-कलाकारों के नाम घोषित होने के बावजूद पिछले 12 साल से संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार नहीं हुआ वितरित

-सम्मान की उम्मीद में चल बसे कई कलाकार, जिम्मेदारों को नहीं कोई परवाह

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LUCKNOW: पिछले एक महीने से संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) अपनी नकारात्मक खबरों के लिए सुर्खियों में बना हुआ है। अकादमी का स्थापना दिवस न मनाया जाना, प्रेक्षागृह के किराये में वेरिएशन, परम्परागत पत्रिका 'छाया नट' का न छपना जैसी तमाम समस्याएं अकादमी के परिसर के अंदर जन्म ले चुकी हैं। इस कड़ी में अकादमी पुरस्कार भी है जो कलाकारों के नाम घोषित होने के बाद भी अब तक आयोजित नहीं किया जा सका है।

10 साल से नहीं बंटा पुरस्कार

संस्कृति विभाग के अंतर्गत तीन बड़े पुरस्कार कलाकारों को दिए जाते हैं। इनमें यश भारती पुरस्कार और बेगम अख्तर पुरस्कार हर साल निश्चित समय पर कलाकारों को वितरित किया जाता है। मगर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार सन 2003 के बाद से कलाकारों के नाम घोषित होने के बावजूद अब तक नहीं बांटा गया है।

कई कलाकार चल बसे

सम्मान घोषित होने के काफी समय बाद भी अब तक अकादमी पुरस्कार का आयोजन नहीं हुआ। कथक गुरू पं अर्जुन मिश्र, रंगकर्मी जुगल किशोर, बनारस घराने के सितार वादक अमरनाथ मिश्र व कथक गुरू सुरेंद्र सेकिया जैसे कलाकारों की मृत्यु हो चुकी है। इन कलाकारों के नाम तो पुरस्कार देने के लिये घोषित हुए पर समारोह न होने के कारण पुरस्कार नहीं मिल सका।

सरकार कर रही उपेक्षा

प्रदेश सरकार जहां यश भारती पुरस्कार के लिए 11 लाख रुपए की राशि, बेगम अख्तर पुरस्कार के लिए 5 लाख रुपए की राशि, यश भारती सम्मान मिलने वालों को 50 हजार रुपए महीना पेंशन देती है। वहीं संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार की राशि का महज 10 हजार रुपये होना भी अकादमी के प्रति सरकार की उपेक्षा को दिखाता है। इस बारे में जब आईनेक्स्ट ने संस्कृति विभाग में नियुक्त कर्मचारियों से बात करनी चाही तो सभी एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने लगे।

एसएनए के अध्यक्ष ही बताएंगे कि कब अकादमी पुरस्कार बंटेगा। उसमें मेरा रोल डायरेक्ट नहीं है। जब अध्यक्ष नहीं थे तब मैं अध्यक्ष का काम कर रही थी। अब चूंकि अध्यक्ष आ गए हैं तो मेरी जिम्मेदारी नहीं है। अगर उन्होंने प्रपोजल बनाकर भेजा है तो उसको जरूर देखा जाएगा।

-अनीता सी मेश्राम

सचिव, संस्कृति विभाग

मैंने अकादमी अवॉर्ड का प्रपोजल बनाकर भेज दिया है। लेकिन, अकादमी के सचिव राम विशाल मिश्रा फाइलों को इधर-उधर कर देते हैं। यही वजह है कि अकादमी का स्थापना दिवस भी नहीं हो पाया। मेरे हर निर्देश की वे अवहेलना करते हैं। ऐसे में मैं क्या कर सकता हूं। इस तरह के असहयोग से भला मैं कैसे काम कर पाऊंगा।

-अच्छे लाल सोनी

अध्यक्ष, एसएनए।

मैं अध्यक्ष नहीं सचिव हूं। अध्यक्ष के निर्देश पर मैं सारे कार्य करता हूं। अगर वे प्रपोजल बनाकर देंगे तो मैं जरूर फॉरवर्ड करूंगा।

-राम विशाल मिश्र

सचिव, एसएनए।

संस्कृति विभाग को चाहिए कि संगीत नाटक अकादमी का शटर गिरा दे। 23 साल अकादमी कैसरबाग में रही और बड़ा सुनहरा वक्त गुजरा। अकादमी पुरस्कार के समय वैज्यंति माला, साहिर लुधियानवी, सोहराब मोदी, पृथ्वीराज कपूर, फिराक गोरखपुरी जैसे दिग्गज शिरकत करने के लिए आते थे। लेकिन, जब से अकादमी गोमतीनगर शिफ्ट हुई तब से बर्बादी की कगार पर है। पुरस्कार का वितरण न होना एक खराब संदेश है कला के क्षेत्र में। अब हम भी इसी प्रश्न चिन्ह में जी रहे हैं कि अकादमी के साथ क्यों ऐसा हो रहा?

-योगेश प्रवीण

इतिहासकार।

कलाकारों के नाम घोषित होने के बावजूद दस साल गुजर गए अवार्ड के इंतजार में। कितने लोग अवार्ड की उम्मीद में दुनिया छोड़कर चले गए लेकिन किसी को परवाह नहीं है। सबकुछ ऐसे ही चल रहा है। कुछ बेहतर होने की उम्मीद भी नहीं नजर आती।

-धर्मनाथ मिश्र

ठुमरी गायक।

जिन पुरस्कारों में बड़ी-बड़ी राशियां हैं। उन्हें तो समय से बांटा जा रहा है। मगर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जो महज 10 हजार रुपये की है, के लिये लाले पड़े हैं। 12 साल गुजर गए लेकिन सरकार को कोई परवाह नहीं है। इतनी छोटी सी राशी के लिए पता नहीं क्यों ऐसा हो रहा है?

-राज खुशीराम

पखावज वादक।