RANCHI : राजधानी में आग लगने की घटनाएं तो होती रहती हैं। लेकिन सदर हॉस्पिटल के पुराने ओपीडी कैंपस में आग लगी तो तीन बिल्डिंग जलकर खाक हो जाएंगी। जहां ट्रांसफारमर के उपर ही विशाल पेड़ झूल रहा है। इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसके बावजूद न तो हॉस्पिटल प्रबंधन को चिंता है और न ही कर्मचारियों को इससे कोई मतलब है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी हादसे के बाद ही अधिकारियों की नींद खुलेगी?

100 स्टूडेंट्स को खतरा

हॉस्पिटल कैंपस में ही नर्सिग कॉलेज कम हॉस्टल है, जिसमें 100 से अधिक नर्सिग की स्टूडेंट्स रहती हैं। वहीं क्लास के वक्त टीचर्स भी कॉलेज में मौजूद रहते हैं। ऐसे में आग लग जाए तो स्टूडेंट्स का वहां से निकलना भी मुश्किल होगा। चूंकि पेड़ और ट्रांसफारमर से हॉस्टल की दूरी महज 5 मीटर है। इतना ही नहीं, हॉस्टल में भी आग से निपटने के पर्याप्त उपाय नहीं है।

पास ही टीबी सेंटर

सदर हॉस्पिटल के पुराने ओपीडी सेंटर को ही डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर बना दिया गया है। ऐसे में वहां भी मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती है। वहीं दर्जनों स्टाफ्स और अधिकारी भी वहीं बैठते हैं। इसके बावजूद पेड़ कटवाने को लेकर किसी ने गंभीरता से विचार नहीं किया। इसके बाद अगर कोई हादसा होगा तो जिम्मेवारी कौन लेगा।

एड्स कंट्रोल सोसायटी आफिस भी

स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी का आफिस भी ट्रांसफारमर से बिल्कुल सटा हुआ है। जहां पर काफी संख्या में स्टाफ्स काम करते हैं। वहीं कैंपस में गाडि़यां भी पार्क की जाती हैं। इस वजह से वहां आग लगती हैं तो लोगों का निकलना भी मुश्किल होगा। वहीं आग पर काबू पाना भी एक बड़ी चुनौती होगी।