केंद्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री श्रीमती निर्मल सीतारमण को भेजे एक ज्ञापन में कैट ने मांग की है की भारत में ई-कॉमर्स का व्यापार कर रही कंपनियों के व्यापार करने के तौर तरीके और बिजनिस मॉडल की जांच की जाए और इसके लिए विशेषज्ञों की एक टास्क फ़ोर्स गठित की जाए. कैट ने कहा है की अगर आवश्यकता पड़ेगी तो कैट इन कंपनियों के खिलाफ कॉम्पटीशन कमीशन ऑफ़ इंडिया में भी शिकायत दर्ज़ करेगा.
कैट के अनुमान के अनुसार ई-कॉमर्स व्यापार से इस वर्ष बाजार की दुकानों को लगभग 30 फीसदी व्यापार का नुकसान हुआ है. हालांकि कैट ई-कॉमर्स में मार्केटप्लेस मॉडल के पक्ष में है और इसीलिए वाणिज्य मंत्री से आग्रह किया गया है कि ई-कॉमर्स व्यापार से अनुचित तौर तरीकों को दूर किया जाए और स्वस्थ व्यापारिक वातावरण स्थापित किया जाए.
खंडेलवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि ई-कॉमर्स व्यापार से माल की खपत वाले राज्यों को वैट से प्राप्त होने वाले राजस्व का नुक्सान हो रहा है. यह कंपनियां केवल एक राज्य में वहां के कर विभाग से पंजीकृत होती हैं और उसी राज्य का स्थानीय कर लगाकर अपनी लॉजिस्टिक व्यवस्था की ओर से देश भर के राज्यों में माल की डिलीवरी करती हैं और माल की खपत करने वाले राज्य को इस व्यापार से मिलने वाले राजस्व से वंचित रहना पड़ता है, जबकि वैट कर प्रणाली का मूल सिद्धांत है की अंतिम उपभोक्ता अर्थात माल की खपत करने वाले व्यक्ति को कर का भुगतान करना पड़ेगा. इससे राज्यों को कर का नुक्सान हो रहा है.
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