सील होंगे hostels  

यूनिवर्सिटी में शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब सेशन समाप्त होते ही हॉस्टल खाली करने का ऑर्डर जारी किया गया। जबकि इसके पहले कभी भी सेशन एंड होने पर संस्कृत यूनिवर्सिटी के हॉस्टल्स खाली नहीं कराये जाते थे। इस बार हॉस्टल्स केवल खाली ही नहीं होंगे बल्कि उनको सील भी किया जाएगा जिससे अवांछनीय तत्व हॉस्टल को अपना अड्डा न बना सकें। बताया जाता है कि बीएड, नेट सहित अन्य कॉम्पटीटिव एग्जाम्स के समाप्त होते ही बाकी बचे रूम्स को खाली करा लिया जाएगा। इसके बाद सील करने की कार्रवाई होगी।

खाली न करना पड़ेगा भारी

हॉस्टल में अभी जो अवैध रूप से स्टूडेंट्स रह रहे हैं अगर उन्होंने हॉस्टल खाली नहीं किया तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। नेक्स्ट सेशन में इन्हें हॉस्टल एलॉट न करने के अलावा इनका रिजल्ट भी रोका जा सकता है। बता दें कि यूनिवर्सिटी में टोटल चार हॉस्टल हैं। इनमें नवीन, गंगानाथ झा, रिसर्च व इंटरनेशनल हैं। इनमें नवीन के 120 तथा गंगानाथ झा के 38 रूम्स का एलाटमेंट होता है। यहां आचार्य, शास्त्री, बीएड व बीलिब के स्टूडेंट्स रहते हैं। ऑर्डर के बाद 40 रूम्स खाली हो गए।

कैंपस में शांति, दूसरी जगह विरोध

छात्रसंघ प्रेसिडेंट के निर्वाचन को कैंसिल करने के बाद शुक्रवार को संस्कृत यूनिवर्सिटी में दिनभर हंगामा होता रहा लेकिन शनिवार को कैंपस में शांति रही। आंदोलनरत स्टूडेंट्स का कहीं अता पता नहीं रहा। दूसरी ओर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के स्टूडेंट्स ने विरोध में वीसी का पुतला फूंका। इसमें विकास सिंह, दिलीप कुमार, मोहित सिंह व राजकुमार मिश्र शामिल रहे। उधर छात्रसंघ भंग करने पर संस्कृत यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के महामंत्री, उपाध्यक्ष और पुस्तकालय मंत्री ने वीसी से मुलाकात की। उनसे प्रेसिडेंट को छोड़कर बाकी पदाधिकारियों को बहाल करने की रिक्वेस्ट की। लेकिन वीसी ने उनकी बात नहीं मानी।

छात्रसंघ भवन को दिया किराये पर

छात्रहित के लिए बने छात्रसंघ भवन से पदाधिकारी खुद अपना हित कर रहे हैं। नियमों को ताख पर रख उन्होंने कमरों को किराए पर दे दिया है। इसका खुलासा शनिवार को तब हुआ जब यहां रह रहे एक स्टूडेंट ने वीसी को एप्लिकेशन दी। इसमें उसने स्पष्ट रूप से बताया है कि पदाधिकारियों ने कमरा किराए पर दिया है। इसके बदले मुझसे रुपये वसूलते थे। वीसी प्रो। बीपी मिश्र ने इस कंप्लेन को गंभीरता से लिया है। इस मामले की जांच के लिए उन्होंने चीफ प्रॉक्टर प्रो। केदारनाथ त्रिपाठी को निर्देश दिया।