कैपेसिटी से ज्यादा आते हैं सैंपल

लखनऊ में बनी ड्रग टेस्टिंग लैब स्टेट में एकमात्र ऐसा सेंटर है जहां सभी डिस्ट्रिक्ट से आने वाले दवाइयों के सैंपल की जांच की जाती है। इसकी कैपेसिटी 900 सैंपल पर ईयर है लेकिन यहां पर मंथ अलग-अलग डिस्ट्रिक्ट से 350 सैंपल जांच के लिए भेजे जाते हैं। यही रीजन है कि जांच रिपोर्ट आने में महीनों की जगह साल लग जाते हैं।

2010 में भेजे गए थे सैंपल

क्या आपको पता है कि केवल इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट से भेजे गए तकरीबन सौ सैंपल्स की जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। इनमें से कुछ सैंपल तो नवंबर 2010 में भेजे गए थे। जिन लोगों के मेडिकल स्टोर्स पर छापे पड़े थे वे भी अब इसे भूल चुके हैं। उधर लोकल लेवल पर ड्रग इंस्पेक्टर्स ने कई बार जांच रिपोर्ट के लिए लेटर भी लिखा लेकिन वहां से कोई रिस्पांस नहीं मिला है।

कभी एक्सपायर होती हैं दवाएं तो

एक तरफ जांच के लिए भेजे जाने वाले फूड सैंपल्स की जांच रिपोर्ट की टाइम लिमिट 40 दिन निर्धारित की गई है तो वहीं दवाइयों की जांच के लिए कोई टाइम लिमिट नहीं रखी गई है। ऐसे में जो सैंपल जांच के लिए भेजे जाते हैं तो उनकी दवाओं की एक्सपायरी भी हो जाती है। वहीं कुछ सैंपल वहीं से रिजेक्ट कर दिए जाते हैं उनका रीजन भी ड्रग इंस्पेक्टर्स को पता नहीं चलता है।

फूड लैब चार लेकिन ड्रग की केवल एक

स्टेट में फूड लैब चार हैं जो आगरा, गोरखपुर, बनारस और मेरठ में चल रही हैं लेकिन इसके मुकाबले ड्रग टेस्टिंग लैब केवल एक है। बार-बार डिमांड होने के बाद हाल ही में यहां पर कुछ लेटेस्ट टेस्टिंग इक्विपमेंट्स लगाए गए हैं लेकिन स्टाफ की कमी अभी भी बनी हुई है। अगर ये कमी पूरी कर दी जाए तो जांच रिपोर्ट का लेटलतीफी से आने वाले रिजल्ट टाइमली आने लगें।

इनकी जांच रिपोर्ट का है इंतजार

-9 जून को लूकरगंज स्थित एसएस फार्मास्युटिकल्स में छापे के दौरान दो सैंपल जांच के लिए भेजे गए.

-सुलेमसराय स्थित तलवार मेडिकेयर में 9 जून को छापा मारकर सस्पेक्टेड दवा का सैंपल जांच के लिए भेजा गया.

-12 जून को लाउदर रोड स्थित तीन अलग-अलग मेडिकल स्टोर से दवाओं के सैंपल भेजे गए.

-14 जून को नैनी स्थित नई बाजार के पांडेय मेडिकल स्टोर में छापा मारकर सैंपल भेजे गए.

-15 जून को कर्नलगंज स्थित संजीवनी ब्लड बैंक से ब्लड का सैंपल जांच के लिए भेजा गया।

 

स्टेट में केवल एक ड्रग टेस्टिंग लैब होने से जांच रिपोर्ट आने में काफी देर होती है। नवंबर 2010 के बाद अब तक सौ सैंपल ऐसे हैं जिनकी रिपोर्ट नहीं आने से आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी है। इस सिचुएशन अक्सर आरोपी आसानी से बच निकलने में कामयाब हो जाते हैं।

कमल अरोरा, ड्रग इंस्पेक्टर