RANCHI : सिटी की आधी आबादी की प्यास बुझानेवाली बूटी जलागार के संप हाउस का वजूद खतरे में है। संप हाउस की आधी छत धंस चुकी है तो दीवारों में जहां-तहां दरार है। संप की वाटर स्टोर कैपासिटी तीन लाख गैलन है। यहां वाटर का ट्रीटमेंट होता है। इसके बाद फिल्टर पानी बूटी पंप हाउस के जरिए हमारे घरों में पहुंचती है। लेकिन, जब आप इस संप हाउस की हकीकत जानेंगे तो होश उड़ जाएंगे। एक तो यह जर्जर हालत में है। दूसरी तरफ न तो समय पर इसकी प्रॉपर साफ- सफाई होती है और न ही यहां सुरक्षा के इंतजामात हैं। खुदा न खास्ते अगर कोई बुरी नीयत से यहां स्टोर पानी में 'जहर' घोल दे तो एक बड़ी आबादी तबाह हो सकती है। ऐसे में यहां बरती जा रही लापरवाही कहीं न कहीं आफत आमंत्रित कर रही है।

फिल्टर पानी में मिल रहा कचरा

बूटी जलागार के पास तीन संप हाउस है। इनमें एक की कैपासिटी दस लाख, दूसरे की पांच लाख और तीसरे की तीन लाख गैलन कैपासिटी है। यहां पानी का ट्रीटमेंट होता है। इसके बाद फिल्टर पानी बूटी जलागार में स्टोर होता है, जहां से पूरे शहर में वाटर सप्लाई होती है। लेकिन, इसमें से तीन लाख गैलन वाटर कैपासिटी वाली संप हाउस की छत उड़ चुकी है। ऐसे में यहां पानी तो फिल्टर हो रहा है, पर उसमें मिल रही गंदगी और कूड़े-कचरे को रोकने पर किसी तरह का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। फिल्टर पानी में गंदगी मिल रही है और यही पानी हमारी घरों में पहुंच रहा है। ऐसे में इस सप्लाई वाटर को पीकर लोग अनजाने में अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। पानी के ट्रीटमेंट पर खर्च हो रहा लाखों रुपए थोड़ी सी लापरवाही के कारण बर्बाद हो रहा है।

भूकंप के झटके से धंसी छत

पिछले दिनों आए भूकंप की वजह से तीन लाख गैलन क्षमता वाली संप हाउस की आधी छत धंस चुकी है। इतना ही नहीं, दीवारों में भी कई जगह दरार है। इस संप हाउस के साथ दस लाख गैलन और पांच लाख गैलन क्षमता वाली संप हाउस भी कनेक्ट है। हर दिन इन तीनों संप हाउस में 18 लाख गैलन पानी का फिल्टरेशन होता है। ऐसे में एक संप हाउस की जर्जर स्थिति का असर दूसरे संप हाउस पर भी पड़ रहा है। अगर यह संप हाउस पूरी तरह धंस जाती है तो इस इलाके में बड़ी तबाही हो सकती है।

तो पानी के लिए तरसेगा आधा शहर

गनीमत है कि संप हाउस की आधी छत ही धंसी है। अगर यह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाए तो वाटर सप्लाई भी पूरी तरह ठप हो जाएगी। ऐसे में आधा शहर पानी के लिए तड़प उठेगा, क्योंकि बरियातू, अपर बाजार, रातू रोड, करमटोली, मोरहाबादी समेत ज्यादातर इलाकों में यहीं से पानी की सप्लाई होती है। हर दिन लगभग चार से पांच लाख लोग इस पानी का इस्तेमाल करते हैं। वैसे, यहां के अधिकारियों ने बताया कि संप हाउस की मरम्मत की तैयारी चल रही है। विभाग को इस मामले से जानकारी दे दी गई है।

गंदे पानी की हो रही सप्लाई

बूटी जलागार के पास स्थित तीन संप हाउस में भले ही एक संप हाउस डैमेज हुआ हो, पर इसका असर तीनों पर पड़ रहा है। चूंकि, तीनों संप हाउस इंटर कनेक्टेड हैं। ऐसे में तीन लाख गैलन यानी 15 लाख लीटर कैपासिटी वाली संप हाउस में स्टोर होनेवाली पानी में अगर गंदगी जा रही है तो यह अन्य दोनों संप हाउस के जरिए भी हमारे घरों तक पहुंच रही है। लोगों ने बताया कि सप्लाई वाटर में बदबू आ रही है जिस कारण वे इसे पी नहीं रहे हैं। हालांकि, पीएचईडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अजय कुमार सिंह का कहना है कि जिस संप हाउस की छत धंसी है, उसमें पानी स्टोर करने का काम बंद कर दिया गया है।

दो साल से नहीं हुई है सफाई

संप हाउस की साफ-सफाई में कितनी लापरवाही बरती जा रही है, यह इसी से जाना जा सकता है कि पिछले दो साल से इसकी सफाई नहीं की गई है। छत धंसने की वजह से एक संप हाउस को भले ही हाल में बंद किया गया हो, पर इसकी अंतिम सफाई 21-3-2013 को हुई थी। यह टंकी में भी दर्ज है। ऐसे में अगर यहां सफाई नहीं हुई है तो कहा जा सकता है कि पूरे शहर में गंदे पानी की सप्लाई होती रही होगी। दूसरी तरह नियमानुसार संप की सफाई एक साल के अंदर हर हाल में हो जानी चाहिए। लेकिन इस संप की सफाई दो साल से नहीं हुई और हाल में इसे बंद भी कर दिया गया है।

20 फीट गहरी है टंकी

तीन लाख गैलन क्षमता वाली संप हाउस 22 फीट गहरी है। यह कुएं के आकार में बना हुआ है। हर दिन यहां 15 लाख लीटर पानी स्टोर होता है, जिसका बाद में फिल्टरेशन किया जाता है। इसके बाद फिल्टर पानी बूटी जलागार भेजा जाता है। जहां से आधे शहर में वाटर सप्लाई की जाती है।

सिक्योरिटी के नाम पर खानापूर्ति

पीएचईडी डिपार्टमेंट का यह संप हाउस हाई सिक्योरिटी जोन में आता है। यहां सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम होना चाहिए। गेट पर भी साफ लिखा है- प्रवेश निषेध। लेकिन, यहां कोई भी आसानी से घुस सकता है। न तो गेट पर सिक्योरिटी की कोई व्यवस्था है और न ही अंदर। सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह लुंजपुंज है। ऐसे में अगर कोई बुरी नीयत से इस संप हाउस में घुसकर पानी में कोई विषैला या दुषित चीज मिलाना चाहे तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन इसका खामियाजा इस शहर को भुगतना होगा। अगर पानी विषैला हो जाए तो आधे शहर में बड़ी तबाही हो सकती है। लेकिन इस ओर पीएचईडी का कोई ध्यान नहीं है।