RANCHI: वज्रपात बारिश की पहली बूंद जमीन को छूए उससे पूर्व सरकार ने वज्रपात से बचाव का अभियान शुरु करते हुए इसे पूरे स्टेट में तेजी से क्रियान्वित करने के निर्देश जारी किए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग ने इससे बचाव के उपायों पर प्रकाश डालते हुए सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखकर सचेत किया है। अपने क्षेत्रों में जागरुकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उपायुक्तों ने सभी सीओ, वीडीओ व पुलिस अधीक्षकों को निर्देश देते हुए इसके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने को कहा है।

मॉनसून नजदीक, टास्क गंभीर

मॉनसून की पहली बारिश सभी को लुभाती है, मिट्टी की सोंधी खुशबू, हल्की ठंडी हवा और ऐसे में रिमझिम फुहार .हर कोई इस पहली बारिश का मजा लेना चाहता है। गर्मी की तपीश को शांत करने के लिए इसमें भीगना चाहता है लेकिनसावधानबारिश की पहली बूंद के साथ खौफनाक और दर्दनाक मौत का खतरा भी मंडराता है। इस खतरे का नाम हैवज्रपात। पहाड़ी राज्यों की पहली बारिश के साथ वज्रपात नामक हत्यारा आता है जिसकी चपेट में आने का मतलब मौत है। हर वर्ष स्टेट के 200 लोग वज्रपात का शिकार होकर अपनी जान गंवाते हैं। सिटी में लगातार बन रही ऊंची ऊंची और बेतरतीब इमारतों के कारण वज्रपात का खतरा काफी बढ़ गया है।

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घने काले लटकते बादल हैं जानलेवा

मानसून की पहली बारिश के दौरान यदि आसमान में कम ऊंचाई वाले, घने काले और लटकते हुए बादल देखे जाएं तो इससे सावधान हो जाना चाहिए, यह जानलेवा साबित हो सकता है। यदि किसी इलाके के 4-5 किमी के दायरे में वज्रपात हुआ हो तो पूरी आंशका होती है कि अगला झटका उस इलाके के लोगों को लगने वाला है।

सिर के बाल हो जाएं खड़े तो सरपट भागें

यदि बारिश के पूर्व बिजली की कड़कड़ाहट के दौरान आपके सिर के बाल खड़े हो जाते हैं तो इसका मतलब है कि वहां वज्रपात होने वाला है। इससे बचने के लिए सरपट भागें और किसी छत या कार के भीतर छुप जाएं। यह बचाव के लिए जरूरी है।

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नामकुम का वज्रमारा इलाका है गवाह

नामकुम का वज्रमारा इलाका इस मौत के खतरे का साक्षात गवाह है। हर साल इस इलाके में वज्रपात होता है और कोई न कोई व्यक्ति, पेड़ आदि जलकर राख हो जाता है। इस इलाके में कई जले हुए पेड़ खड़ें हैं, जिन्हें देखकर बरबस इस खतरे का अनुमान लगाया जा सकता है।

कैसे करें बचाव

1- ऊंचे पेड़ों की शरण न लें, केवल समूह में वैसे पेड़ों की शरण लें जिनकी ऊंचाई 20 फीट से कम हो।

2- घर के भीतर या कार के भीतर शरण लें।

3- वज्रपात के दौरान टू-व्हीलर की सवारी न करें।

4- धातु से बने डंडे। छाते आदि का उपयोग न करें। वृक्षों दलदल व जलस्रोतों से दूर रहें।

5- खुले आकाश के नीचे रहने यदि मजबूरी हों तो समूह में खड़े न हों, दो लोगों के बीच कम से कम 15 फीट की दूरी रहे।

6- पैरों के नीचे सूखी लकड़ी, प्लास्टिक या पुआल आदि रख लें।

7- दोनों पैरों को आपस में सटाकर घुटनों को पकड़ लें और सर को पूरी तरह जमीन की तरफ जितना ले जा सकते हों झुका लें।

8- जमीन में बिलकुल न लेटें, और आवागमन बंद कर दें।

9-घर में बिजली से चलने वाले उपकरणों को बंद कर दें और नहाने के लिए नल या झरने का उपयोग न करें।

10- घरों में छत मजबूती से बनवाएं और तडि़त चालक जरुर लगाएं।

कातिल को रोक नहीं सकते, सिर्फ बचाव ही उपाय

वज्रपात नामक कातिल को रोक पाना किसी के वश की बात नहीं है इसलिए इसका सिर्फ एक ही उपाय है.बचाव। बचाव के तरीकों से ही जान बच सकती है.बचाव के नियमों से सबंधित सारी जानकारियां बेवसाइटों के माध्यम से, जागरुकता अभियान के द्वारा आदि सशक्त माध्यमों के द्वारा जन जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

पूनम प्रभा पूर्ति

संयुक्त सचिव

आपदा प्रबंधन विभाग