-सुरक्षा मानकों को दरकिनार करके गंगा में संचालित हो रही हैं नावें

-नावों में क्षमता से अधिक ढो रहे सवारी, सुरक्षा उपकरण भी नहीं होते हैं मौजूद

VARANASI

Scene-1

शाम को दशाश्वमेध और शीतला घाट पर होने वाली गंगा आरती का अलौकिक दृश्य देखने के लिए गंगा में सैकड़ों नावों पर हजारों लोग सवार हैं। सभी नाव ओवरलोड और बिना सुरक्षा उपकरणों के हैं। जैसे ही आरती समाप्त होती है नाविकों में आगे बढ़ने की होड़ में भगदड़ की स्थिति हो जाती है।

Scene-2

बाढ़ में उफनती गंगा में भ्0 लोगों की क्षमता वाली मोटरबोट पर डेढ़ सौ से ज्याद लोग सवार हैं। कम उम्र का नाविक तेज लहरों में हिचकोले खाती नाव को बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ा रहा है। नाव पर किसी तरह का कोई सेफ्टी इक्विपमेंट मौजूद नहीं है। नाव में सवार लोग जान को हथेली पर लेकर सफर कर रहे हैं।

ये दोनों सीन्स यह बताने के लिए काफी हैं कि बनारस भी किसी दिन बागपत बन सकता है। वहां गुरुवार को जिस तरह से असुरक्षित नाव में सवार म्0 लोग यमुना नदी में समा गए वैसे ही बनारस में कोई नाव गंगा में गोता लगा सकती है। क्योंकि इस शहर में भी नौका संचालन के लिए तय सुरक्षा मानकों को नाविक ताख पर रखते हैं। हर वक्त टूरिस्ट्स से भरे रहने वाले इस शहर में गंगा दर्शन के नाम पर चंद रुपयों के लालच में वे नावों में ठूंस-ठूंसकर लोगों को सवार करते हैं। नावों में सवार लोगों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं करते हैं। सामान्य दिनों में ही नहीं यह हालात उस वक्त भी होते हैं जब बाढ़ के दिनों में गंगा उफनती रहती है।

खतरनाक हैं हालात

-अधिक से अधिक रुपये कमाने के चक्कर में नाविक क्षमता से तीन से चार गुना अधिक लोगों को सवार करते हैं

-हाथ से चलने वाली नौका को दो नाविक जबकि मोटरबोट को सिर्फ एक नाविक ही चलाता है

-गंगा में किसी तरह का टै्रफिक सिस्टम नहीं है। नावों की संख्या भी अंधाधुंध तरीके से बढ़ रही है

-मुख्य अवसरों पर नावों की इतनी भीड़ होती है कि उनके बीच आगे बढ़ने की होड़ में टक्कर होती रहती है

-शाम को गंगा आरती के दौरान सैकड़ों नावें महज दो घाटों के बीच मौजूद रहती हैं जिन पर हजारों लोग होते हैं

-गंगा में ऐसे वाकये भी हुए कि नाव से गिरकर कोई गंगा में समा गया और उसका पता बाद में चला

-बाढ़ के दौरान जब प्रशासन की ओर से नौका संचालन पर रोक रहता है तब भी धड़ल्ले से नावें सवारी ढोती हैं

-गंगा में तैरने वाली नावों की फिटनेस जांच नहीं होती, दशकों पुरानी जर्जर हो चुकी नावें भी सवारी ढो रही हैं

सुरक्षा मानक ताख पर

-गंगा में संचालित होने वाली नावों के लिए सुरक्षा मानक तय है लेकिन उसे फॉलो नहीं किया जाता

-नियमों के मुताबिक हर नाव पर उसकी सवारी ढोने की क्षमता लिखी होनी चाहिए

-नाव में लाइफ जैकेट के साथ ही लाइफ सेविंग ट्यूब आदि का होना जरूरी है

-नावों के फिटनेस की जांच समय-समय पर होनी चाहिए

-गंगा में तैरने वाली हर नाव को नगर निगम की ओर से लाइसेंस जारी होना चाहिए

-नाव चलाने वाला नाविक प्रशिक्षित होना चाहिए

-भीड़ के दौरान आने और जाने वाली नावों को अलग-अलग लेन में चलना चाहिए

सेल्फी बैन का नहीं असर

गंगा में नावों पर सवारी के दौरान सेल्फी लेने पर प्रशासन ने बैन लगा रखा है। ओवरलोडेड नावों में इसकी वजह से हादसे का डर रहता है। हाल में भदोही, गोरखपुर समेत आसपास के कई जिलों में नावों में सेल्फी लेने के दौरान हादसे हो चुके हैं। लेकिन बनारस में इस बैन का कोई असर नहीं दिख रहा है। लोग चलती नाव में सेल्फी लेते हैं। नाविक भी उन्हें मना नहीं करते हैं।

आंकड़ों का सच

क्भ्00

से अधिक नावों का संचालन हो रहा है

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बजड़ा जैसी बड़ी नावें हैं बनारस में

700

मीडियम साइज मोटर बोट चल रहीं गंगा में

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छोटी नावें भी हो रहीं संचालित

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नावों का लाइसेंस है नगर निगम की ओर से

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लोग हर रोज सवारी करते हैं नावों की

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जवान मौजूद रहते हैं जल पुलिस के गंगा में निगरानी के लिए

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जवानों का दस्ता एनडीआरएफ का मौजूद है किसी गंभीर परिस्थिति के लिए

गंगा में नावों के संचालन के लिए तय सुरक्षा मानकों का पालन हर हाल में होना चाहिए। इस बाबत जरूरी निर्देश दिये गए हैं। सुरक्षा मानकों का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गंगा में संचालित होने वाली नावों की निगरानी भी की जा रही है।

योगेश्वर राम मिश्र, डीएम