देहरादून। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ एएसआई मोहन लाल रतुड़ी को नम आंखों के साथ पूरे दून ने अंतिम विदाई दी। मोहनलाल का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह सवा सात बजे दून स्थित विद्या विहार फेज टू में उनके भाई के घर लाया गया। यहां परिजनों ने उनके अंतिम दर्शन किए और फिर पार्थिव शरीर को अंत्येष्टि के लिए हरिद्वार के लिए रवाना किया गया। हरिद्वार में पूरे सैन्य सम्मान के साथ मोहनलाल को सीआरपीएफ ने अंतिम सैल्यूट किया और मुखाग्नि दी, इस दौरान हजारों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने सड़क से लेकर घाट तक उमड़े।

तिरंगे से लिपटे मोहन को देख पत्नी बेहोश

तिरंगे से लिपटे शहीद मोहनलाल का पार्थिव शरीर देखते ही उनकी पत्नी सरिता बेहोश हो गई। ये देख शहीद की बेटी वैष्णवी की आंखें भी छलकने लगीं, वह कभी मां को ढंाढस बधाती, तो कभी पिता को पुकारते हुए लौट आने की बात कहती। छोटी बेटी गंगा का भी रो-रोकर बुरा हाल था।

अंतिम दर्शन को उमड़ा पूरा दून

अंतिम दर्शन के लिए शहीद मोहनलाल का पार्थिव शरीर विद्या विहार पार्क में लाया गया। यहां सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही, डीजीपी, डीएम, एसएसपी सहित हजारों लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए और पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मोहन तेरा ये बलिदान, याद रखेगा हिंदुस्तान के नारों से पूरा दून गूंज उठा और फिर पार्थिव शरीर को हरिद्वार के लिए रवाना किया गया, खुद सीएम ने शहीद को कांधा दिया।

इन्होंने दी श्रद्धांजलि

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली, डीआईजी सीआरपीएफ दिनेश उनियाल, आरएएफ कमांडेंट नीलम बौंठियाल, डीजीपी अनिल के रतूड़ी, डीजी लॉ एंड ऑर्डंर अशोक कुमार, डीएम एसए मुरुगेशन, एसएसपी निवेदिता कुकरेती।

-पाकिस्तान की कायराना हरकत से पूरा देश गमगीन है। मोहनलाल की शहादत जाया नहीं जाएगी, कायरों से बदला लिया जाएगा। सरकार शहीद के परिवार के साथ खड़ी है। उनके परिवार को 25-25 लाख रुपए और एक सदस्य को योग्यतानुसार नौकरी दी जाएगी।

-सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

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हम सब एक परिवार का हिस्सा हैं। जो कल तक हमारे साथ थे वो आज नहीं हैं। पाकिस्तान हमेशा से कायराना हरकत करता आया है। हम अपने परिवार की शहादत को याद रखेंगे और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देंगे।

-दिनेश उनियाल डीआईजी सीआरपीएफ

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शहीद को पूरे पुलिस महकमे की श्रद्धांजलि, हम मोहनलाल के सर्वोच्च बलिदान को सैल्यूट करते हैं। महकमे का हर अफसर-कर्मचारी अपना एक दिन का वेतन सीआरपीएफ को भेजेगा।

-अनिल के रतूड़ी, डीजीपी

पुलिस अफसरों की आंखें भी नम

शहीद की अंतिक यात्रा में उन्हें श्रद्धांजलि देने शरीक हुए पुलिस के कई अफसरों की आंखें नम रहीं।

भाइयों पर परिवार की जिम्मेदारी

शहीद मोहनलाल के दो भाई और एक बहन हैं। बड़े भाई लक्ष्मी प्रसाद और छोटे भाई मनमोहन, दोनों भाई पंडिताई का काम करते हैं। भाई की मौत के बाद उसके परिवार को संभालने की जिम्मेदारी इन्हीं दोनों के कांधों पर है। शहीद की एक बेटी की शादी हो चुकी है, दो बेटी, दो बेटे पढ़ाई कर रहे हैं।