100 से ज्यादा ट्रांसफॉर्मर मैदान में

पिछली गर्मियों में ट्रांसफॉर्मर के दगने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज तक कायम है। स्टोर फुल होने के बाद बिजली विभाग के ऑफिस कैंपस के बाहर पड़े ट्रांसफॉर्मर की तदाद दिन ब दिन बढ़ती ही चली गई। नौबत यहां तक आ गई है कि 100 ज्यादा ट्रांसफॉर्मर मैदान मेें धूल खा रहे हैं तो दूसरी तरफ बिजली विभाग के स्टोर में रिपेयर किए जाने वाले ट्रांसफॉर्मर की तादाद बढ़ती चली जा रही है।

250 ट्रांसफॉर्मर ताक रहे हैं रिपेयरिंग की राह

बिजली विभाग के स्टोर में रिपेयरिंग की राह देख रहे करीब 250 से ज्यादा ट्रांसफॉर्मर पड़े हुए हैं। ऐसा नहीं कि यह ट्रांसफॉर्मर अभी दगे हो बल्कि इन्हें दगे हुए करीब 6 मंथ से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अब तक यह रिपेयर नहीं हो सके हैं। इनमें से सिर्फ कुछ ही ट्रांसफॉर्मर ऐसे है जो हाल में स्टोर पहुंचे हैं, बाकी सभी ट्रांसफॉर्मर पुराने ही हैं।

50 तेल के अभाव में पड़े

इसे बिजली विभाग की लापरवाही ही कहेंगे कि कई ट्रांसफॉर्मर ठीक होने की राह देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ठीक हो चुके ट्रांसफॉर्मर भी किसी काम के नहीं है। सोर्सेज की माने तो विभाग के स्टोर में ऐसे करीब 50 ट्रांसफॉर्मर रिपेयर होकर पड़े हुए हैं जो तेल न पड़ने की वजह से किसी काम के नहीं हैं। ऐसे में अगर एक भी ट्रांसफॉर्मर दगता है और तेल किसी वजह से नहीं पहुंच पाता है तो गोरखपुराइट्स की रात अंधेरे में बीतनी तय है।

एक महीन में होती है रिपेयरिंग

ट्रांसफॉर्मर दगना ही विभाग के लिए सबसे बड़ी प्रॉब्लम नहीं है, बल्कि उससे भी बड़ी प्रॉब्लम है उसका रिपेयर होना। बिजली विभाग के सोर्सेज की माने तो बिजली विभाग को एक ट्रांसफॉर्मर के ठीक करने में एक मंथ से ज्यादा का वक्त लग जाता है। गर्मियों में आम तौर पर ट्रांसफॉर्मर दगने की घटनाएं आम है। पिछली बार भी नौबत यहां तक पहुंच गई थी कि गोरखपुर के साथ-साथ वाराणसी और इलाहाबाद ने भी ट्रांसफॉर्मर रिपेयर करने से अपने हाथ खड़े कर दिए थे।

11 मोबाइल ट्रांसफॉर्मर

ट्रांसफॉर्मर के जलने का सिलसिला गर्मी आते ही शुरू हो जाता है। लेकिन अगर इससे निपटने के उपाय की बात करने तो पूरे सिटी को सिर्फ 11 मोबाइल ट्रांसफॉर्मर ही एलाट हैं, जो इमरजेंसी के वक्त यूज किए जाते हैं। ओवरलोडिंग की वजह से हर दूसरे दिन एक ट्रांसफॉर्मर दग रहे थे, जिसके बाद लगभग सभी मोबाइल ट्रांसफॉर्मर डिफरेंट प्लेसेज पर एंगेज थे। इस कंडीशन में दो तीन ट्रांसफॉर्मर और दग जाने की कंडीशन में बिजली विभाग के पास और कोई विकल्प नहीं था। 25 डिग्री सेंटीग्रेट टेंप्रेचर में बिजली के मौजूदा हाल को देखते हुए इस बार आसार पिछली बार के मुकाबले और भी गंभीर नजर आ रहे हैं।

नहीं है स्टोरेज की व्यवस्था

बिजली को स्टोर करने के लिए बिजली विभाग के पास कोई भी व्यवस्था नहीं है। इससे पब्लिक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। स्टोरेज सिस्टम न होने से एक्सेज होने वाली बिजली को स्टोर करने की कोई भी व्यवस्था नहीं बन पाती। इससे मेन ट्रांसफॉर्मर तक पहुंचने वाली लाइन में अगर कोई प्रॉब्लम आ जाती है तो इस कंडीशन में इमरजेंसी के लिए स्टोर बिजली से सप्लाई दी जा सकती है। बिजली विभाग के सोर्सेज की माने तो बिजली तब एक्सेस होती है तब कहीं पर तार टूट गया हो, ट्रांसफॉर्मर दग गया हो या फिर डिमांड कम, इन सभी कंडीशन में एक्सेस बिजली को दूसरी ओर डायवर्ट कर दिया जाता है।

सबस्टेशन बनने का काम अधूरा

लोगों को बिजली कटौती से निजात दिलाने के लिए बिजली विभाग ने फाइनेंशियल इयर 2010-11 में दो सब स्टेशन बनाने का काम शुरू किया था, इसके लिए बजट भी पास हो गया था और जमीन भी अवेलबल करा दी गई थी, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी इसका वर्क अभी तक पूरा नहीं हो सका है। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रानीबाग में बनने वाले सबस्टेशन का सिविल वर्क 30 परसेंट और इलेक्ट्रिक वर्क 50 परसेंट बचा हुआ है। वहीं टाउनहाल सबस्टेशन में सिविल वर्क 40 परसेंट और इलेक्ट्रिक वर्क 20 परसेंट होना बाकी है। यह दोनों ही सबस्टेशन 5 एमवीए कैपासिटी के बनाए जाने हैं।

नहीं हो सका कैपेसिटी बढ़ाने का काम

पिछले साल डिमांड को देखते हुए सिटी के तकरीबन 55 ट्रांसफॉर्मर में बिजली विभाग ने क्षमता वृद्धि कराने का फैसला लिया था, लेकिन यह भी अब तक पूरा नहीं हो सका है। इसमें 100 से लेकर 400 केवीए तक के ट्रांसफॉर्मर शामिल थे। कई जगह पर तो ट्रांसफॉर्मर चेंज करके उसका लोड बढ़ा दिया गया, लेकिन कई एरिया के लोग अब भी ट्रांसफॉर्मर ठीक होने की राह देख रहे हैं।

ऑफीशियल स्टैंड

इस वक्त बिजली कटौती का घोषित शेड्यूल 4 घंटे का है। इसकी सप्लाई लखनऊ से कंट्रोल की जाती है, जहां से मिलने वाली सप्लाई और शहरों की डिमांड के हिसाब से बिजली दी जाती है। जब डिमांड काफी ज्यादा बढ़ जाती है और सप्लाई कम रहती है तो इस दौरान अलग-अलग वक्त में डिफरेंट सिटीज की बिजली कटौती की जाती है। सिटी में 25 केवीए के ट्रांसफॉर्मर इजली अवेलबल है। वहीं 250 और 400 केवीए के ट्रांसफॉर्मर की जहां जरूरत थी वहां भेजा जा चुका है। 63 और 100 केवीए के ट्रांसफॉर्मर की थोड़ा शॉर्टेज है वह भी डिमांड के अकॉर्डिंग अवेलबल कराए जा रहे हैं।

बिजली कटौती पर विभाग का कोई बस नहीं है, यह लखनऊ से कंट्रोल होती है। नेक्स्ट फाइनेंशियल इयर में पादरी बाजार में एक 5 एमवीए के सबस्टेशन को बनाने का वर्क स्टार्ट होगा जो दिसंबर तक कंपलीट कर लिया जाएगा।

एके श्रीवास्तव, चीफ इंजीनियर

ट्रांसफॉर्मर अवेलबल

25 केवीए

63 केवीए

100 केवीए

250 केवीए

400 केवीए

650 केवीए

Report by- syedsaim.rauf@inext.co.in