- दून के अरविंद और उनके परिवार के लिए बेटी ही है संसार

DEHRADUN: बड़े और संगठित परिवारों में अक्सर कुछ फैसले परिवारों पर निर्भर करते हैं। कुछ मामलों में दबाव भी रहता है। और अगर बात वंश को आगे ले जाने की हो तो यह दबाव कुछ ज्यादा ही देखने को मिलता है। लेकिन आज समाज की विचारधारा बदल रही है। परिवारों के इस दबाव और विचारधारा को पीछे छोड़ अपनी बेटी में ही पूरा संसार देखने वाले दून के अरविंद गुप्ता ने एक नई मिसाल कायम की है। अरविंद का कहना है कि समाज की सोच बदलनी है तो इसकी शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी।

हमेशा से थी बेटी की चाह

मूल रूप से मसूरी के रहने वाले अरविंद गुप्ता का मानना है कि बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने बताया कि शादी के वक्त वे अपनी वाइफ अनु गुप्ता के साथ अपने भरे पूरे परिवार के साथ ही रहते थे। परिवार में तीन भाइयों के दो-दो बेटे थे। तो उन पर एक बेटे का दबाव बना। उनका कहना है कि उस वक्त वंश बढ़ाने को आस पड़ोस, रिश्तेदार और परिवार के सदस्य बेटों को ही सब कुछ मानते थे। लेकिन इस सोच से परे वे हमेशा ही एक बेटी की चाह रखते थे। खास बात यह कि उन्होंने बेटी का नाम तक पहले से तय किया हुआ था। सौभाग्य से उनके घर में लक्ष्मी के रूप में बेटी ने जन्म लिया। उनका मानना है कि बिटिया के जन्म के बाद उनका पूरा जीवन ही बदल गया।

बेटी के भाग्य से मिली सक्सेस

साल क्998 में बेटी के जन्म के बाद उन्होंने उसे यती नाम दिया। उन्होंने बताया कि बेटी के जन्म से पहले वे प्राइवेट जॉब करते थे। लेकिन बिटिया के जन्म के बाद कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली। जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी के नाम से अपने बिजनेस यति स्पो‌र्ट्स की शुरुआत की। साल ख्00क् में शुरू हुए उनके बिजनेस ने उन्हें कभी पीछे मुड़कर देखने नहीं दिया। उन्होंने बताया कि बेटी का ही भाग्य था कि आज वो देश ही नहीं बल्कि बिजनेस के सिलसिले में दुनिया भर घूम चुके हैं। इसके अलावा कई स्पो‌र्ट्स एकेडमी, कैंप्स आदि का भी संचालन किया। अरविंद की वाइफ अनु गुप्ता ने बताया कि हमारा सपना था कि हमारे घर में एक बेटी का जन्म हो। अगर पहले बेटा होता तो भी एक बेटी का सपना जरूर सजाते। लेकिन ईश्वर ने पहले ही बेटी को वरदान दिया। इसके बाद ईश्वर से कुछ नहीं चाहिए। अब बेटी में ही उनका पूरा संसार बसा है।

पत्रकार बनना चाहती है यति

यति फिलहाल दून यूनिवर्सिटी में मास कॉम की स्टूडेंट हैं। वे एक अच्छी जर्नलिस्ट बनना चाहती हैं। उनके इस सपने को पूरा करने में उनकी फैमिली उनका सपोर्ट कर रही है। पिता अरविंद ने बताया कि बेटी को आगे बेहतर स्ट्डीज के लिए मुंबई या फिर विदेश भेजने की भी तैयारी है। लेकिन उन्हें आगे क्या करना है यह फैसला यति का होगा। बेटी के हर फैसले में फैमिली का सपोर्ट होगा।