ऐसे में इलाज के लिए मरीजों को इमरजेंसी में जाना पड़ता है। लेकिन सेंट्रल की टीम के इंस्पेक्शन के दौरान ओपीडी खुला था। जहां मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर भी अवेलेबल थे। वहीं दवा वितरण केंद्र भी खोलकर रखा गया था। इसके अलावा सभी विभागों के स्टाफ भी इंस्पेक्शन तक मौजूद रहे।

अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर जाना पड़ता है मरीजों को

टीम ने मैटरनिटी वार्ड में कुछ मरीजों से जाकर फीडबैक लिया। इस दौरान टीम को जो जवाब मिला वो चौंकाने वाला था। मरीज ने बताया कि सदर हॉस्पिटल के अल्ट्रासाउंड सेंटर में उसने टेस्ट कराया। लेकिन डॉक्टरों ने उस रिपोर्ट को नहीं माना और प्राइवेट सेंटर से जांच कराने को कहा। इस चक्कर में 900 रुपए जांच में खर्च हो गए। वहीं कई बार मरीजों को मशीन छोटी होने की बात कहकर बाहर भेज दिया जाता है।