झूंसी स्थित सदाफल देवाश्रम का मामला, दरवाजा तोड़कर निकाली गई बॉडी

रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद से रिटायर होने के बाद 2003 में आए थे आश्रम

PRAYAGRAJ: रेलवे से रिटायर होने के बाद संत बने गंगा रावत (80) का शव शनिवार को आश्रम के कमरे में मिला। सुबह काफी देर तक कमरे से बाहर न आने पर आश्रम के लोगों ने बेल बजाई। अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो लोगों ने सूचना पुलिस को दी। आश्रम पहुंची पुलिस ने अंदर से बंद दरवाजे को तोड़ दिया। सामने का सीन चौंकाने वाला था। बिस्तर पर उनकी बॉडी पड़ी हुई थी। बॉडी पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दी है। पोस्टमार्टम में मौत का कारण पुलिस ने हार्टअटैक बताया गया।

वेस्ट बंगाल के थे रहने वाले

बेस्ट बंगाल के नैतुनपुल्ली-2 नंबर सुल्तानपुर सतराशाछी हावड़ा निवासी गंगा रावत पुत्र तेतरी राव रेलवे में चतुर्थ श्रेणी के पद पर तैनात थे। बताते हैं कि वर्ष 1986 में रिटायर होने के बाद वे घर छोड़कर संत हो गए। संत का चोला पहनने के बाद वह 2003 में झूंसी स्थित सदाफल देवाश्रम के महंत सच्चिदानन्द महाराज के शिष्य बन गए। शिष्य बनने के बाद गंगा रावत आश्रम में ही रहने लगे। रोज की तरह वे शुक्रवार की रात अपने कमरे में सोने चले गए। सुबह देर तक नहीं उठे तो आश्रम के सुधीर, विजय बहादुर सिंह, गौतम दुबे आदि उन्हें जगाने पहुंचे तो घटना का पता चला। उनकी पत्‍‌नी की कई साल पहले ही मौत हो चुकी थी। महंत की एक बेटी है, जिसे आश्रम के लोगों ने सूचना दे दी है।