-मा‌र्क्स की 200वीं जयंती पर आद्री में चौथे दिन जुटे एक्सपर्ट

क्कन्ञ्जहृन्: भूमंडलीकरण के नए दौर में कार्ल मा‌र्क्स का सिद्धांत केंद्रीय भूमिका में आ गया है। पूंजीवाद के बढ़ते प्रभाव और प्राकृतिक संसाधनों के होते विनाश से जो संकट पैदा हुआ है, वह मानव सभ्यता के लिए बेहद गंभीर है। मंगलवार को जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कोहेई साइतो ने 'मा‌र्क्स और एंजेल्स : पारिस्थितिकी के दृष्टिकोण से बौद्धिक संबंधों पर पुनर्विचार' विषयक व्याख्यान में ये बातें कहीं। कार्ल मा‌र्क्स की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में आद्री द्वारा होटल मौर्या में 5 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे दिन प्रो। पाओला रौहाला, हेलेन लूरी, मरियम एस्लेनी, कुमारी सुनीता और अलेस्सांद्रा मेज्जाद्री ने आलेख प्रस्तुत किया।

खतरों के प्रति थे अलर्ट

प्रो.साइतो ने कहा कि मा‌र्क्स और एंजेल्स के बीच बौद्धिक संबंध की कम स्पष्ट अवधरणा के कारण पश्चिमी मा‌र्क्सवादियों ने पारिस्थिकी की मा‌र्क्सवादी आलोचना कभी भी विकसित होने नहीं दी। पश्चिमी मा‌र्क्सवादियों की नजर में प्राकृतिक विज्ञान एंजेल्स की निपुणता का क्षेत्र था। मा‌र्क्स उत्पादन व खपत तथा प्राकृतिक जगत के बीच निर्भरता में गंभीर वैश्विक व्यवधान के खतरे के प्रति अधिक सचेत थे।

आज विचार अधिक प्रासंगिक

मैक्सिको के यूनाम यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एल्विरा कोंचीरो ने कहा कि कार्ल मा‌र्क्स सामाजिक क्रांति में महिलाओं की मुख्य भूमिका के पक्षधर थे। आज के वैश्विक दौर में कार्ल मा‌र्क्स के विचार सर्वाधिक प्रासंगिक हैं। मा‌र्क्स न तो साम्यवादियों द्वारा राजनीतिक दल बनाने और न ही अपने सिद्धांतों के निर्माण के पक्ष में थे। पनर बर्लिन के रोजा लुक्जेमवर्ग फाउंडेशन की सीनियर फेलो मिखाइल ब्री, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के समसामयिक दक्षिण एशियाई अध्ययन कार्यक्रम के प्रो। शापान अदनान और अमेरिका के कोलोरेडो यूनिवर्सिटी की प्रो.रमा वासुदेवन ने व्याख्यान दिया।