-डॉक्टर्स समेत 118 संविदा कर्मचारियों की नौकरी खतरे में

-कार्य अवधि खत्म होने पर नई तैनाती का विरोध

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तैनात संविदा कर्मचारियों के सिर नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगा है। ट्रामा सेंटर में कार्यरत डॉक्टर्स समेत 118 कर्मचारियों को अवधि समाप्त होने की नोटिस दी गई है। नोटिस मिलने के बाद कर्मचारी कोर्ट की शरण में चले गए। कोर्ट ने मामले पर चार हफ्ते बाद सुनवाई का आदेश दिया है। इससे पहले भी अन्य मेडिकल कॉलेजों के संविदा कर्मचारियों को निकालने के लिए नोटिस दी जा चुकी है।

2009 से कर रहे कार्य

पूर्वाचल के अकेले मेडिकल कॉलेज बीआरडी में वर्षो से ट्रामा सेंटर की मांग थी। दुर्घटनाओं को देखते हुए शासन स्तर से वर्ष 2009 में इसकी शुरुआत की गई। इसके लिए पूरा बजट केंद्र सरकार की ओर से दिया जा रहा था। शुरुआती दौर में मानव संसाधन के लिए केंद्र की ओर से यहां 20 डॉक्टर्स और 98 कर्मचारियों की संविदा पर तैनाती की गई। इन कर्मचारियों को पिछले 18 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। तब से आंदोलनरत इन कर्मचारियों को शासन ने संविदा समाप्त होने का नोटिस थमा दिया गया है।

संचालन अब राज्य सरकार के हाथ

शुरुआती दौर में ट्रामा सेंटर का संचालन केंद्र सरकार की ओर से किया जा रहा था। राज्य सरकार ने अब इसकी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है। शासन ने 60 बेड के ट्रामा सेंटर के लिए 32 डॉक्टर्स समेत 126 नई नियुक्तियों का फैसला किया है। शासन ने सृजित पदों पर नियुक्ति के लिए भी लोक सेवा आयोग व कर्मचारी चयन आयोग के जरिए नियुक्तियां कराने का फैसला लिया है।

18 महीने से कर रहे प्रदर्शन

ट्रामा सेंटर में तैनात संविदा कर्मचारियों को 18 महीने का वेतन न मिलने की वजह से वे भुखमरी की कगार पर आ चुके थे। इसे लेकर कई बार उन्होंने आंदोलन किया, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदारों ने उनकी सुध नहीं ली। आंदोलन करने से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला। उधर संविदा की समय सीमा समाप्त होने के बाद अब उन पर नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगा है। शासन के इस फैसले के विरोध में संविदा कर्मचारी कोर्ट की शरण में चले गए हैं। कोर्ट ने चार हफ्ते बाद मामले की सुनवाई का आदेश दिया है। इसके बाद संभावना जताई जा रही है कि ट्रामा सेंटर कर्मचारियों को अब तक का बकाया वेतन जल्द ही मिल जाएगा।

संविदा कर्मचारियों का वेतन जल्द से जल्द मिल जाएगा। जहां तक नियुक्ति का सवाल है वह राज्य सरकार की ओर से की जानी है। इस मामले में मैं कुछ भी नहीं कह सकता।

डॉ। अशोक यादव, ट्रामा सेंटर इंचार्ज