- बिहार दिवस पर होगी महिला सशक्तीकरण नीति की घोषणा

PATNA : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर समाज कल्याण विभाग की ओर से श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में प्रोग्राम हुआ। जिसमें स्टेट की उन महिलाओं को सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने दम पर सफलता हासिल की हैं। ये वैसी महिलाएं हैं जिन्होंने लीक से हटकर काम करते हुए समाज को बदलाव की ओर ले जा रही हैं। साथ ही पद्मभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा, उषा किरण खान और सुधा वर्गिज को भी सम्मानित किया गया। प्रोग्राम का इनॉगरेशन सीएम नीतीश कुमार ने किया।

बदलते बिहार की तस्वीर हैं साइकिल चलाती हुई लड़कियां

एसकेएम में पूरे स्टेट से आयीं महिलाओं को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि महिलाएं सशक्त हों इसके लिए उनका शिक्षित होना सबसे ज्याद जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोगों के माइंड सेट में बदलाव आया है। पहले लड़कियों के साइकिल चलाने पर ही पाबंदी थी। अब तो लड़कियां साइकिल चलाकर स्कूल जा रही हैं और शिक्षित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास की सही तस्वीर है साइकिल चलाती हुई लड़कियां। सीएम ने महिलाओं को तोहफा देते हुए कहा कि ख्0क्7 तक बिहार में दस लाख स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाना है। इससे महिलाए संगठित होती हैं। साथ ही यह भी घोषणा की कि ख्ख् मार्च को होने वाले बिहार दिवस पर सरकार महिला सशक्तीकरण नीति की घोषणा करेगी।

पोलियो मुक्त के लिए प्रतिबद्ध हैं मार्था

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सीएम ने झारखंड की मार्था डोडराय को भी सम्मानित किया। मार्था दरभंगा के कुशेश्वर स्थान पूर्वी ब्लॉक में एएनएम के पद पर कार्यरत हैं। मार्था ने ख्00भ् में नौकरी ज्वाइन की थी। तब मार्था को पोलियो वैक्सिनेशन में लगाया गया था। मार्था ने बताया कि वे तिलकपुर, तिलकेशर आदि गांव रोज जाती थी। उस समय तो जाने का साधन भी नहीं था। तीस-तीस किलोमीटर रोज पैदल चलना पड़ता था। मार्था ने बताया कि पोलियो ग्रसत बच्चों को देख मन विचलित हो गया। एएनएम की ट्रेनिंग के दौरान पता चला कि पोलियो ड्रॉप से बच्चा विकलांग होने से बच सकता है। यही से ठान लिया कि हमारे एरिया में अब कोई बच्चा पोलियों का शिकार नहीं होगा। मार्था बताती हैं कि मेरे क्षेत्र में पोलियो का एक भी केस नहीं आया है। जिसके दरवाजे पर रात होती है मार्था वहीं सो जाती हैं और सुबह से काम पर लग जाती हैं। दरभंगा जिले के लगभग दस गांवों में बच्चे स्वस्थ्य हैं। मार्था को ख्0क्फ् में न्यूयॉर्क में डब्ल्यूएचओ की तरफ से भी सम्मानित किया गया। मार्था को पूरे देश से बेस्ट वैक्सिनेटर के रूप में चुना गया। पिछले साल मई में उन्हें राष्ट्रपति ने भी सम्मानित किया है।

नौ साल में पहुंची रेड लाइट एरिया

फातिमा खातून को पिछले साल अगस्त में पूरे देश ने अमिताभ बच्चन के साथ केबीसी में देखा था। तब अचानक से फातिमा में लोगों की उत्सुकता बढ़ी थी। फातिमा की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। जब फातिमा नौ साल की थी तभी उसकी शादी रेड लाइट एरिया में कर दी गई थी। जैसे-जैसे फातिमा बड़ी होती गयीं उन्हें देह व्यापार समझ में आने लगा। फातिमा कहती हैं कि रेड लाइट एरिया का भी कुछ रूल है। यहां घर की बहुओं से देह व्यापार नहीं कराया जाता है। खरीदकर लायी गयी लड़कियों से ही कराया जाता है। फातिमा को देह व्यापार के दलदल से घिन्न आने लगी। फातिमा जब बारह साल की थी तभी उसने तीन लड़कियों को वहां से भगाया। इसके बाद से फातिमा देह व्यापार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। कई बार फातिमा के जान पर भी बन आयी है। फातिमा को पिछले फरवरी में अमेरिका से सम्मान मिल चुका है।

दस साल से लड़ रही है मीना

कूच बिहार की रहने वाली मीना खातून को आठ साल की उम्र में ही कटिहार के एक रेड लाइट एरिया में बेच दिया गया था। पच्चीस साल तक मीना घुटती रही। मीना कहती हैं कि मुझे याद है कि साल ख्000 में वहां से भाग निकली थी। भागने के बाद अररिया आ गयीं। जब घर गयी तो किसी ने नहीं अपनाया। तभी ठान लिया कि जिस दलदल से निकली हूं उसमें किसी और मासूम को सड़ने नहीं दे सकती। इसके बाद से मीना देह व्यापार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। जब मीना को देश दुनिया में पहचान मिलने लगा तब परिवार वालों ने भी अपनाया। दो बच्चियों के साथ मीना रहती हैं। उनकी दोनो बेटियां ट्वेल्थ में हैं।