Lucknow:: अब बॉलीवुड का दौर बदल रहा है। लोगों को सिर्फ इंटरटेनमेंट पसंद है। दर्शकों को सिनेमा में एक्सपेरीमेंट पसंद नहीं आ रहे हैं। अब एक्शन मूवी का दौर फिर लौट आया है। हाल के दिनों में एक्शन मूवी ही बॉक्स ऑफिस पर कलेक्शन कर रही हैं। वैसे उन्हें भी एक्शन रोल ही पसंद हैं। संजय दत्त ने थर्सडे को दैनिक जागरण कार्यालय में अपने एक्सपीरियेंस को शेयर किया। उनके साथ फिल्म स्टार राणा दुग्गाबती भी थे। दोपहर करीब ढाई बजे जैसे ही संजू बाबा यहां पहुंचे तो उनके फैन्स का जमावड़ा पहले ही जागरण चौराहे पर मौजूद था।
वास्तव से बनी आइडेंटिटी
संजय के मुताबिक उन्हें 'फिल्म इंडस्ट्री में करीब 32 साल पूरे हो चुके हैं। 160 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। जब मेरी पहली फिल्म रॉकी रिलीज हुई थी तो लोगों को बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं कि नर्गिस और सुनील दत्त का बेटा फिल्म इंडस्ट्री में मां-बाप का नाम रोशन कर पाएगा या नहीं। मेरी लिए बहुत बड़ा चैलेंज था.
जाहिर सी बात है कि यदि आप बड़े स्टार पुत्र हैं तो तुलना जरूर होती है। लेकिन यह एक चैलेंज भी है। मुझे आज भी याद है मुंबई की वह घटना। पापा सुनील दत्ता का महाराष्ट्र में इलेक्शन था। उसी समय मेरी फिल्म वास्तव रिलीज हुई थी। मैं भी कैम्पेन के लिए गया था। तभी पब्लिक के बीच से आवाज आईवह देखो संजय दत्त आ गया। अपने पिता सुनील दत्त को जिताने के लिए। उस दिन अहसास हुआ कि अब मेरी अलग पहचान बन गई है। पापा ने भी मुझे गले लगा लिया। Ó
मुन्ना भाई है सुपर ब्रांड
कुछ रोल हैं जो लोगों के जेहन में हमेशा जिंदा रहते हैं। मुन्ना भाई का कैरेक्टर भी कुछ ऐसा ही है। ऐसा यादगार रोल अब शायद नहीं आएगा। जब मुन्ना भाई एमबीबीएस रिलीज हुई थी तो वाकई गांधी जी की शिक्षाओं को वह भूल चुके थे। यंगस्टर्स भी गांधी जी की बातों को लगभग भूल चुके थे। लेकिन इस फिल्म में जैसे मैंने गांधी जी से बात की है शायद कोई कर भी नहीं सकता। आज भी मुझे वह डॉयलॉग याद हैए बापू, वाट नहीं लगाने कावैसे भी हर रोल मुन्ना भाई और कांचा जैसा नहीं होता।
एक्सपेरीमेंट सिनेमा अब खत्म
एक्सपेरीमेंट सिनेमा का दौर अब खत्म हो गया है। अब कोई मल्टीप्लेक्स में सीरियस इश्यू नहीं देखना चाहता है। मिडिल क्लास फैमिली जब पैसे खर्च करती है तो फिल्म की पूरी कीमत वसूलना चाहती है। यही वजह है कि एक्शन फिल्मों का दौर फिर वापस आ गया है। दबंग, अग्निपथ जैसी फिल्मों को पसंद किया जा रहा है। संजू की फिल्म 'डिपार्टमेंटÓअगले हफ्ते रिलीज हो रही है। उनकी आने वाली फिल्मों में सन ऑफ सरदार, जिला गाजियाबाद, शेर, मुन्ना भाई का सीक्वल और रुद्रा हैं।
बिग बॉस का एक्सपीरियेंस शानदार
बिग बॉस का एक्सपीरियेंस यादगार रहेगा। यह टीवी शो पब्लिक के साथ कनेक्ट था। इसी तरह सत्यमेव जयते भी है। यदि इस तरह के किसी शो का ऑफर मिलेगा तो वह जरूर करेंगे। वैसे फिलहाल अभी कोई शो पाइप लाइन में नहीं है।
आइडिया मेें कमी
संजय दत्त ने माना कि आज राइटर्स की कमी हो गई है। नए आइडिया जेनरेट नहीं हो पा रहे हैं। यही वजह है कि फिल्मों के सीक्वेल बन रहे हैं।
नहीं आउंगा पालीटिक्स में
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लीटिक्स में आने का कोई इरादा नहीं है। पिछले चुनावों में उन्होंने लखनऊ में ही प्रचार किया था। लेकिन उस समय मैं बहुत टेंशन में था। न तो मुझे भाषण देना आता था और न ही यूपी की प्रॉब्लम के बारे में कुछ मालूम था। बस, प्रचार के दौरान दो-चार फिल्मों के डॉयलाग बोल दिए।
अमिताभ के हैं फैन
मैं अमिताभ बच्चन का फैन हूं। उन जैसा कोई दूसरा एक्टर पता नहीं फिल्म इंडस्ट्री में कब आएगा। कॉमेडी, एक्शन, ड्रामा कुछ भी कराना हो, उनका कोई जवाब नहीं। उनसे फिल्म के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला है।
डकैतों पर बननी चाहिए फिल्म
अब डकैतों पर कोई फिल्म नहीं बनती है। बीहड़ में भले ही डकैत खत्म हो गए हैं लेकिन अभी भी दर्शक डाकुओं पर फिल्म देखना पंसद करते हैं।
लखनऊ कनेक्शन
लखनऊ और कानपुर से बहुत पुराना कनेक्शन है। जब छोटा था तो पूरी सर्दी कानपुर में ही बीतती थीं। यहां पापा के एक दोस्त रहते थे। लखनऊ से भी पुराना नाता है। लखनऊ मुझे हमेशा से बहुत अच्छा लगता है यहा के लोग बहुत अच्छे हैं.
संजय दत्त की नई फिल्म 'डिपार्टमेंटÓ के को-स्टार राणा दुग्गाबती भी संजय दत्त के साथ मौजूद थे। दक्षिण भारतीय फिल्में के स्टार राणा की ये पांचवीं हिन्दी फिल्म हैं। उन्होंने कहा कि ऐक्शन फिल्में उन्हें अच्छी लगती हैं और वो खुद को ऐक्शन मूवी में फिट पाते हैं। तमिल, तेलुगू, और हिन्दी बोलने वाले राणा दुग्गाबती का कहना था कि साउथ की उनकी तीन रीमिक्स मूवीज आने वाली हैं। उनका मानना है कि रीमिक्स से उनकी रीच एक साथ कई भाषाओं तक हो जाती है.
गवर्नमेंट का मिले सपोर्ट
संजय दत्त ने कहा कि यूपी में बहुत पोटेंशियल है। यदि यहां शूटिंग के लिए गवर्नमेंट का सपोर्ट मिले तो यह फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी अच्छा है। यहां कई लोकेशन ऐसी हैं जहां बेहतर शूट किया जा सकता है। जरूरत इस बात की है कि स्टार्स और उनकी यूनिट को प्रॉपर सिक्योरिटी मिले। फिल्म की शूटिंग में कम से कम 300 लोगों की यूनिट होती है। उनके लिए स्टेइंग फैसेलिटी और कारपोरेशन मिले तो यह बॉलीवुड के लिए भी अच्छा है। अभी हम लखनऊ और गाजियाबाद को दिखाना चाहते हैं तो यहां नहीं आ सकते। कहीं दूसरी लोकेशन पर सेट लगाकर इन जगहों की खूबसूरती दिखानी पड़ती है।